काफ़ि़र

एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है "काफ़िर", "अस्वीकार करने वाला", "इनकार करने वाला", "अविश्वास करने

काफ़िर (अरबी كافر (काफ़िर); बहुवचन كافرون काफ़िरून) इस्लाम में अरबी भाषा का बहुत विवादित शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ - "अस्वीकार करने वाला"[1] या "ढ़कने वाला"[2][3] या गैर-मुसलमान होता है।[4] नास्तिक को "दहरिया" (भौतिकवादी) बुलाया जाता है।[5][6] ऐतिहासिक रूप से, जबकि इस्लामी विद्वान इस बात से सहमत थे कि एक बहुदेववादी/मुश्रिक (हिंदू, जैन, बौद्ध धर्म के पालन करने वाले[7][8]) एक काफ़िर है, वे कभी-कभी इस शब्द को पुस्तक के लोगों के लिए (यहूदी और ईसाई) या गंभीर पाप करने वाले मुसलमानों के लिए लागू करने के औचित्य पर असहमत थे। [3][9] मुस्लिम आक्रमणों, कहानियों और लूट पर अपने संस्मरणों में, दक्षिण एशिया के कई मुस्लिम इतिहासकारों ने हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्म के पालन करने वालों के लिए काफिर शब्द का प्रयोग किया है।[7][8] [10][11] कुरान मुश्रिकुन (मुश्रिकों) और किताब के लोगों के बीच अंतर करता है, मूर्ति पूजा करने वालों के लिए मुश्रिक शब्द का ही प्रयोग करता है, किंतु कुछ शास्त्रीय मुसलमान टिप्पणीकारों ने ईसाई सिद्धांत को भी शिर्क का एक रूप माना है।[12] यहूदियों और ईसाइयों को जजिया का भुगतान करने की आवश्यकता थी, जबकि चार मधबों के विभिन्न नियमों के आधार पर, अन्य (हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्म) धर्म के पालन करने वालों को, इस्लाम को स्वीकार करने, जजिया का भुगतान करने, निर्वासित होने या मारे जाने की आवश्यकता हो सकती है।[13][14][15][16][17] इस शब्द को अपमानसूचक माना जाने लगा है; इसी लिये कुछ मुस्लिम इसके स्थान पर "ग़ैर-मुस्लिम" शब्द का प्रयोग करने की सलाह देते हैं।[18][19]

Kafirs of Natal - काफ़िर से संबंधित एक पुस्तक

इस्लाम के मजहबी साहित्य (कुरान, हदीस, आदि) का बहुत बड़ा हिस्सा काफ़िर के बारे में और काफ़िरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाय, इसको लेकर लिखा गया है। कुरान का लगभग 64% भाग काफ़िरों से सम्बन्धित है; शिरा के 81% भाग में इसी बात का वर्णन है कि इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद काफ़िरों के साथ कैसे निपटे थे; हदीस का लगभग 32% भाग काफ़िरों या कुफ्र के बारे में है। इस प्रकार इन तीनों का औसतन 60% भाग काफ़िरों या कुफ्र के बारे में है।[20]

विभिन्न प्रकार के काफ़िर

प्रायः इस्लाम का पूरा सिद्धान्त उसके छः विश्वास-सूत्रों के सार रूप में बताया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-

  1. तौहीद : यानी, एक अल्लाह पर ईमान या विश्वास रखना।
  2. मलाइका : पैगंबर पर विश्वास रखना।
  3. इस्लामी पवित्र पुस्तकों पर विश्वास रखना। [21][22]
  4. इस्लामी पैग़म्बरों या प्रेशितों पर विश्वास रखना।
  5. तक़दीर या विधी या भाग्य पर विश्वास रखना।
  6. यौम अल-क़ियामा या कयामत के दिन पर विश्वास रखना।

इनमें से पहले पांच का उल्लेख कुरान में आया है। सलफी विद्वान मोहम्मद तकी-उद-दीन-अल-हिलाली के अनुसार उपरोक्त किसी भी बात पर जो कोई विश्वास नहीं रखता तो वह "कुफ्र' का दोषी है। उन्होने अनेक प्रकार के प्रमुख कुफ्र गिनाए हैं-

