नकद आरक्षी अनुपात (कैश रिज़र्व रेशो, सीआरआर) RBI का बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम कम करने का एक उपाय (tool) है । यह किसी बैंक की कुल जमाओं का वह अनुपात है जिसे बैंक को नकदी के रूप में RBI (केंद्रीय बैंक) के पास रखना होता है।[1][2]

पहले इसकी दर बहुत उच्च होती थी, फिर वित्तीय संस्थाओं पर उच्चस्तरीय समिति (CFC - Committee on Financial Companies) जिसे नरसिम्हन समिति के नाम से भी जाना जाता है की सिफारिशों के आधार पर इसे धीरे धीरे कम किया गया, अभी इसकी दर सामान्यतः 4-5 % के आसपास रहती है (हालांकि इस तरह की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है) । समिति की यह भी सिफारिश थी कि RBI को बैंकों को CRR पर ब्याज देना चाहिए, हालांकि अभी CRR पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं मिलता है।


  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अप्रैल 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2014.