नरहरि पटेल, मालवा के गीतकार, लोक संस्कृति के लेखक, कला समीक्षक, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं कवि हैं।

श्री नरहरी पटेल साहब, अप्रैल 2018 में 84 वर्ष की आयू में एक पारिवारिक कार्यक्रम में सम्मिलित होते हुए।

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के छोटे से गाँव सैलाना में जन्मे नरहरिजी को विरासत में ही संगीत, नाटक और कविता का संस्कार मिला. सैलाना आज़ादी के पहले एक रियासत रहा है और वहाँ की ककड़ी और कैक्टस गार्डन की पूरी दुनिया में ख्याति है।

नरहरिजी पचास के दशक में इन्दौर आए और यहाँ भी एक ऐसे मोहल्ले में आकर बसे जहाँ उस्ताद अमीर ख़ाँ, सारंगिये उस्त्ताद मुनीर ख़ाँ, तबला नवाज़ अलादिया ख़ाँ और धूलजी ख़ाँ जैसे बेजोड़ फ़नकार रहा करते थे। नरहरिजी कॉलेज के दिनों में ही प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए जहाँ रमेश बख़्शी, शरद जोशी, चंद्रकांत देवताले, कृष्णकांत दुबे और रामविलास शर्मा जैसे प्रतिभासम्पन युवाओं की आवाजाही थी। वे बाद में जन नाट्य संघ से भी जुड़े. 1957 में जब आकाशवाणी इन्दौर की शुरूआत हुई तब वे लोक कलाओं के ज्ञाता श्याम परमार की नज़र में आए और अतिथि कलाकार में रूप में इस नये रेडियो स्टेशन से जुड़ गए। बाद में उन्हें सत्येन्द्र शरत, भारतरत्न भार्गव, स्वतंत्रकुमार ओझा और प्रभु जोशी जैसे रचनाशील निर्देशकों के कई नाटकों में अपनी प्रभावी आवाज़ की सेवाएँ देने का मौक़ा मिला. आकाशवाणी इन्दौर के बच्चों के कार्यक्रम, ग्राम सभा और युववाणी कार्यक्रम में भी उनकी सक्रिय हिस्सेदारी रही।

नरहरि पटेल पिचहत्तर पार आकर भी सक्रिय हैं और आज भी लिखने पढ़ने में पूरा समय देते हैं। इन्दौर और पूरे मालवा की सांस्कृतिक सरज़मीन के इस सरलमना व्यक्तित्व को हिन्दी सेवा में संलग्न एक सदी पुरातन संस्था श्री मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा श्रीनिवास जोशी सम्मान से 20 फ़रवरी २०१० को नवाज़ा गया।

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