सिख धर्म के सन्दर्भ में, धरमयुध ( गुरमुखी : ਧਰਮਯੁਧ) का अर्थ 'धर्म का पालन करते हुए युद्ध करना', [1] 'धर्म की रक्षा में युद्ध करना'[2] या 'न्याय के लिए युद्ध करना' [3] है। यद्यपि सिख धर्म के कुछ मूल सिद्धांतों में शांति और अहिंसा पर जोर देने की बात समझी जाती है (खासकर मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा 1606 में गुरु अर्जन की हत्या से पहले) [4] किन्तु यदि किसी संघर्ष को निपटाने के सभी शांतिपूर्ण साधन समाप्त हो गए हों तो सैन्य बल को उचित ठहराया जा सकता है। [2]

इन्हें भी देखें

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  1. Chima, Jugdep S. (2008). The Sikh Separatist Insurgency in India: Political Leadership and Ethnonationalist Movements. New Delhi: SAGE Publications India. पृ॰ 70. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788132105381. अभिगमन तिथि 16 September 2019.
  2. Fenech, Louis E.; McLeod, W. H. (2014). Historical Dictionary of Sikhism. Plymouth & Lanham, Maryland: Rowman & Littlefield. पपृ॰ 99–100. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781442236011. अभिगमन तिथि 16 September 2019.
  3. Schnabel, Albrecht; Gunaratna, Rohan (2015). Wars From Within: Understanding And Managing Insurgent Movements. London: Imperial College Press. पृ॰ 194. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781783265596. अभिगमन तिथि 16 September 2019.
  4. Syan, Hardip Singh (2013). Sikh Militancy in the Seventeenth Century: Religious Violence in Mughal and Early Modern India. London & New York: I.B.Tauris. पपृ॰ 3–4, 252. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781780762500. अभिगमन तिथि 15 September 2019.