नालको
राष्ट्रीय अलुमिनियम कम्पनी लिमिटेड (नाल्को) खान मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न लोक उद्यम है। इसकी स्थापना 7 जनवरी, 1981 को भुवनेश्वर में इसके पंजीकृत कार्यालय के साथ की गई थी। यह कंपनी खनन, धातु और विद्युत में एकीकृत और विविध प्रचालनों वाली एक श्रेणी ‘ए’ का सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। कंपनी ने 2018-19 में 1732 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो एक दशक में सर्वाधिक है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 11386 करोड़ रुपये का बिक्री कारोबार हुआ है, जो स्थापना के बाद से अबतक का सर्वाधिक है। निर्यात आय ₹4,793 करोड़ दर्ज की गई है, जो 2017-18 की तुलना में 18 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्शाती है। लाभार्जन के मामले में, नालको अपने निजी क्षेत्र की प्रतियोगी कंपनियों से 28 प्रतिशत का इबिटा (ब्याज, मूल्यह्रास, कर, एवं ऋणशोधन पूर्व आय) का सीमान्त दर्ज करके आगे चल रही है। वर्तमान में, भारत सरकार के पास नालको की 51.5% इक्विटी है।
उद्योग | खनिकर्म |
---|---|
स्थापित | भुवनेश्वर 1981 |
भाग्य | सक्रिय |
मुख्यालय | , |
उत्पाद | बाक्साइट |
मालिक | भारत सरकार |
वेबसाइट | http://www.nalcoindia.com/home.html |
नालको देश में एक वृहत्तम एकीकृत बॉक्साइट-एल्यूमिना-एल्यूमिनियम-विद्युत संकुल है। इस कम्पनी के ओड़िशा के कोरापुट जिले के दामनजोड़ी में अवस्थित 68.25 लाख टन प्रतिवर्ष की बॉक्साइट खान और 21.00 लाख टन प्रतिवर्ष(नियामक क्षमता) का एल्यूमिना परिशोधक है और ओड़िशा के अनुगुळ में 4.60 लाख टन प्रतिवर्ष का एल्यूमिनियम प्रद्रावक एवं 1200 मेगावाट क्षमता का ग्रहीत विद्युत संयंत्र है। नालको की एल्यूमिना/एल्यूमिनियम के निर्यात और कॉस्टिक सोड़ा के आयात के लिए विशाखापत्तनम् बन्दरगाह में थोक जहाजी-लदान की सुविधाएँ हैं तथा कोलकाता और पारादीप बन्दरगाहों की सुविधाओं का भी उपयोग किया जाता है। देशीय बाजार में विपणन को सुसाध्य बनाने के लिए दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नै और बॆंगळूरु में कम्पनी के पंजीकृत बिक्री कार्यालय हैं और देश में विभिन्न स्थानों पर इसके 9 स्टॉकयार्ड हैं ।
वुड मैकेंज़ी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, “नालको ने वर्ष 2018 के लिए विश्वभर में बॉक्साइट का सबसे कम लागत वाला उत्पादक होने का गौरव हासिल किया है। यह उपलब्धि इस तथ्य में जुड़ी है कि इस कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से वैश्विक स्तर पर एल्यूमिना के सबसे कम लागत वाले उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखा है। निरंतर गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ, कंपनी की निर्यात आय वर्ष 2017-18 में बिक्री कारोबार की लगभग 43% हुई है और सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कंपनी को 2017-18 में तीसरे सर्वाधिक शुद्ध निर्यात आय करनेवाले केंद्रीय लोक उद्यम का श्रेणी-निर्धारण किया गया था।
क्षमता उपयोग, प्रौद्योगिकी समावेशन, गुणवत्ता आश्वासन, निर्यात कार्य-निष्पादन और लाभार्जन में अपने निरन्तर ट्रेक रिकार्ड के साथ, नालको भारत की औद्योगिक क्षमता का एक उज्ज्वल उदाहरण है ।
मई 1989 से लन्दन धातु बाजार (एल.एम.ई.) में पंजीकरण के साथ नालको वह पहली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है, जिसने अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक बड़े रूप में प्रवेश किया। यह कम्पनी 1992 से मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और 1999 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है। साथ ही यह आई.एस.ओ.-9001, आई॰एस॰ओ॰-14001, ओ.एच.एस.ए.एस.-18000 एवं एस.ए.-8000 प्रमाणपत्र-धारी है; कम्पनी ने ऊर्जा प्रबन्धन प्रणाली के लिए आई.एस.ओ.-50001 मानकों को भी अपनाया है।
