नित्यानन्द १७वीं शताब्दी के एक भारतीय खगोलविद थे जिन्होने 'सर्वसिद्धान्तराज' नामक संस्कृत ग्रन्थ की रचना की। वे शाहजहाँ के दरबारी विद्वान थे।

अपने मौलिक योगदान के अलावा नित्यानन्द ने अन्य स्रोतों (जैसे अरबों की खगोलिकी) से प्राप्त विचारों को अपने ग्रन्थ में समाहित किया है। उन्होने त्रिकोणमिति के ज्या सूत्रों पर ६५ श्लोक रचे हैं। उन्होने अरब के गणितज्ञ अल-काशी की ज्या (१ डिग्री) का मान निकालने की विधि को भी अपने ग्रन्थ में जगह दी है।[1] इसके अलावा उन्होने अल-काशी की विधि का उपयोग करने पर प्राप्त होने वाले घन समीकरण को हल करने की एक मौलिक विधि भी दी है। जिन ज्या सूत्रों का वर्णन नित्याननद ने किया है उसमें सुप्रसिद्ध सूत्र sin(a+b) = sin(a)cos(b) + cos(a)sin(b) भी है (श्लोक के रूप में)।