नारायण राव पेशवा का जन्म 1755 ईसवी में हुआ था वह बालाजी बाजीराव के सबसे छोटे पुत्र थे अपने दोनों बड़े भाइयों विश्वास राव और माधवराव को खोने के बाद 1772 में उनका राज्याभिषेक हुआ उस वक्त मराठों की स्थिति बहुत ही अच्छी हो चुकी थी नाना फडणवीस महादाजी सिंधिया मराठा साम्राज्य पर अपना प्रभाव स्थापित कर चुके थे परंतु उनके चाचा रघुनाथ राव अपने आप को पेशवा पद के लिए योग्य मानते थे और माधवराव के बाद जेल से बाहर निकल आए और उन्होंने नारायण राव के ऊपर शोषण करना शुरू कर दिया नारायण बहुत परेशान हो गए और उन्होंने अपने सहायक के रूप से हटा दिया रघुनाथ राव ने सुमेर सिंह गर्दी नामक एक गार्ड को कुछ और लोगों के साथ में मिलकर गणेश चतुर्थी वाले दिन नारायण राव को मारने की साजिश रची उन्होंने 30 अगस्त सन 1773 को नारायण राव का वध करवा दिया जिसमें कई सारे नारायण राव के गार्ड्स भी मारे गए और रात को ही रघुनाथ राव और उनकी पत्नी आनंदी बाई ने मिलकर उनके शव को नदी में फेक दिया उनके मरने के बाद अब राधोबा को गद्दी मिल गई परंतु नाना फडणवीस और महादजी सिंधिया के प्रभाव के कारण नारायण राव के एकमात्र पुत्र माधव राव को गद्दी पर बैठा दिया और रघुनाथ राव को पैशवा की गद्दी से हटा दिया जिसके कारण प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध छिड़ गया महादाजी सिंधिया ने अंग्रेजों को मराठा युद्ध में पराजित कर दिया और माधवराव को पेशवा के रूप में अंग्रेजों से साबित करवा दिया और आज भी शनिवार वाड़ा में काका माला बचाओ की आवाज आती है यहां तक की रघुनाथ राव के पुत्र बाजीराव द्वितीय को भी रघुनाथ राव के भूत होने कि एहसास होता था जिसके कारण उसने कई सारे आम के पेड़ों को ब्राह्मणों में दान किया परंतु तब भी उस भूत ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और बिठूर में भी वह भूत उनके पीछे भी छुपा लिया हालांकि कुछ सालों के बाद बाजीराव द्वितीय ने पूजा पाठ करवा कर उससे छुटकारा पाया।