दूल्हेराय
दूल्हा राय कछवाहा राजवंश के एक राजा थे, जिन्होंने आज के राजस्थान में खोह में अपनी राजधानी के साथ ढूंढाड़ के क्षेत्र पर शासन किया था।[4][5][6]
दूल्हेराय | |
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खोह के राजा | |
शासनावधि | ११वीं शताब्दी[1] |
पूर्ववर्ती | महाराजा अलन सिंह चंदा |
उत्तरवर्ती | काकिल देव |
जन्म | नरवर[2] |
निधन | 1036 खोह[3] |
राजवंश | कछवाहा |
पिता | सोढ़ देव |
धर्म | हिन्दू धर्म |
दूल्हेराय नामक व्यक्ति ने सर्वप्रथम कछवाह वंश की स्थापना की, 1006 ई. बड़गूजरों को हराकर दूल्हेराय ने ढूंढाड़ राज्य को बसाया था। दूल्हेराय ने सर्वप्रथम दौसा को अपनी राजधानी बनाया, जो इस राज्य की सबसे प्राचीन राजधानी थी, दूल्हेराय ने इस राजधानी को मीणाओं से प्राप्त किया था।[7]
दूल्हेराय ने रामगढ नामक स्थान पर श्री जमुवाय माताजी के मंदिर का निर्माण कराया तथा ' जमुवा माताजी ' को कछवाह राजवंश की कुलदेवी के रूप में स्थापित किया था, ढूंढाड़ में प्राचीन रामगढ गुलाब की खेती के लिए प्रसिद्ध था, जिसके कारण रामगढ को ' ढूढांड़ का पुष्कर ' कहा गया |
दूल्हेराय ने रामगढ को जीतकर इसे राजधानी बनाया और जमुवारामगढ नाम रखा ।इस प्रकार दूल्हेराय के शासन काल की दो राजधानीयाँ अस्तित्व में आयीं, दूल्हेराय के पश्चात कोकिलदेव ने आमेर के मीणाओं को पराजित कर इस सम्पन्न भू-भाग को कछवाह वंश का एक अंग बनाया, बाद में राजदेव ने आमेर दुर्ग को राजधानी के रूप में स्थापित किया।[8]
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंदूल्हेराय 1071 ई. में अपने पिता के साथ ग्वालियर से चले गए और राजपूतान के धुधंड क्षेत्र में दौसा नामक स्थान पर बस गए।[9]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Melia Belli Bose (२५ अगस्त २०१५). Royal Umbrellas of Stone: Memory, Politics, and Public Identity in Rajput Funerary Art (अंग्रेज़ी में). BRILL. पृ॰ ३६. अभिगमन तिथि १८ जनवरी २०२४.
Duleh Rai (early-eleventh century), Kakil Dev (r. 1036-39), and Hanwant Dev (r. 1039-53).
- ↑ Sinha, Amita; Rajora, Neha (2014). "Gaze and the picturesque landscape of Amber, India". Studies in the History of Gardens & Designed Landscapes. 34 (4): 309–322. डीओआइ:10.1080/14601176.2013.874305.
The Kachhawas (also Kachchwahas) trace their descent from Kush, son of Lord Rama, and claim solar dynasty. Originally from Narwar, near Gwalior, they migrated to this part of Rajasthan, known as Dhoondhar in 967 CE and established their capital at Dausa.
- ↑ Wright, Arnold; Bond, J. W. (2006). Indian States A Biographical, Historical, and Administrative Survey. Asian Educational Services. पृ॰ 174. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1965-4.
- ↑ Rima Hooja (2006). A history of Rajasthan (अंग्रेज़ी में). Rupa & Co. पपृ॰ 393, 395. OCLC 80362053. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788129108906.
- ↑ Indian States A Biographical, Historical, and Administrative Survey. Asian Educational Services. 2006. पपृ॰ 173, 175. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1965-4.
- ↑ Sarkar, Jadunath (1994) [1984]. A History of Jaipur: C. 1503–1938. Orient Longman Limited. पपृ॰ 22, 23, 24. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-250-0333-9.
- ↑ Kumar, Mayurakshi (2015). "Origin Of Kachcwaha In Dhundhar Region of Rajasthan". International Res Jour Managt Socio Human. 6 (1).
- ↑ Sinha, Amita; Rajora, Neha (2014). "Gaze and the picturesque landscape of Amber, India". Studies in the History of Gardens & Designed Landscapes. 34 (4): 309–322. डीओआइ:10.1080/14601176.2013.874305.
Amber predates the Kachhawa rulers — Kakil Dev captured Amber from Mina tribesmen in 1037 CE, laid the foundation of the fortification system and built the Ambikeshwar Mahadev Temple. When his great grandson Rajdev shifted the capital from Khoh to Amber, the settlement began to grow. Amber Palace was substantially enlarged by Man Singh in 1600 CE with additions by Jai Singh I and Sawai Jai Singh II until the first quarter of the eighteenth century.
- ↑ Mathur, K. C. (2004). Struggle for Responsible Government in Jaipur State, 1931-1949 A.D. Books Treasure. पृ॰ 3.
According to the popular tradition and bardic chornicles, Sora Deo with his son Dulha Rai left Gwalior around 1071 A.D. and entered the territory of Dhundhar, subduced Badgujars and Meenas and settled at Dausa.