धिम्मी
इस्लाम में धिम्मी (dhimmi ([ˈðɪmːiː]; अरबी: ذمي, समूह में أهل الذمة अह्ल अल-धिम्माह; ओटोमान तुर्की एवं उर्दू में जिम्मी) उस व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को कहते हैं जो मुसलमान नहीं है और शरियत कानून के अनुसार चलने वाले किसी राज्य की प्रजा है। इस्लाम के अनुसार इन्हें जीवित रहने के लिये कर (टैक्स) देना अनिवार्य है जिसे जज़िया कहा जाता है। धिम्मी को मुसलमानों की तुलना में बहुत कम सामाजिक और कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं। लेकिन यदि धिम्मी इस्लाम स्वीकार कर ले तो उसको लगभग पूरा अधिकार मिल जाता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Islamic and Christian Spain in the early Middle Ages. Thomas F. Glick: Chapter 5: Ethnic relations
- The Ahl al-Kitab in Early Fatimid Times
- Dhimmi: The Victims of Muslim Religious Apartheid
- The Religion of Peace
- The status of the Dhimmi: A critical perspective
- The status of the Dhimmi: An Islamic perspective
- The Status of Non-Muslim Minorities Under Islamic Rule
- Dhimmi Watch
- Islam and its tolerance level
- Bernard Lewis, Race and Slavery in the Middle East
- Jihad, the Arab Conquests and the Position of Non-Muslim Subjects
- Yusuf al-Qaradawi "Non Muslims in Islamic societies" (अरबी)
- [1][2][3][4][5][6][7] Rights of non-Muslim minorities in Islam
- On Religious Tolerance, by Khalid Baig