इण्डियन प्रेस, प्रयाग
इण्डियन प्रेस, भारत का पुराना और प्रसिद्ध प्रकाशन गृह है। यह प्रयाग में स्थित है। सरस्वती पत्रिका, हिन्दी शब्दसागर सहित बहुत सी प्रसिद्ध पुस्तकों के ये प्रकाशक रहे। बहुत सी विख्यात हस्तियाँ इसके साथ जुड़ी रहीं। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 'गीतांजलि' इसी प्रेस से छपी थी। इसकी स्थापना महान कर्मवीर बंगालीभाषी चिन्तामणि घोष (१८५४ - १९२८) ने सन् १८८४ में की थी।[1][2]
द इंडियन प्रेस लिमिटेड | |
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स्थिति | सक्रिय |
स्थापित | जून 4, 1884इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत | ,
संस्थापक | चिंतामणि घोष |
उद्गम देश | भारत |
मुख्यालय | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
प्रकाशन प्रकार | पुस्तकें, पत्रिकाएँ, समाचारपत्र |
Nonfiction topics | साहित्य, इतिहास, शिक्षा, बाल साहित्य, अकादमिक कृतियाँ |
प्रेस ने 19वीं सदी के उत्तरार्ध में महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों का प्रकाशन किया और साहित्यिक आंदोलनों का समर्थन किया। 1908 से 1922 के बीच, इसने रवींद्रनाथ ठाकुर की 87 रचनाएँ प्रकाशित कीं। इसने पहली हिंदी साहित्यिक पत्रिका सरस्वती का मुद्रण किया और प्रेमचंद के पहले हिंदी उपन्यास तथा सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा ठाकुर की कृतियों के अनुवाद का प्रकाशन किया।[3]
चिंतामणि घोष के नेतृत्व में, प्रेस ने सरस्वती पत्रिका , बंगाली समाचारपत्र प्रवासी, अंग्रेजी समाचारपत्र मॉडर्न रिव्यू, अंग्रेजी त्रैमासिक इंडियन थॉट और बाल पत्रिका बालसखा का प्रकाशन किया। इसके अलावा, इसने साप्ताहिक देशदूत, ग्रामीण पत्रिका हल, मासिक सचित्र संसार, हिंदी साप्ताहिक अभ्युदय, चित्रमय मासिक मंजरी, मासिक विज्ञान जगत और शैक्षिक पत्रिका शिक्षा सहित कई पत्र-पत्रिकाएँ एवं अनेक पुस्तकों का प्रकाशन किया।[4]
इंडियन प्रेस वर्तमान में घोष परिवार की पाँचवीं पीढ़ी द्वारा संचालित की जा रही है और विभिन्न विषयों पर कई भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करना जारी रखी है।[1]
इतिहास
संपादित करेंचिंतामणि घोष, जो पहले पायनियर में एक डिस्पैच क्लर्क थे, ने ४ जून १८८४ को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में इंडियन प्रेस की स्थापना की। उन्होंने प्रारंभिक निवेश के रूप में ₹१२ खर्च कर एक ट्रेडल प्रिंटिंग मशीन खरीदी। समय के साथ, इसने अपने कार्यों का विस्तार किया और प्रकाशन में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठा अर्जित की। २०वीं सदी की शुरुआत तक, यह भारत के सबसे प्रभावशाली प्रकाशन संस्थानों में से एक बन चुका था।[1]
१ जनवरी १९०० को, इंडियन प्रेस ने हिंदी पत्रिका सरस्वती का प्रकाशन शुरू किया, जिसने आधुनिक हिंदी साहित्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पत्रिका में मुंशी प्रेमचंद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', जवाहरलाल नेहरू और लाला लाजपत राय जैसे प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाएँ प्रकाशित हुईं। सरस्वती को हिंदी भाषा के मानकीकरण और साहित्यिक पुनर्जागरण को प्रोत्साहित करने का श्रेय दिया जाता है।[1]
सरस्वती की सफलता के बाद, इंडियन प्रेस ने बंगाली भाषा में प्रवासी और अंग्रेजी में मॉडर्न रिव्यू का प्रकाशन शुरू किया। इसने कोलकाता में इंडियन पब्लिशिंग हाउस नाम से एक अन्य शाखा भी स्थापित की।[1] इसके अलावा, इसने उर्दू भाषा की पत्रिका अदीब का प्रकाशन भी किया, लेकिन इसे विशेष लोकप्रियता नहीं मिली।[2]
इंडियन प्रेस आज भी अपने मूल स्थान, पन्नालाल रोड, चंद्रशेखर आज़ाद पार्क और म्योर सेंट्रल कॉलेज के पास, प्रयागराज से संचालित हो रहा है।[1]
रवींद्रनाथ टैगोर के साथ संबंध
संपादित करें१९०८ में, रवींद्रनाथ टैगोर ने इंडियन प्रेस के साथ अपने लेखन के प्रकाशन का एक समझौता किया। इस समझौते के तहत, टैगोर ने २५% रॉयल्टी पर उन्हें अपने कामों के प्रकाशन का अधिकार दिया, जो उस समय बहुत बड़ी बात थी। १९०८ से १९२३ के बीच, इंडियन प्रेस ने टैगोर की ८७ किताबें प्रकाशित कीं, जिनमें गीतांजलि, चोखेर बाली, गोरा और गल्पगुच्छ जैसी प्रसिद्ध रचनाएँ शामिल थीं।[1][5][6]
१९०९ में, इंडियन प्रेस ने टैगोर की रचनाओं का पहला सचित्र संस्करण प्रकाशित किया, जिसमें उनके द्वारा बनाए गए सात चित्र भी शामिल थे।[1]
गैलरी
संपादित करें-
बालसखा को इंडियन प्रेस ने १९१७ में शुरू किया था
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प्रवासी पत्रिका, पहला अंक, १३०८ बंगाली संवत, इंडियन प्रेस द्वारा प्रकाशित
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मॉडर्न रिव्यू, एक समाचार पत्र, १९३४
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ "The Indian Press". सहपीडिया. 2022.
- ↑ अ आ Poddar, Sanjukta (2023). "The decline of multilingualism in a divided public sphere: The Indian Press and cultural politics in colonial Allahabad (1890–1920)" (PDF). मॉडर्न एशियन स्टडीज. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय.
- ↑ Ghose, Paramita (३ नवंबर २०१८). "From Illahabas to Allahabad to Prayagraj - who cares and why". हिंदुस्तान.
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(help) - ↑ "बाबू चिंतामणि ने दी इंडियन प्रेस की सौगात" (Hindi भाषा में). दैनिक जागरण. ९ अगस्त २०१६.
{{cite news}}
: CS1 maint: unrecognized language (link) - ↑ Ghosh, Arindam (४ नवम्बर २०१७). "Tagore and Allahabad: The Indian Press published all his books from 1908-14 including the Nobel Prize-winning Gitanjali". Different Truths. अभिगमन तिथि: १५ सितम्बर २०२०.
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(help) - ↑ Ghosh, Arindam (११ नवम्बर २०१७). "The Last Visit of Rabindranath Tagore and the Continuum of His Legacy in Allahabad". Different Truths. अभिगमन तिथि: १५ सितम्बर २०२०.
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