  1. कुफ्र-अल-तकधीब : अलौकिक सत्य को अस्वीकारना या छः विश्वास सूत्रों में से किसी को नकारना (quran 39:32)
  2. कुफ्र-अल-इबा वत-तक्कबुर मा'अत-तस्दीक : refusing to submit to God's Commandments after conviction of their truth (quran 2:34)
  3. कुफ्र-अश-शक्क वज़-ज़ान : doubting or lacking conviction in the six articles of Faith. (quran 18:35–38)
  4. कुफ्र-अल-इ'रादह : turning away from the truth knowingly or deviating from the obvious signs which God has revealed. (quran 46:3)
  5. कुफ्र-अल-निफ़ाक़ : hypocritical disbelief (quran 63:2–3)[23]

मामूली अविश्वास या कुफ़रान-निमाह "ईश्वर के आशीर्वाद या एहसान की कृतघ्नता" को इंगित करता है।[23]

ग़ैर-मुस्लिम/काफ़िर को दण्ड

  • फिर, जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिकों’ (मूर्तिपूजकों) को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। (कुरान मजीद, सूरा 9, आयत 5)[24]
  • जिन लोगों ने हमारी ”आयतों” का इन्कार किया (इस्लाम व कुरान को मानने से इन्कार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं” (कुरान सूरा 4, आयत 56) [24]
  • ईसाइयों और यहूदियों के साथ मित्रता मत करो (सूरा 5, आयत 51)।[24]
  • काफिरों को जहाँ पाओ, उनको जान से मार दो (सूरा 2, आयत 191)।[24]
  • ईमान वालों, अपने आस-पास रहने वाले काफिरों के साथ युद्ध करो। उनको तुम्हारे अन्दर कटुता दिखनी चाहिए। (सूरा 9, आयत 123)[24]
  • अल्लाह ग़ैर-मुसलमानों का दुश्मन है। (सूरा 2, आयत 98)[24]
  • इस्लाम के अलावा और कोई धर्म/देवता स्वीकार नहीं है। (सूरा 3, आयत 85)[24]
  • इस्लाम को न मानने वालों का दिल अल्लाह भर देगा और ग़ैर-मुसलमानों की गर्दन काट कर तुम्हें उनका शरीर काट देना है। (सूरा 8, आयत 12)[24]
  • सिर्फ मुसलमानों को अपना करीबी दोस्त बनाएं। (सूरा 3, आयत 118)[24]
  • गैर-मुस्लिम दोस्त न बनाएं। (सूरा 3, आयत 28 व सूरा 9, आयत 23)[24]
  • गैर-मुसलमानों से तब तक लड़ें जब तक अल्लाह का धर्म पूरी तरह से दुनिया में स्थापित न हो जाए। (सूरा 8, आयत 39)[24]
  • मूर्तियाँ गंदी हैं। (सूरा 22, आयत 30)[24]
  • मूर्ति पूजा करने वालों को जहाँ कहीं भी मिले, घात लगाकर उन्हें मार डालो। (सूरा 9, आयत 5)[24]
  • जहाँ कहीं पाखंडी और मूर्तिपूजक पकड़े जाते हैं, उनकी बुरी तरह से हत्या कर दी जाएगी। (सूरा 33, आयत 61)[24]
  • अल्लाह के सिवा कोई पवित्र ईश्वर नहीं है। (सूरा 3, आयत 62, सूरा 2, आयत 255, सूरा 27, आयत 61 व सूरा 35, आयत 3)[24]
  • अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत करने वाले नर्क के ईंधन हैं। (सूरा 21, आयत 98)[24]
  • मूर्ति पूजक अशुद्ध (अपवित्र) है। (सूरा 9, आयत 28)[24]
  • काफ़िर आपके खुले दुश्मन हैं। (सूरा 4, आयत 101)[24]
  • काफिरों पर ज़ुल्म करो। (सूरा 9, आयत 123)[24]
  • काफिरों को नीचा दिखाएँ और उनसे लड़ें। (सूरा 9, आयत 29)[24]
  • काफिरों और पाखंडियों के खिलाफ जिहाद (लड़ाई) करो। (सूरा 66, आयत 9)[24]
  • हम कुरान का खंडन करने वालों की खाल पकाएँगे। (सूरा 4, आयत 56)[24]


  • अल्लाह ईमान वालों के द्वारा काफ़िरों को सताएगा। (सूरा 9, आयत 14)[24]
  • युद्धबंदियों को सताओ। (सूरा 8, आयत 57)[24]
  • इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो। (सूरा 32, आयत 22)[24]

इसी तरह की सैकड़ों आयतों में इस्लाम या उसके सिद्धान्तों में विश्वास न करने वालों के साथ हिंसा का उपयोग करने की सलाह दी गयी है।

