नीलमणि फूकन (कनिष्ठ)

असमिया भाषा के साहित्यकार

नीलमणि फूकन (जन्म 10 सितम्बर 1933) असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। असमिया साहित्य में उन्हें ऋषि तुल्य माना जाता है। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कविता के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] असमिया साहित्य में विशेष स्थान रखने वाले नीलमणि फूकन पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार, असम वैली पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी फैलोशिप सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

नीलमणि फूकन
पेशासाहित्यकार
भाषाअसमिया भाषा
राष्ट्रीयताभारतीय
विषयकविता–संग्रह
उल्लेखनीय कामsकविता

नीलमणि फूकन का जन्म 10 सितम्बर 1933 को असम के दरगांव में हुआ था । 1961 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त प्राप्त करने के बाद 1964 में गुवाहाटी में आर्य विद्यापीठ कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कैरियर की शुरूआत की, जहां वे 1992 में अपनी सेवानिवृत्ति तक कार्यरत रहे।

रचित ग्रन्थ

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नीलमणि फूकन ने 1950 के दशक की शुरुआत से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। वह असमिया भाषा में कविता की 13 पुस्तकें लिख चुके हैं। असमिया साहित्य की अन्य विधाओं पर भी उन्होंने बहुत काम किया है। प्रगतिशील सोच वाले आधुनिक कवि नीलमणि फूकन करीब सात दशकों से कविता कर्म में सक्रिय हैं, जिन्होंने असमिया कविता को नयी शैली प्रदान की है। आत्मकथा और 13 कविता संग्रह के अलावा आलोचना पर भी उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी उल्लेखनीय कृतियों में 'सूर्य हेनु नामी आहे ए नोडियेदी', 'गुलापी जमुर लग्न', 'कोबिता' इत्यादि प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने जापान और यूरोप की कविताओं का असमिया में अनुवाद भी किया। डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें 2019 में डी.लिट् से सम्मानित किया गया था।

कविता
  • सूर्य हेनो नामि आहे एइ नदीय़ेदि, १९६३
  • निर्जनतार शब्द, १९६५
  • आरु कि नैःशब्द्य्य, १९६८
  • जापानी कबिता, १९७१
  • फुलि थका सूर्यमुखी फुलटोर फाले, १९७३
  • काँइट गोलाप आरु काँइट, १९७५
  • गोलापी जामुर लग्न, १९७७
  • कबिता, १९८० (साहित्य अकाडेमी पुरस्कार प्राप्त )
  • गार्थिय़ा लर्कार कबिता, १९८१
  • नृत्यरता पृथिवी, १९८५
  • सागरतलिर शंख (हीरेन गोहाँइ द्बारा निर्वाचित कविता का संग्रह), १९९४
  • चीना कबिता, १९९६
  • अलप आगते आमि कि कथा पाति आछिलोँ, २००३
कविता का सम्पादन
  • कुरि शतिकार असमीय़ा कबिता, १९७७
  • अरण्यर गान, १९९३
अन्यान्य
  • लोक कल्पदृष्टि (असमीया कला-स्थापत्य का परिचय), १९८७
  • रूप बर्ण बाक (कला और कलाकार का प्रबन्ध), १९८८
  • शिल्पकलार उपलब्धि आरु आनन्द, १९९७
  • शिल्पकलार दर्शन, १९९८
आत्मजीवनी
  • पाति सोणारुर फुल
  • पाहरिब नोवारिलो यि, २०१८
  1. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.