उन खनिजों को परमाणु-ऊर्जा खनिज, अथवा ऐटोमिक एनर्जी मिनरल्स कहते हैं, जिनसे परमाण्विक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। भारत जैंसे विकासशील देशों के लिये शक्ति उत्पादन एक समस्या है। भारत के कोयले तथा अन्य ईंधनों के भंडार सीमित है और यदि औद्योगिकरण की वर्तमान गति इसी प्रकार वृद्धि पर रही तो वे भंडार अधिक समय तक न चल सकेंगे। अत: परमाणुशक्ति का उत्पादन ही संतुलित औद्योगिकरण में सहायक हो सकेगा। सौभाग्य से भारत में यूरेनियम तथा थोरियम दोनों ही खनिजों के भंडार संतोषजनक हैं।

परमाण्वीय खनिज

यूरेनियम संपादित करें

वर्तमान समय में यूरेनियम धातु के खनिजों का उपयोग परमाणु-ऊर्जा के निर्माण में होता है। पिचब्लेंड तथा यूरेनाइट में यूरेनियम के ऑक्साइड की मात्रा 69 से 91% तक होती है तथा ये दोनों ही यूरेनियम के प्रमुख् खनिज है। बिहार के सिंहभूम जिले में जदुगूदा निक्षेप यूरेनियम अयस्क का विशालतर क्षेत्र है। यह अयस्क 60 मील लंबी खनिजायित पट्टिका में पाया गया है। जदुगूदा के मुख्य खनिजायित क्षेत्र का, जिसकी सामान्य मोटाई 8 फुट है, नतिलंब विस्तार (strike extention) लगभग 3,500 फुट है। अभी तक बेधन छिद्रों से अयस्क पिंड का 1,000 फुट की गहराई तक विद्यमान हाने का संकेत मिलता है। इस अयस्क में यूरेनिया (U3O8) की मात्रा 0.05% से 0.1500 तक है।

राजस्थान में उदयपुर के समीप यूरेनियम खनिज अयस्क लगभग 100 वर्ग मील के क्षेत्र में पाया गया है। इसमें यूरेनियम की मात्रा केवल 0.02% है। उदयपुर नगर से लगभग 9 मील दक्षिण पूरब के क्षेत्र के दक्षिणी भाग में उभरा नामक स्थान पर अत्यंत समृद्ध अयस्क प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार भीलवाड़ा जिले में भी यूरेनियक का खनन योग्य निक्षेप मिला है।

झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल के राँची, पुरुलिया तथा अन्य आसपास के जिलों में भारी खनिजों के उत्तम निक्षेप मिले हैं, जिनमें भार के अनुसार 10% तक भार खनिजों का अनुपात है। पुरुलिया जिले के निक्षेप पर्याप्त समृद्ध हैं।


थोरियम संपादित करें

मानेज़ाइट थोरियम धातु का प्रमुख खनिज है, जो स्वयं भारी काली रेत का अवयव है, भारत के समुद्री तट पर यह रेत नर्मदा के मुहाने से कन्याकुमारी तक तथा वहाँ से उड़ीसा तट तक, प्राप्त होती है। इसमें थोरियम ऑक्साइड की मात्रा 33% तक तथा यूरेनियम ऑक्साइड की 4.5% तक हो सकती है। केरल के तटवर्ती प्रदेश के निक्षेप भारत और संसार में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है। इसी प्रकार के निक्षेप भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटों पर भी मिलते हैं, जिनमें काली भारी रेत की पर्याप्त मात्रा होती है। बिहार में भी भारी खनिजों के निक्षेप प्राप्त हुए हैं, जिनसे भी थोरियम की प्राप्ति होगी। अभी तक ज्ञात आँकड़ों के अनुसार भारत में 1,50,000 से 1,80,000 टन तक थोरियम धातु के मिलने का अनुमान है।

योजनाएँ और भविष्य संपादित करें

परमाणु-ऊर्जा-आयोग द्वारा भारत के पश्चिमी तट पर अकबायी नामक स्थान पर मोनेज़ाइट बालू पर अभिक्रिया करने के लिये एक संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। विरल मिट्टियाँ तथा ट्राइसेडियम फॉस्फेट के अतिरिक्त यह संयत्र एक प्रकार का "केक" (cake) तैयार करता है, जिसमें यूरेनियम तथा थोरियम पर्याप्त संकेद्रित होते हैं। यह ट्रॉम्बे भेजी जाती है। ट्रॉम्बे में इस "केक" से अत्यंत शुद्ध यूरेनियम तथा थोरियम लवण प्राप्त किए जाते हैं। यूरेनियम का एक लघु संयत्र भी शीघ्र ही कार्य करना प्रारंभ कर देगा, जिसमें रिऐक्टर स्तर की यूरेनियम धातु उत्पन्न की जायगी। यह संयंत्र भारत को प्रयौगात्मक कार्यो तथा रिऐक्टर के प्रयोग के लिये पर्याप्त यूरेनियम धातु प्रदान करेगा। एक संयंत्र ईंधन तत्वों के निर्माण के लिये भी शीघ्र ही तैयार हो जाएगा। इसका निर्माण प्रारंभ हो चुका है।


सन्दर्भ संपादित करें