धातुओं के अनेकानेक गुण सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ज्ञात किए जा सकते हैं। सूक्ष्मदर्शी द्वारा धातुपरीक्षण की इस विधि को धातु-रचना-विज्ञान (Metallography) कहते हैं। इसके द्वारा धातुओं अथवा मिश्र धातुओं की आंतरिक रचना, अथवा उनपर उष्मोपचार के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

धातु-रचना-विज्ञान काटने का नमूने

इस कार्य के लिए जो सूक्ष्मदर्शी उपयोग में लाए जाते हैं उनका निर्माण जीवविज्ञान इत्यादि में प्रयुक्त होनेवाले सूक्ष्मदर्शियों से भिन्न होता है। धातुएँ परांध होती हैं। प्रकाश की किरणें उनमें से पार नहीं हो सकती। इसलिए यहाँ पर परावर्तन सिद्धांत का उपयोग किया जाता है, जिससे निदर्श (specimen) पर पड़नेवाली प्रकाश की किरणें परावर्तित होकर मनुष्य के नेत्र तक पहुँचती हैं। धातुओं के सूक्ष्मदर्शियों परीक्षण के लिए पहले उन्हें लगभग 1/2 इंच घनाकार टुकड़े के रूप में काट लेते हैं। इस टुकड़े को निदर्श कहते हैं। तत्पश्चात्‌ निदर्श एमरी रेगमाल (emery paper) से अच्छी तरह पालिश किया जाता है। इसके बाद पालिश चक्र पर इसे शीशे की तरह चमक दी जाती है। अब निदर्श सूक्ष्मदर्शी परीक्षण के लिए तैयार हो गया। इस रूप में इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने से उसमें विद्यमान छिद्र, विजातीय पदार्थ अथवा धातुमल इत्यादि दिखलाई पड़ते हैं। फलक में पिटवां लोहे का एक सूक्ष्म आलेख (micrograph) दिखाया गया है। इसमें ग्रैफाइट के काले रेशे दिखाई दे रहे हैं। केवल पालिश की हुई सतह से धातु की आंतरिक संरचना नहीं दिखाई पड़ती, इसलिए इसे किसी रासायनिक विलयन से निक्षारित (etch) किया जाता है। निक्षारण के पश्चात्‌ धातु की आंतरिक संरचना दिखाई पड़ने लगती है। फलक में पिटवाँ लोहे का निक्षारित सूक्ष्म आलेख दिखलाया गया है। अन्य चित्रों में क्रमश: मृदु तथा कठोर इस्पात की सूक्ष्म संरचना (micro-structure) देखी जा सकती है।

अब धातुरचना का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है और नए नए प्रकार के सूक्ष्मदर्शी उपयोग में लाए जाने लगे हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा धातुओं की संरचना को एक लाख गुना आवर्धित किया जा सकता है। एक्सरे द्वारा भी धातुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययन में बहुत सहायता मिली है।

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