धामोनी
धामोनी (Dhamoni) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक छोटा गाँव है।[1][2]
धामोनी Dhamoni | |
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निर्देशांक: 24°11′17″N 78°45′07″E / 24.188°N 78.752°Eनिर्देशांक: 24°11′17″N 78°45′07″E / 24.188°N 78.752°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | सागर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 10 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंधामोनी सागर के उत्तर में झांसी मार्ग पर करीब 44 किमी की दूरी पर स्थित धामोनी अब उजाड़ हो चुका है, लेकिन इसका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। गढ़ा मंडला के राज्यकाल में महत्वपूर्ण होने के कारण इसे गढ़ बनाया गया था और इसके साथ 50 मौजे थे। गढ़ा मंडला वंश के एक वंशज सूरत शाह ने इस किले को बनाया था।
ऐतिहासिक संदर्भ
संपादित करेंएक दंत कथा के अनुसार मुगलकाल का मशहूर इतिहासकार अबुल फजल भी यहीं पैदा हुआ था लेकिन इसका कोई प्रमाण आज उपलब्ध नहीं है। आइन-ए-अकबरी में इसका उल्लेख मालवा सूबे में रायसेन की सरकार के महाल के रूप में किया गया है। किसी जमाने में यहां हाथी बेचने के लिए बाजार भरता था। यह ओरछा के राजा वीरसिंहदेव के राज्य में (1605-27) सम्मिलित था। उन्होंने किले का फिर से निर्माण कराया था।
पुरातात्विक महत्व
संपादित करेंपुराने खंडहरों के कारण धामोनी पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। किले के अलावा यहां रानी महल के नाम से विख्यात एक महल भी है। यहां का एक अन्य उल्लेखनीय स्थान मुस्लिम संतों की दो मजारें भी हैं। इनमें से एक बालजीत शाह की मजार है, जिन्हें अबुल फजल का गुरु समझा जाता है। दूसरी मजार मस्तान शाह वली की मानी जाती है। उनके बारे में कहा जाता है कि गांव में पानी नहीं मिलने के कारण उन्होंने धामोनी को बददुआ दी थी। संतों की मजारों के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। यहां साल में एक बार गर्मियों के मौसम में उर्स का आयोजन किया जाता है। गांव के किनारे कुछ जैन मंदिर भी हैं, जिनका निर्माण 1815-19 के बीच हुआ था।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293