अप्पय दीक्षित
अप्पय दीक्षित (जन्म लगभग 1520 ई.) वेदांत दर्शन के विद्वान्। इनके पौत्र नीलकंठ दीक्षित के अनुसार ये 72 वर्ष जीवित रहे थे। वे शैवों और वैष्णवों का झगड़ा निपटाने ये पांड्य देश गए, बताए जाते हैं। सुप्रसिद्ध वैयाकरण भट्टोजि दीक्षित इनके शिष्य थे। इनके करीब 400 ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। शंकरानुसारी अद्वैत वेदान्त का प्रतिपादन करने के अलावा इन्होंने ब्रह्मसूत्र के शैव भाष्य पर भी शिव की मणिदीपिका नामक शैव संप्रदायानुसारी टीका लिखी। अद्वैतवादी होते हुए भी शैवमत की ओर इनका विशेष झुकाव था।
हिन्दू दर्शन |
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कृतियाँसंपादित करें
इनके द्वारा रचित अलंकार ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-
- वृत्तिवार्तिकम्
- कुवलयानन्दः
- चित्रमीमांसा
- लक्षणरत्नावली