काफ़िर शब्द शायरी में

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Akhtar, Shabbir (1990). A Faith for All Seasons: Islam and Western Modernity. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780947792411.
  2. Björkman, W.. (2012)। “Kāfir”। Encyclopaedia of Islam (2nd)। संपादक: P. Bearman। Brill। DOI:10.1163/1573-3912_islam_SIM_3775.
  3. Charles Adams. (2009)। "Kufr". The Oxford Encyclopedia of the Islamic World। संपादक: John L. Esposito। Oxford: Oxford University Press।
  4. Willis, John Ralph, संपा॰ (2018) [1979]. "Glossary". Studies in West African Islamic History, Volume 1: The Cultivators of Islam (1st संस्करण). London and New York: Routledge. पृ॰ 197. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781138238534. Kufr: Unbelief; non-Muslim belief (Kāfir = a non-Muslim, one who has received no Dispensation or Book; Kuffār plural of Kāfir).
  5. Swartz, Merlin (30 January 2015). A medieval critique of Anthropomorphism. Brill. पृ॰ 96. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9004123762. अभिगमन तिथि 16 January 2022.
  6. Goldziher, I. (2012-04-24). "Dahrīya". BrillOnline Reference Works. Brill Online. अभिगमन तिथि 16 January 2022.
  7. Engineer, Ashghar Ali (13–19 February 1999). "Hindu-Muslim Problem: An Approach". Economic and Political Weekly. 37 (7): 396–400. JSTOR 4407649.
  8. Elliot and Dowson, Tarikh-i Mubarak-Shahi, The History of India, as Told by Its Own Historians – The Muhammadan Period, Vol 4, Trubner London, p. 273
  9. Björkman, W.. (2012)। “Kāfir”। Encyclopaedia of Islam (2nd)। संपादक: P. Bearman। Brill। DOI:10.1163/1573-3912_islam_SIM_3775.
  10. Elliot and Dowson, Tabakat-i-Nasiri, The History of India, as Told by Its Own Historians – The Muhammadan Period, Vol 2, Trubner London, pp. 347–67
  11. Elliot and Dowson, Tarikh-i Mubarak-Shahi, The History of India, as Told by Its Own Historians – The Muhammadan Period, Vol 4, Trubner London, pp. 68–69
  12. SHIRK, Brill, डीओआइ:10.1163/1573-3912_islam_sim_6965
  13. Michael Bonner (2008). Jihad in Islamic History. Princeton University Press. पपृ॰ 89–90. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1400827381. To begin with, there was no forced conversion, no choice between "Islam and the Sword". Islamic law, following a clear Quranic principle (2:256), prohibited any such things [...] although there have been instances of forced conversion in Islamic history, these have been exceptional.
  14. Waines (2003) "An Introduction to Islam" Cambridge University Press. p. 53
  15. Winter, T. J., & Williams, J. A. (2002). Understanding Islam and the Muslims: The Muslim Family Islam and World Peace. Louisville, Kentucky: Fons Vitae. p. 82. ISBN 978-1-887752-47-3. Quote: The laws of Muslim warfare forbid any forced conversions, and regard them as invalid if they occur.
  16. Ira M. Lapidus. Islamic Societies to the Nineteenth Century: A Global History. पृ॰ 345.
  17. "Islam". Encyclopedia Britannica। (17 August 2021)।
  18. Winn, Patrick (8 March 2019). "The world's largest Islamic group wants Muslims to stop saying 'infidel'". The World, Public Radio International. अभिगमन तिथि १६ January 2022.
  19. "NU calls for end to word 'infidels' to describe non-Muslims". The Jakarta Post. Niskala Media Tenggara. 1 March 2019. अभिगमन तिथि १६ January 2022.
  20. https://www.politicalislam.com/sharia-law-for-non-muslims-chapter-5-the-kafir/ Chapter 5-The Kafir
  21. see Quran : 5:66
  22. see Quran : 7:157
  23. Taqi-ud-Din Al-Hilali, Muhammad; Khan, Muhammad Muhsin (2000). The Holy Quran Translation. ideas4islam. पपृ॰ 901–02. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781591440000. अभिगमन तिथि 16 June 2015.[मृत कड़ियाँ]
  24. Qur'an
  25. https://www.youtube.com/watch?v=FrYO0MvYNrk
  26. "संग्रहीत प्रति". मूल से 28 मई 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2022.

बाहरी कड़ियाँ