सदा-विकासशील बाजार की चुनौतियाँ का सामना करने और कंपनी को एक संधारणीय विकास पथ में सुस्थित करने के लिए, एक नई निगम योजना विकसित की गई है, जिसमें देशीय और वैश्विक दोनों में खनन, धातु और ऊर्जा क्षेत्रों में में रणनीतिक सक्षमता के साथ एल्यूमिनियम मूल्य-शृंखला में एक प्रधान और एकीकृत कंपनी बनने के लिए सुपरिभाषित 3 वर्षं की कार्य-योजना, 7 वर्षों की रणनीति एवं 15 वर्षों की संकल्पना शामिल है। इस निगम योजना द्वारा 2032 तक राजस्व और लाभ में विविध विकास के लिए एक मार्ग-मानचित्र विकसित किया गया है।
एक जिम्मेदार निगम के रूप में, यह कंपनी भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के संरेखण में अक्षय ऊर्जा का दोहन कर रही है। यह कंपनी 198 मेगावाट क्षमता के पवन विद्युत संयंत्र चालू कर चुकी है और आगे 25 मेगावाट के पवन विद्युत संयंत्र पाइपलाइन में हैं, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह उच्चतम अक्षय ऊर्जा उत्पादक बनी है।
बाजार की अनिश्चितताओं के प्रति अधिक लचीला बनने के लिए, इस कंपनी ने एक हर मौसम के अनुकूल एक नया व्यवसाय मॉडल बनाया है। इसकी धूसर क्षेत्र और हरित क्षेत्र विस्तार परियोजनाओं की व्यापक योजनाएँ हैं, जिनमें ओड़िशा में मौजूदा एल्यूमिना परिशोधक, दामनजोड़ी में (धूसरक्षेत्र में) एक मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता की चालू 5वीँ धारा की परिशोधक परियोजना, पोट्टांगी बॉक्साइट खान, उत्कल डी एवं ई कोयला खान का विकास, और ओड़िशा में 5 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता के धूसरक्षेत्र प्रद्रावकों का विकास शामिल है।
आधारभूमि एकीकरण के अंश रूप में, यह कंपनी गुजरात में गुजरात अल्कालिज एण्ड केमिकल्स लिमिटेड (जी.ए.सी.एल.) के साथ संयुक्त उद्यम में एक कॉस्टिक सोड़ा संयंत्र और ओड़िशा में नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड के साथ संयुक्त उद्यम में एक सी.टी. पिच संयंत्र की स्थापना कर रही है।
पूर्वी भारत के औद्योगिक मानचित्र में नालको का नाम अग्रणी है। सच्ची भावना से, यह कंपनी ओड़िशा के औद्योगिक मानचित्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस कंपनी ने एल्यूमिनियम उद्योग से संबंधित ऊर्ध्वप्रवाह एवं अनुप्रवाह उत्पादों संबंधी सहायक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, ओड़िशा इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कोर्पोरेशन (इडको) के साथ अनुगुळ एल्यूमिनियम पार्क प्रा॰ लि॰ (ए.ए.पी.पी.एल.) नामक संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की है।
यह कंपनी अपनी अनुसन्धान एवं विकास गतिविधियाँ का अनुशीलन उत्साह से करती है और 36 पेटेण्ट आवेदित किए हैं जिनमें से 17 पेटेण्ट मंजूर हो चुके हैं तथा मई-2019 तक 6 का व्यावसायीकरण हो चुका है। अपशिष्ट को धन में बदलने के लिए अपने प्रयास के अंश रूप में, यह कंपनी लाल पंक से लौह सान्द्र तथा भुक्त लिक्वर से गैलियम उबारने के लिए प्रयासरत है। कंपनी ने प्रद्रावक के बहिःस्रावी जल को संदूषण-मुक्त करने के लिए नानो-तकनीकी आधारित डी-फ्लूराईडेशन प्रक्रिया चालू की है जो अपने प्रकार की पहली है और इससे इस क्षेत्र की फ्लूओराइड संदूषित होने की दीर्घकाल की समस्या का समाधान हुआ है।
इस कंपनी ने, सफलता के सोपानों चढ़ते हुए, समानुभूतिक निगम सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के माध्यम से अपने प्रचालन के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए कठोर प्रयास किए हैं। विस्थापित परिवारों का पुनर्वास, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय सृजन, स्वास्थ्य-देखभाल और स्वच्छता, शिक्षा एवं कौशल विकास, पीने के साफ पानी की आपूर्ति, आनुषंगिक सुविधाओं का विकास, प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरणीय उपायों, ग्रामीण विकास, कला, दस्तकारी एवं संस्कृति को प्रोत्साहन तथा विभिन्न मानवीय सद्भावना मिशन से नालको ने निगम विश्व में एक गौरवमय स्थान हासिल किया है और अप्रैल-17 में भारत के माननीय राष्ट्रपति के कर-कमलों से स्कोप मेधावी पुरस्कार ग्रहण किया है।
