नीलकण्ठ दीक्षित १७वीं शताब्दी के मदुरै के पाण्ड्य राजा तिरुमल नायक के मंत्री थे। वे अद्वैत वेदान्त के महान दार्शनिक अप्पय दीक्षित के पौत्र थे, उनके छोटे भाई अच्चय दीक्षित के पुत्र नारायण अध्वर्यु के पुत्र थे। इनके पिता का नाम नारायण अध्वर्यु दीक्षित और माता का नाम भूमिदेवी था। वे देवी मीनाक्षी के परम भक्त थे। उन्होने अनेक काव्य एवं साहित्यिक कृतियों की रचना की जिसमें से ‘नीलकण्ठविजयचम्पूः’ और 'आनन्द सागर स्तवम्' सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।

कृतियाँ संपादित करें

उन्होंने दो महाकाव्य, एक नाटक, दो शतक, और दर्शनग्रन्थों की रचना की। इनके ३२ ग्रन्थ उपलब्ध हैं।

महाकाव्य
शिवलीलार्णवः , गङ्गावतरणम्
चम्पू
नीलकण्ठविजयचम्पूः
नाटक
नलचरित्रम्
लघु कृतियाँ
कलिविडम्बनम् , सभारञ्जनशतकम् , वैराग्यशतकम् , अन्यापदेशशतकम् , आनन्दसागरस्तवः , शिवोत्कर्षमञ्जरी , शान्तिविलासः
विविध
शिवतत्त्वरहस्यम् , कैयटव्याख्यानम् , मुकुन्दविलासः , गुरुतत्त्वमालिका , सौभाग्यचन्द्रातपा , रघुवीरस्तवः , चण्डीरहस्यम्

नीलकण्ठविजय नामक चम्पू काव्य में उन्होंने समुद्र मन्थन की कथा का वर्णन किया है। इसमें ५ आश्वास (अध्याय) हैं। इनमें काव्योचितप्रतिभा विद्यमान है। विडम्बनात्मक चित्रण में वे निपुण हैं। उनके काव्य में बहुत से मनोहर वर्णन हैं।‎

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें