धूम
धूम भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसका निर्देशन संजय गाधवी ने और निर्माण आदित्य चोपड़ा ने किया है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, जॉन अब्राहम, उदय चोपड़ा और ईशा द्योल मुख्य किरदार में हैं। इस फिल्म को 27 अगस्त 2004 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया था।
धूम | |
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धूम का पोस्टर | |
निर्देशक | संजय गाधवी |
लेखक | विजय कृष्ण आचार्य |
निर्माता | आदित्य चोपड़ा |
अभिनेता |
अभिषेक बच्चन जॉन अब्राहम उदय चोपड़ा ईशा द्योल रिमी सेन |
संगीतकार | प्रीतम |
वितरक | यश राज़ फ़िल्म्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
27 अगस्त, 2004 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कहानी
संपादित करेंइस कहानी की शुरुआत मुंबई में होती है, जब एक मोटरबाइक चलाने वाला गैंग शहर के बैंक और अन्य जगहों से पैसे चुराना शुरू कर देता है।
एसीपी जय दीक्षित (अभिषेक बच्चन) को इस मामले की छानबीन करने का काम दिया जाता है। वो उस गिरोह के लोगों को पकड़ने के लिए एक चोरी की बाइक बेचने और चलाने वाले अली खान (उदय चोपड़ा) से मिलता है और उसकी मदद से उस गिरोह के लोगों को पकड़ने का प्लान बनाता है, वो असफल हो जाता है। उस गिरोह का लीडर, कबीर (जॉन अब्राहम) उससे कहता है कि वो उसके सामने भी रहेगा, तो भी वो उसे पकड़ नहीं पाएगा, और ऐसा होता भी है। एक और चोरी होती है, जिसमें जय और अली को पहले से पता होता है कि वहाँ चोरी होने वाली है, पर वे लोग कुछ नहीं कर पाते हैं। हालांकि जय की गोली से उस गिरोह का एक सदस्य मारा जाता है, पर वे लोग एक और बार असफल हो जाते हैं। इस असफलता के कारण जय को अली के ऊपर गुस्सा आ जाता है और उन दोनों में बहस बाद में मारपीट का रूप ले लेती है, जिसके बाद अली उसे छोड़ कर चला जाता है।
रोहित, जो जय की गोली का शिकार हो जाता है, उसके जगह कबीर अब अली को लाने की सोचता है और उससे मिल कर अपने गिरोह में आने का न्योता देता है। अली मान जाता है और गिरोह से जुडने के बाद उसकी एक सदस्य, शीना (ईशा देओल) से अली को प्यार हो जाता है। कबीर अब भारत के सबसे बड़े कसीनो को लूटने का प्लान बनाता है, जिसके बाद उन्हें कभी और चोरी करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। वो ये चोरी नए वर्ष के दिन करने का प्लान बनाता है। वे लोग उस कसीनो में अलग अलग रूप में आ जाते हैं, और जल्द ही कबीर को एहसास होता है कि ये जय का बुना हुआ जाल है। उन्हें ये भी पता चलता है कि अली अब भी जय के लिए ही काम कर रहा है।
कबीर किसी तरह जय की कैद से भागने में सफल हो जाता है और अपने गिरोह के साथ अपने गिरोह के ट्रक तक आ जाता है। वहाँ अली किसी तरह शिना को बंधक बनाए रखता है। उसे ऐसा लगते रहता है कि उसके बाकी गिरोह के लोग पकड़े गए हैं। पर वहीं कबीर को देख कर उसके तोते उड़ जाते हैं। कबीर आते साथ अली को मारने लगता है कि तभी जय आ जाता है और उसकी जान बचा लेता है। शिना को छोड़ कर गिरोह के सभी लोग भागने लगते हैं। जय और अली मिल कर उनका पीछा करते हैं और कबीर को छोड़ कर गिरोह के सभी लोग मारे जाते हैं। अंत में कबीर को जय और अली घेर लेते हैं। कहीं और जाने का रास्ता नहीं होने के कारण कबीर अपनी बाइक को नदी की ओर ले जाता है और बाइक के साथ नदी में गिर जाता है। इसके बाद जय और अली एक दूसरे से बात करते रहते हैं और फिल्म समाप्त हो जाती है।
कलाकार
संपादित करें- अभिषेक बच्चन — जय दीक्षित (एसीपी)
- जॉन अब्राहम — कबीर (गैंग का लीडर)
- उदय चोपड़ा — अली खान (बाइक चोर और रेसर)
- रिमी सेन — स्वीटी दीक्षित (जय की पत्नी)
- ईशा द्योल — शीना
- मनोज जोशी — शेखर कमल
- आरव चौधरी — राहुल
- फरीद अमीरी — टोनी
- रोहित चोपड़ा — रोहित
- अजय पांडे — विनोद
- भूपिंदर — चोर बाजार का गुंडा
- मेहुल भोजक — मनु
- युसुफ हुसैन — पुलिस कमिश्नर
- मुकेश आहूजा — बूकी
संगीत
संपादित करेंइस फ़िल्म का गीत बहुत ही पसन्द किया गया था। खास कर 'धूम मचा ले' गीत। इसका बैकग्राउंड म्यूजिक भी लोगो को बहुत पसन्द आया था। कुछ लोगो के फोन का रिंगटोन 'धूम' फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक था।