सरस्वती पत्रिका

हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध रूपगुणसम्पन्न प्रतिनिधि पत्रिका

सरस्वती हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध रूपगुणसम्पन्न प्रतिनिधि पत्रिका थी। इस पत्रिका का प्रकाशन इण्डियन प्रेस, प्रयाग से सन १९०० ई० के जनवरी मास में प्रारम्भ हुआ था। ३२ पृष्ठ की क्राउन आकार की इस पत्रिका का मूल्य ४ आना मात्र था। १९०३ ई० में महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक हुए और १९२० ई० तक रहे। इसका प्रकाशन पहले झाँसी और फिर कानपुर से होने लगा था।[1]

श्यामसुन्दर दास के बाद महावीर प्रसाद द्विवेदी तथा उनके पश्चात् पदुमलाल पन्नालाल बख्शी|पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, देवी दत्त शुक्ल, श्रीनाथ सिंह, और श्रीनारायण चतुर्वेदी सम्पादक हुए। वर्तमान में रविनंदन सिंह व अनुपम परिहार इसके संपादक हैं।१९०५ ई० में काशी नागरी प्रचारिणी सभा का नाम मुखपृष्ठ से हट गया।

पुनः प्रकाशन संपादित करें

दिसम्बर २०१७ में समाचार आया कि सरस्वती पुनः प्रकाशित होगी लेकिन कुछ कानूनी अड़चनों से यह सम्भव नहीं हो सका। अब यह पत्रिका लगभग मुद्रित होकर तैयार है और 'कोविड-19' के विदा होते ही प्रयागराज में इसका विमोचन होगा। 'इंडियन प्रेस' के निदेशक श्री सुप्रतीक घोष ने पत्रिका के संपादक के रूप में देवेन्द्र शुक्ल तथा सह सम्पादक अनुपम परिहार को नियुक्त किया है।

17 अक्टूबर 2020 को 'हिंदुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज' के 'गांधी सभागार' में उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित के द्वारा 'सरस्वती' पत्रिका का लोकार्पण हुआ। वर्तमान में सरस्वती पत्रिका के संपादक रविनन्दन सिंह व अनुपम परिहार हैं। पत्रिका नियमित प्रकाशित हो रही है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. शुक्ला, सुधा (2012). महिला पत्रकारिता. प्रतिभा प्रकाशन. पृ॰ 160. मूल से 22 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जुलाई 2015.

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें