ध्रोल राज्य
ध्रोल रियासत, ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी की काठियावाड़ एजेंसी और बाद में, भारत गणराज्य के काठियावाड़ और सौराष्ट्र एजेंसी का एक शाही राज्य था।[1] ध्रोल, ब्रिटिशकालीन भारत के उन ५६२ शाही रियासतों में से एक था, जिनके शाशकों को क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त थी। ध्रोल रियासत को ब्रिटिश ताज द्वारा ९-तोपी सलामी रियासत होने का सम्मान प्राप्त था। इस रियासत की राजधानी था काठियावाड़ के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित ध्रोल नगर।
ध्रोल रियासत ધ્રોલ રિયાસત | |||||||||
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of ब्रिटिश भारत की एक शाही रियासत | |||||||||
1595–1948 | |||||||||
सौराष्ट्र के मानचित्र पर ध्रोल रियासत की अवस्थिति | |||||||||
Area | |||||||||
• 1901 | 732 कि॰मी2 (283 वर्ग मील) | ||||||||
Population | |||||||||
• 1901 | 21,906 | ||||||||
History | |||||||||
• Established | 1595 | ||||||||
15 फ़रवरी 1948 | |||||||||
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Today part of | सौराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात राज्य, भारत गणराज्य |
इतिहास
संपादित करेंध्रोल रियासत की स्थापना सन १५९५ में, नवानगर रियासत के संस्थापक, जाम रावल के भाई, जाम हरधोलजी द्वारा हुई थी।[2] ध्रोल राजपरिवार, जडेजा गोत्र के राजपूतों की वरिष्ठतम शाखा के वंशज थे, और श्रीकृष्ण के वंशज होने का दावा करते थे, एवं स्वयं को द्वारकाधीश के सम्मान से नवाज़ा करते थे।
ध्रोल राज्य सन १८०७ में ब्रिटिश संरक्षण के अधीन आ पड़ा, जिसके कारणवश ध्रोल नरेश को अपनी और् अपने रियासत की संप्रभुता अंग्रेज़ सर्कार को सौंपनी पड़ी। १८९९ के अकाल के समय ध्रोल को जान का भारी नुकसान सहना पड़ा था। ध्रोल राज्य की जनसंख्या १८९१ में २७,००७ से घट कर १९०१ की जनगणना में २१,९०६ रह गई थी। ध्रोल राज्य के अंतिम शासक, ठाकुर साहिब चंद्रसिंघजी दीपसिंघजी ने १५ फ़रवरी १९४८ में राज्यारोहण की संधि पर हस्ताक्षर कर अपनी रियासत को आधिकारिक तौर पर भारतीय संघ में परिग्रहित कर दिया था।[3]
शाशक
संपादित करेंकाठियावाड़ के अन्य शाही ख़ानदानों के तरह ही, ध्रोल के शाशकों को "जाम" या "ठाकुर साहब" कहा जाता था, हालाँकि ब्रिटिश काल के दौरान ध्रोल के शाशकों को "ठाकुर साहिब" की उपाधि से संबोधित किया जाता था। ब्रिटिश संरक्षण में, ध्रोल नरेश को ९-तोपों की सलामी के सम्मान प्रदान किया गया था, यह सम्मान स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी भारत गणराज्य में १९७१ तक जारी रहा था।[4]
ठाकुर साहिब गण
संपादित करें- 1595 - .... हरधोलजी
- .... - .... जसोजी हरधोलजी
- .... - .... बमान्यांजी जसोजी
- .... - .... हरधोलजी बमान्यांजी (प्रथम)
- .... - 1644 मोदजी हरधोलजी
- 1644 - 1706 कालोजी (प्र०) पंचन्जी
- 1706 - 1712 जुन्होंजी (प्रथम) कालोजी
- 1712 - 1715 केतोजी जुनोजी
- 1715 - 1716 कालोजी (द्वि०) जुनोजी (मृ० 1716)
- 1716 - 1760 वाघजी जुनोजी
- 1760 - 1781 जयसिंहजी (प्र०) वाघजी
- 1781 - 1789 जुनोजी (द्वि०) जयसिंहजी
- 1789 - .... नाथोजी जुनोजी
- .... - 1803 मोदजी नाथोजी
- 1803 - 1844 भूपतसिंघजी मोदजी
- 1845 - 1886 जयसिंहजी (द्वि०) भूपतसिंघजी) (1824 - 1886)
- 26 अक्टूबर 1886 – 31 जुलाई 1914 हरिसिंघजी जयसिंहजी (1846 - 19..)
- 2 सितंबर 1914 – 31 अगस्त 1937 दौलतसिंघजी हरिसिंघजी (1864 -1937)
- 31 अगस्त 1937 - 1939 जोरावरसिंघजी दीपसिंघजी (b. 1910-1939)
- 10 अक्टूबर 1939 – 15 अगस्त 1947 चंद्रसिंघजी दीपसिंघजी (1912-....)
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Dhrol State - Princely State (9 gun salute)". मूल से 28 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2018.
- ↑ "Imperial Gazetteer of India, v. 11, p. 335". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2018.
- ↑ "Princely States of India". मूल से 1 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2018.
- ↑ "Rajput Provinces of India - Dhrol State (Princely State)". मूल से 16 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2018.
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