दुनिया का सबसे अनमोल रतन (कहानी)
प्रेमचंद द्वारा लिखी गई पहली कहानी
दुनिया का सबसे अनमोल रतन प्रेमचंद की पहली कहानी थी।[1] यह कहानी कानपुर से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिका ज़माना में १९०७ में प्रकाशित हुई थी। यह प्रेमचंद के कहानी संग्रह सोज़े वतन में संकलित है।[2]
पात्र
संपादित करें- दिलफिगार
- दिलफरेब
परिचय
संपादित करेंइसमें दिलफरेब दिलफिगार से कहती है कि- "अगर तू मेरा सच्चा प्रेमी है, तो जा दुनिया की सबसे अनमोल चीज लेकर मेरे दरबार में आ।" उसे पहला रतन फाँसी पर चढ़ने वाले काले चोर की आँखों से टपका हुआ आँसू मिला किंतु दिलफरेब ने वह स्वीकार नहीं किया। वह दूसरा रतन प्रेमी तथा प्रेमिका की चिता की मुट्ठीभर राख लेकर दिलफरेब के दरबार में गया किंतु वह भी सबसे अनमोल रतन नहीं माना गया । खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे- दुनिया का सबसे अनमोल रतन माना गया।
विशेषताएँ
संपादित करेंइस कहानी में प्रेमचंद का देशप्रेम साफ झलकता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
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- ↑ "प्रेमचंद". Rekhta. अभिगमन तिथि 26 July 2024.
- ↑ "Duniya Ka Sabse Anmol Ratan : प्रेमचंद: Amazon.in: किताबें". Amazon.in. 26 July 2024. अभिगमन तिथि 26 July 2024.