नौलि
नौलि, षट्कर्मों में से एक क्रिया है। यह योग में उपयोग की जाने वाली प्रारंभिक शुद्धि क्रिया है। यह क्रिया उदर क्षेत्र (पाचन अंग, छोटी आंत ) की सफाई के लिए की जाती है। नौलि क्रिया में पेट की आन्तरिक मांसपेशियों को गोल-गोल घुमाया जाता है जिससे उनकी मालिश होता है। [2] [1] इस क्रिया को करने के लिये खड़े होकर, पैरों के बीच कुछ दूरे रखते हुए, घुटनों को मोड़कर किया जाता है। [3]
15वीं शताब्दी में रचित हठयोग प्रदीपिका का दावा है कि नौलि (जादू की तरह) सभी रोगों को दूर करती है। [1]
नौलि हठ योग की एक क्रिया है। [1] प्रायः इसे योग में व्यायाम के रूप में नहीं सिखाया जाता है। नौलि के चार चरण हैं, जो एक के बाद एक सीखे जाते हैं: [4]
- उड्डियन बन्ध : फेफडों को खाली किया जाता है, और पेट पसली के निचले किनारे के नीचे अंदर और ऊपर की ओर खींचा जाता है [5]
- मध्यान नौलि : केवल पेट की केंद्रीय मांसपेशियां सिकुड़ती हैं [5]
- वाम नौलि : केवल पेट की बाईं मांसपेशियां सिकुड़ती हैं [4] [5]
- दक्षिण नौलि : केवल पेट की दाहिनी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं। [4] [5]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसंदर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई Mallinson & Singleton 2017, पृ॰प॰ 49-50, 71-79.
- ↑ "How to Perform Nauli". www.jaisiyaram.com. Shree Bindu Sewa Sansthan, India. 10 March 2017. अभिगमन तिथि 10 March 2017.
- ↑ Walford, Lisa (12 April 2017) [2007]. "Benefits of Nauli". Yoga Journal. मूल से 19 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 August 2019.
- ↑ अ आ इ Beisecker, Ling. "It's Not "Alien Yoga"—It's Nauli Kriya, and Here's How to Do It". Do You Yoga. मूल से 19 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 August 2019.
- ↑ अ आ इ ई "What is Nauli?". Nauli.org (non-profit). अभिगमन तिथि 19 August 2019.