दुर्गानन्द सिन्हा (23 सितम्बर 1922 -- 23 मार्च 1998) भारत के एक मनोवैज्ञानिक थे जिनका जन्म 23 सितंबर, 1922 को बिहार, भारत के एक गाँव में हुआ था। उन्होंने 1945 में पटना विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एम.ए.फिलॉसोफी (मनोविज्ञान में विशेषज्ञता) करने के बाद वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए जहाँ उन्होंने एम. की पढ़ाई पूरी की। कैम्ब्रिज से लौटने पर, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया, जहाँ से वह 1959 में खड़गपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) चले गए। वह 1961 में मनोविज्ञान विभाग स्थापित करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए जहाँ वे पूरे समय रहे। सन् 1986 में इनकी पुस्तक "‘साइकोलॉजी इन ए वर्थ वर्ल्ड कम्पनी : दि इंडियन एक्सपीरियन्स" प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक मे श्री सिन्हा ने भारत में सामाजिक विज्ञान के रूप में चार चरणों में आधुनिक मनोविज्ञान के इतिहास को दर्शाया है।

भारतीय मनोविज्ञान के चार चरण संपादित करें

पहला चरण – स्वतंत्रता प्राप्ति तक प्रयोगात्मक, मनोविश्लेषात्मक एवं मनोविज्ञानिक परीक्षण अनुसंधान पर आधारित तथ्यों के कारण पाश्चात्य देशों का मनोविज्ञान में विकास का लक्षण देखा गया।

दूसरा चरण – सन् 1960 तक भारतीय मनोविज्ञान में कई प्रमुख शाखाओं का उदय हुआ जिसमें पाश्चात्य मनोविज्ञान को भारतीय मनोविज्ञान के साथ जोड़कर परिणामी सिद्धांत निकाले गये।

तीसरा चरण – 1960 के बाद भारतीय समाज के लिए समस्या केन्द्रित अनुसंधानों द्वारा मानव हित के कार्य किया गया। इस समय भारतीय मनोवैज्ञानिक अपने सामाजिक संदर्भ में पाश्चात्य मनोविज्ञान पर अतिशय निर्भता का अनुभव किया जसे वे नहीं चाहते थे।

चौथा चरण – सन् 1970 के अंतिम समय में देशज मनोविज्ञान का उदय हुआ। सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से सार्थक ढाँचे को आधार मानकर मनोवैज्ञानिक समझ को बढ़ावा दिया जाने लगा। फलतः पारम्परिक भारतीय मनोविज्ञान पर आधारित उपागर्मों का विकास हुआ जो हमने प्राचीन ग्रन्थों एवं धर्मग्रन्थों से लिए थे।

कृतियाँ संपादित करें

  • Psychology in a Third World Country: The Indian Experience
  • Asian Contributions to Cross-Cultural Psychology
  • Psychology for India
  • Motivation And Rural Development
  • Asian Perspectives on Psychology
  • Management and Cultural Values: The Indiginization of Organizations in Asia
  • Social Values and Development: Asian Perspectives
  • Effective Organizations and Social Values