नवानगर के जाम साहब
नवानगर के महाराज जाम साहब, काठियावाड़, वर्त्तमान गुजरात राज्य में स्थित नवानगर रियासत के एकराटिय शासक का पद था, जिन्हें जाम साहब के नाम से संबोधित किया जाता था।
इतिहास और नामकरण
संपादित करेंनवानगर राज्य पर, जाम जडेजा गोत्र के हिन्दू राजपूत वंश का राज था, जोकि सम्माँ राजपूतों की एक शाखा है, जो मूलतः सिंध के हैं। नवानगर और कच्छ राज्य के राजकुटुंब एक ही वंश के थे। स्थानीय भाषा में "जाम" शब्द का अर्थ होता है, "सरदार" जिसे अमूमन सम्माँ वंश व सम्माँ शासित प्रदेशों में राजा के लिए उपयोग किया जाता था। एवं "जाम" नाम के साथ, उनके उचित सम्मान के लिए, "साहब" कह कर भी संबोधित किया जाता था। "जाम साहब" के ख़िताब का उपयोग सबसे पहले जाम रावलजी जडेजा ने किया था जब उन्होंने १५४० में कच्छ में अपनी पुश्तैनी रियासत से पलायन कर हालार के ~१,००० गाँवों पर कब्ज़ा किया था, जो बाद में नवानगर रियासत बानी। गुजरात का वर्त्तमान शहर, जामनगर(जोकि नवानगर राज्य की राजधानी था) का नाम, "जाम साहब" के नाम पर ही है।
नवानगर के जाम साहब गण की सूचि
संपादित करेंशाशनकाल | शाशक | जन्म | निधन |
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2 अक्टूबर 1690 - 13 अक्टूबर 1708 | लखाजी तमाची | 1708 | |
13 अक्टूबर 1708 - 13 अगस्त 1711 | रायसिंहजी लखाजी | 1711 | |
13 अगस्त 1711 - 1743 | तमाची रायसिंहजी | 1743 | |
सितंबर 1743 - 2 नवंबर, 1767 | लखजी तमाची | 1743 | 1767 |
2 नवंबर 1767 - 6 अगस्त 1814 | जसाजी लखाजी | 1814 | |
6 अगस्त 1814 - 24 फरवरी 1820 | सताजी (द्वी०) लखजी | 1820 | |
24 फरवरी 1820 - 22 फरवरी 1852 | रणमलजी साताजी (द्वी०) | 1852 | |
22 फरवरी, 1852 - 28 अप्रैल, 1895 | विभाजी (द्वितीय) रणमलजी | 1827 | 1895 |
28 अप्रैल, 1895 - 14 अगस्त, 1906 | जशवंतसिंहजी विभाजी द्वितीय | 1882 | 1906 |
12 मार्च 1907 - 2 अप्रैल 1933 | रणजीतसिंहजी विभाजी (द्वि०) | 1872 | 1933 |
2 अप्रैल 1933 - 15 अगस्त 1947 | दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी | 1895 | 1966 |
3 फरवरी 1966 - 28 दिसंबर 1971 | शत्रुशाल्यसिंहजी दिग्विजयसिंहजी | 1939 | जीवित |
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
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