पद्मप्रभ

पद्मप्रभ जी वर्तमान अवसर्पिणी काल के छठे तीर्थंकर हैं

पद्मप्रभ जी वर्तमान अवसर्पिणी काल के छठे तीर्थंकर है। कालचक्र के दो भाग है - उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी। एक कालचक्र के दोनों भागों में २४-२४ तीर्थंकरों का जन्म होता है। वर्तमान अवसर्पिणी काल की चौबीसी के ऋषभदेव प्रथम और भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर थे।[1]

पद्मप्रभ
छटवें जैन तीर्थंकर

पद्मप्रभ भगवान की प्रतिमा, लक्ष्मणी तीर्थ
विवरण
अन्य नाम पद्मप्रभ जिन
एतिहासिक काल १ × १०२२१ वर्ष पूर्व
शिक्षाएं अहिंसा
पूर्व तीर्थंकर सुमतिनाथ
अगले तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ
गृहस्थ जीवन
वंश इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय
पिता श्रीधर धरण राज
माता सुसीमा
पंच कल्याणक
च्यवन स्थान उपरिम ग्रैयेवक के प्रतिकर विमान से
जन्म कल्याणक कार्तिक कृष्ण १३
जन्म स्थान कोशाम्बी
दीक्षा कल्याणक कार्तिक कृष्ण १३
दीक्षा स्थान कोशाम्बी
केवल ज्ञान कल्याणक चैत्र शुक्ला पूर्णिमा
केवल ज्ञान स्थान कोशाम्बी मनोहर वन
मोक्ष फागुन कृष्ण ४
मोक्ष स्थान सम्मेद शिखर
लक्षण
रंग लाल
चिन्ह कमल
ऊंचाई २५० धनुष (७५० मीटर)
आयु ३०,००,००० पूर्व (२११.६८ × १०१८ वर्ष)
वृक्ष प्रियंगु
शासक देव
यक्ष कुसुम
यक्षिणी अच्युता
गणधर
प्रथम गणधर वज्र चमर जी
गणधरों की संख्य १११

इन्हें भी देखें

संपादित करें

सन्दर्भ सूची

संपादित करें
  • मुनि श्री प्रमाणसागर (2008), जैन तत्त्वविद्या, भारतीय ज्ञानपीठ, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-263-1480-5Wikidata Q41794338