कें.सा.क्षे.उद्यमों में से यह कंपनी पहली ऐसी कंपनी है, जिसने आरम्भ से ही एक निगम सामाजिक उत्तरदायित्व नीति अपनाई है और कंपनी अधिनियम के मानदण्डों का अनुपालन किया है। इसने 2018-2019. तक निगम सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों की बाबत ₹355 करोड़ खर्च किए हैं। निगम सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 2010 में, नालको ने अपना एक स्वतन्त्र फाउण्डेशन गठित किया।
परिधीय क्षेत्रों में जीवन यापन की बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए व्यापक पहलकदमियों के साथ और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए इस कंपनी ने अनेक महत्वाकांक्षी परियोजनाएँ हाथ में ली हैं। इसके उल्लेखनीय प्रयासों में इन्द्रधनुष योजना शामिल है, जिसमें इस कंपनी ने माओवादियों से पीड़ित दामनजोड़ी क्षेत्र के 920 आदिवासी बच्चों को प्रायोजित किया और 3 प्रसिद्ध आवासीय स्कूलों में शिक्षा प्रदान करवाई। सरकार की “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान” के संरेखण में “नालको की लाड़ली” योजना के अधीन अनुगुळ और दामनजोड़ी क्षेत्र के गरीबी की सीमारेखा से नीचे के परिवारों की 416 मेधावी कन्या विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करके कंपनी द्वारा गोद लिया गया।
स्वास्थ्य देखभाल को एक नाज़ुक जरूरत मानते हुए, नालको अपने संयंत्रों के परिधीय गाँवों में 8 एम.एच.यू.ज (मोबाईल स्वास्थ्य एककों) का प्रचालन कर रही है और प्रत्येक वर्ष एक लाख से अधिक रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। एक कदम और आगे बढ़कर, यह कंपनी अनुगुल में एक द्वितीयक आधुनिक नेत्र अस्पताल, दीर्घावधि उपचार करानेवाले अंदरुनी तथा बाहरी रोगियों के परिचरों के लिए एम्स, भुवनेश्वर में एक रात्रि आश्रय-स्थल की स्थापना कर रही है।
भारत सरकार के आह्रवान के अनुसरण में, नालको ने अपने प्रचालन क्षेत्रों के विभिन्न जिलों में 479 शौचालयों का निर्माण करवाकर स्वच्छ भारत अभियान में सक्रिय भागीदारी की है और दामनजोड़ी और अनुगुळ क्षेत्र में 11 परिधीय गाँवों को पूरी तरह खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.).बनाकर एक उत्कृष्ट पहल की है।
प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित तीर्थस्थल विकास कार्यक्रम के अधीन इस कंपनी ने श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी और इसके आपसास के क्षेत्रों को दायित्व लेकर गांधी पार्क को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आनुषंगिक सुविधाओं का विकास तथा स्वच्छता अनुरक्षण कार्य किए, मंदिर में प्रकाश-सज्जा, दीवारों पर जगन्नाथ संस्कृति पर आधारित प्रासंगिक चित्रकारी करके नगर का सौन्दर्यीकरण किया और विसक्षम तथा बीमार व्यक्तियों के लिए रेलवे स्टेशन से मंदिर तक आने-जाने के लिए निःशुल्क बैटरी चालित वाहन चलाए हैं।
विशेषकर कंपनी द्वारा जीवित सांस्कृतिक एवं क्रीड़ाविद प्रतिभाओं का प्रायोजन करने के द्वारा इस प्रान्त की सुप्रसिद्ध धरोहर, कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए इस कंपनी की लगन को भारी सराहना मिली है।
देश में विविध विकास के लिए कुशल जनशक्ति की मांग के साथ, यह कंपनी ₹20 करोड़ के निवेश से खनन क्षेत्र के लिए एक उत्कर्ष केन्द्र की स्थापना कर रही है और खुदरा, स्वास्थ्य देखभाल, सौन्दर्यीकरण, सिलाई मशीन प्रचालन आदि जैसे विभिन्न जरूरतों के क्षेत्रों में प्रशिक्षण साझेदारों के सहयोग से बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
यह कंपनी आरम्भ से ही समाज के लिए गहरी समानुभूतिक चिन्ता प्रदर्शित करते हुए संधारणीय विकास एवं निरंतर लाभार्जन के साथ आगे बढ़ती रही है। ओड़िशा के लाखों लोगों के दिलों में एक आधुनिक औद्योगिक “कोणार्क” के रूप में उकेरी हुई, यह कंपनी अपने साथ काम करनेवाले लोगों के लिए एक विशेष स्थान निर्माण करने में समर्थ हुई है। हितधारकों की संपत्ति को बढ़ाना, कंपनी के विकास को ऊँचा उठाने के लिए प्रमुख उत्प्रेरक बना हुआ है, फिर भी हितधारकों के चेहरे में मुस्कान लाने के लिए प्रबल भावना प्रमुख रही है।