नागरीप्रचारिणी पत्रिका
नागरीप्रचारिणी पत्रिका का प्रकाशन नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा १८९७ में आरम्भ हुआ था। उस समय यह हिन्दी की त्रैमासिक पत्रिका थी। श्यामसुन्दर दास, महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी, कालीदास और राधाकृष्ण दास इसके सम्पादक थे। १९०७ ई. में यह मासिक पत्रिका में परिवर्तित कर दी गई और इसके सम्पादक श्यामसुन्दर दास, रामचन्द्र शुक्ल, रामचन्द्र शर्मा और वेणीप्रसाद बनाए गए।
पूर्व संपादक |
श्यामसुन्दर दास, महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी, |
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आवृत्ति | पहले त्रैमासिक १९०७ ई॰ से मासिक |
प्रथम संस्करण | 1897 |
भाषा | हिन्दी |
नागरी प्रचारिणी पत्रिका हिंदी की सबसे प्राचीन शोध पत्रिका है। इसका सारे जगत में खोज जगत में मान है। इसका शीर्षक होता था, 'नागरीप्रचारिणी पत्रिका, अर्थात् प्राचीन शोधसम्बन्धी त्रैमासिक पत्रिका'। इस पत्रिका के संपादक मंडल में बाबू श्याम सुंदर दास, गौरीशंकर हीराचंद ओझा, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, जयचंद विद्यालंकार, डॉ. सम्पूर्णानन्द, आचार्य नरेन्द्र देव, हजारी प्रसाद द्विवेदी, वासुदेवशरण अग्रवाल-जैसे विद्वान् रहे। [1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "नौवीं कक्षा के छात्र जिन्होंने रच दिया इतिहास". मूल से 1 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 नवंबर 2017.