नितिन बोस
नितिन बोस (1897-1986) हिन्दी सिनेमा एवं बाङ्ला सिनेमा दोनों में समान रूप से विख्यात निर्देशक, कैमरामैन एवं पटकथा लेखक थे। उनका अधिकांश कार्य कोलकाता के 'न्यू थियेटर्स' के साथ हुआ था, जहाँ हिन्दी और बाङ्ला दोनों भाषाओं की फिल्में बनती थीं। बाद में वे मुम्बई चले गये जहाँ उन्होंने बॉम्बे टॉकीज़ और फिल्मिस्तान के साथ काम किया। उनके जाने के बाद ही 'न्यू थिएटर्स' बंद हो गया। भारतीय सिनेमा में नितिन बोस ने ही रायचन्द बोराल के सहयोग से[1] पार्श्व गायन की परंपरा आरंभ की थी; सबसे पहले 'भाग्यचक्र' नामक बाङ्ला फिल्म में और फिर उसके हिन्दी रूपांतर 'धूप-छाँव' में। 'गंगा-जमना' उनकी सबसे लोकप्रिय हिन्दी फिल्म मानी जाती है। भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें सन् 1977 में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया।[2]
नितिन बोस | |
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नितिन बोस, भारतीय डाकटिकट (2013) में | |
जन्म |
26 अप्रैल 1897 कोलकाता, भारत |
मौत |
14 अप्रैल 1986 कोलकाता, भारत | (उम्र 88 वर्ष)
पेशा | फिल्म निर्देशक, छायाकार एवं पटकथा लेखक |
कार्यकाल | 1930-1972 |
आरम्भिक जीवन
संपादित करेंफ़िल्मी सफ़र
संपादित करेंसम्मान
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ मृत्युंजय (संपादक) (2017). सिनेमा के सौ बरस (दशम संस्करण). शाहदरा, दिल्ली: शिल्पायन. पृ॰ 137. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-87302-28-3.
- ↑ डॉ॰, सी॰ भास्कर राव (2014). दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता (भाग-1) (प्रथम संस्करण). दरियागंज, नयी दिल्ली: शारदा प्रकाशन. पपृ॰ 83, 89, 90. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82196-00-6.
- ↑ मृत्युंजय (संपादक) (2017). सिनेमा के सौ बरस (दशम संस्करण). शाहदरा, दिल्ली: शिल्पायन. पृ॰ 133. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-87302-28-3.