सुपार्श्वनाथ
सातवें तीर्थंकर प्रभुजी
सुपार्श्वनाथ जी वर्तमान अवसर्पिणी काल के सातवें तीर्थंकर थे। इनका जन्म वाराणसी के इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार में हुआ था।
सुपार्श्वनाथ | |
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सातवें जैन तीर्थंकर | |
सुपार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा | |
विवरण | |
अन्य नाम | सुपार्श्वनाथ जिन |
एतिहासिक काल | १ × १०२२० वर्ष पूर्व |
शिक्षाएं | अहिंसा |
पूर्व तीर्थंकर | पद्मप्रभ |
अगले तीर्थंकर | चन्द्रप्रभ |
गृहस्थ जीवन | |
वंश | इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय |
पिता | सुप्रतिष्ठ |
माता | पृथ्वी |
पंच कल्याणक | |
जन्म स्थान | काशी (बनारस) |
मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखर |
लक्षण | |
रंग | स्वर्ण |
चिन्ह | स्वास्तिक |
ऊंचाई | २०० धनुष (६०० मीटर) |
आयु | २०,००,००० पूर्व (१४१.१२ × १०१८ वर्ष) |
शासक देव | |
यक्ष | मातंग |
यक्षिणी | शांता |
जन्म स्थली
संपादित करेंवाराणसी में गंगा किनारे स्थित जैन घाट पर भगवान सुपार्श्वनाथ को समर्पित एक मंदिर है। यह भगवान की जन्म स्थली के रूप में विख्यात है। यहीं पर स्याद्वाद महाविद्यालय भी स्थित है।
इन्हें भी देखें
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