नीम करौली बाबा

हिंदू संत

नीम करौली बाबा [1] या नीम करौरी बाबा या महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान[peacock term] संतों में होती है।[उद्धरण चाहिए]इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो कि हिरनगाँव से 500 मीटर दूरी पर है।[उद्धरण चाहिए]

नीम करौली बाबा
नीम करौली बाबा, समाधि मन्दिर, वृन्दावन.

कैंची, नैनीताल, भुवाली से ७ कि॰मी॰ की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है। कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष १५ जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। उस दिन यहाँ बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है। [2][3][4]महाराजजी इस युग के भारतीय दिव्यपुरुषों में से हैं।[5][not in citation given] श्री नीम करोली बाबा को हम महाराज जी कहते है|ऐसा माना जाता है कि जब तक महाराजजी 17 वर्ष  के थे|  | उनको इतनी छोटी सी आयु  मे सारा ज्ञान था| बताते है , भगवान श्री हनुमान उनके गुरु है| उन्होंने भारत में कई स्थानों का दौरा किया और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते थे। गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ की यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित किया करते थे।

कहा जाता है कि एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे।लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। जिस कारण टीटी अफसर ने उन्हें पकड़ लिया। बिना टिकट होने के कारण अफसर ने उन्हें अगले स्टेशन में उतरने को कहा।स्टेशन का नाम नीम करोली था।स्टेशन के पास के गांव को नीम करोली के नाम से जाना जाता है। बाबा को गाड़ी से उतार दिया गया और ऑफिसर ने ड्राइवर से गाड़ी चलाने का आदेश दिया। बाबा वहां से कहीं नहीं गए। उन्होंने ट्रेन के पास ही एक चिमटा धरती पर लगाकर बैठ गए।

चालक ने बहुत प्रयास किया लेकिन ट्रेन आगे ना चली। ट्रेन आगे ना चलने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी गाड़ी में बैठे सभी लोगों ने कहा यह बाबा का प्रकोप है।उन्हें गाड़ी से उतार देने का कारण ही है कि गाड़ी नहीं चल रही है। तभी वहां बड़े ऑफिसर जो कि बाबा से परिचित थे। उन्होंने बाबा से क्षमा मांगी और ड्राइवर और टिकट चेकर दोनों को बाबा से माफी मांगने को कहा।सब ने मिलकर बाबा को मनाया और उनसे माफी मांगी। माफी मांगने के बाद बाबा ने सम्मानपूर्वक ट्रेन पर बैठ गए। लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि इस जगह पर स्टेशन बनाया जाएगा।जिससे वहां के गांव के लोग को ट्रेन में आने के लिए आसानी हो जाए क्योंकि वहां लोग आने के लिए मिलो दूर से चलकर आते थे। तब जाकर ट्रेन में बैठ पाते थे।उन्होंने बाबा से वादा किया और वहां पर नीम करोली नाम का स्टेशन बन गया। यहीं से बाबा की चमत्कारी कहानियां प्रसिद्ध हो गई और इस स्थान से पूरी दुनिया में बाबा का नाम नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा।यही से बाबा को नीम करोली नाम मिला था।[6]

शिक्षा एवम उद्योग संपादित करें

पूर्व में यहाँ के नोनिहालो को शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिरनगाँव प्राथमिक पाठशाला में जाते थे परंतु बर्तमान में अकबरपुर में भी शिक्षा प्राप्त करने हेतु विद्यालय है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "सुर्खियों में आया बाबा नीम करौली का आश्रम". Dainik Bhaskar. Oct 01, 2015. अभिगमन तिथि 4 अक्टूबर 2015. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. "Devotees throng Kainchi Dham fair". The Times of India. जून 15, 2015. अभिगमन तिथि 1 अक्टूबर 2015.
  3. "10 facts to know about Neem Karoli Baba". India TV News. अक्टूबर 1, 2015. अभिगमन तिथि 1 अक्टूबर 2015.
  4. "One 'Mark' who stayed two nights". The Telegraph. सितंबर 30, 2015. अभिगमन तिथि 1 अक्टूबर 2015.
  5. "Uttranchal - Almora". IGNCA. अभिगमन तिथि 4 अक्टूबर 2015.
  6. Goswami, Radha (17/09/2023). "Neem Karoli Baba ka Jivan Parichay". DevBhomi. मूल से पुरालेखित 14 अक्तूबर 2023. अभिगमन तिथि 01/10/2023. |access-date=, |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें