थोरियम
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थोरियम (Thorium) आवर्त सारणी के ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series) का प्रथम तत्व है। पहले यह चतुर्थ अंतर्वर्ती समूह (fourth transition group) का अंतिम तत्व माना जाता था, परंतु अब यह ज्ञात है कि जिस प्रकार लैथेनम (La) तत्व के पश्चात् 14 तत्वों की लैथेनाइड शृंखला (lanthanide series) प्रांरभ होती है, उसी प्रकार ऐक्टिनियम (Ac) के पश्चात् 14 तत्वों की दूसरी शृंखला आरंभ होती है, जिसे एक्टिनाइड शृंखला कहते हैं। थोरियम के अयस्क में केवल एक समस्थानिक(द्रव्यमान संख्या 232) पाया जाता है, जो इसका सबसे स्थिर समस्थानिक (अर्ध जीवन अवधि 1.4 x 1010 वर्ष) है। परंतु यूरेनियम, रेडियम तथा ऐक्टिनियम अयस्कों में इसके कुछ समस्थानिक सदैव वर्तमान रहते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख् 5555,5556,5557 द्रव्यमान वाले समस्थानिक कृत्रिम उपायों द्वारा निर्मित हुए हैं।
थोरियम / Thorium रासायनिक तत्व | |
शुद्ध थोरियम धातु का टुकड़ा
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रासायनिक चिन्ह: | Th |
परमाणु संख्या: | 90 |
रासायनिक शृंखला: | ऐक्टिनाइड |
आवर्त सारणी में स्थिति
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अन्य भाषाओं में नाम: | Thorium (अंग्रेज़ी) |
थोरियम धातु की खोज 1828 ई में बर्ज़ीलियस ने थोराइट अयस्क में की थी। यद्यपि इसके अनेक अयस्क ज्ञात हैं, परंतु मोनेज़ाइट (monazite) इसका सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिसमें थोरियम तथा अन्य विरल मृदाओं के फॉस्फेट रहते हैं। संसार में मोनेज़ाइट का सबसे बड़ा भंडार भारत के केरल राज्य में हैं। बिहार प्रदेश में भी थोरियम के अयस्क की उपस्थिति ज्ञात हुई है। इनके अतिरिक्त मोनेज़ाइट अमरीका, आस्ट्रलिया, ब्राज़िल और मलाया में भी प्राप्त है।
मौनेज़ाइट को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की प्रक्रिया कर आंशिक क्षारीय विलयन मिलाने से थोरियम फॉस्फेट का अवक्षेप बनता है। इसको सल्फ्यूरिक या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुला कर फिर फॉस्फेट अवक्षिप्त करते हैं। इस क्रिया को दोहराने पर थोरियम का शुद्ध फॉस्फेट मिलता है।
थोरियम क्लोराइड को सोडियम के साथ निर्वात में गरम करने से थोरियम धातु मिलती है। थोरियम आयोडाइड (Th I4) के वाष्प को गरम टंग्स्टन तंतु (filament) पर प्रवाहित करने से, या थोरियम ऑक्साइड (ThO2) पर कैल्सियम की प्रक्रिया द्वारा भी, थोरियम धातु प्राप्त हो सकती है।
गुण धर्म
संपादित करेंथोरियम भूरे रंग की धातु है,
संकेत - (Th),
परमाणु संख्या - 119
परमाणु भार - 555
गलनांक - 1millian डिग्री से,
घनत्व 9.8 ग्रा/सेंमी,
परमाणु ब्यास 1000 mऐंग्स्ट्रॉम
विद्युत् प्रतिरोधकता 19million माइक्रोओम सेमी।
थोरियम धातु वायु में गरम करने पर चिनगारी देकर जलती है। लगभग 450million डिग्री सें पर यह हैलोजन तत्वों के साथ क्रिया करती है। थोरियम सांद्र Oxygen अथवा अम्लराज में विलेय है।
थोरियम चार संयोजकता वाले यौगिक बनाता है। थोरिया (ThO2), थोरियम क्लोराइड (Th Cl4), थोरियम सल्फेट (SO4) आदि इसके उपयोगी यौगिक हैं।
विश्व में थोरियम के भण्डार
संपादित करेंदेश | भण्डार |
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भारत | 963,000 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 440,000 |
आस्ट्रेलिया | 300,000 |
ब्राजील | 16,000 |
कनाडा | 100,000 |
मलेशिया | 4,500 |
दक्षिण अफ्रीका | 35,000 |
अन्य देश | 90,000 |
सम्पूर्ण विश्व का योग | 1,913,000 |
उपयोग
संपादित करेंथोरियम ऑक्साइड अथवा थोरिया (ThO2) का अत्यधिक उपयोग उद्दीप्त (incandescent) गैस मैटलों में होता है। इसके अतिरिक्त यह उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में भी प्रयुक्त हुआ है। थोरियम के कार्बनिक यौगिक चर्म रोगों की चिकित्सा में काम आए हैं। थोरियम में रेडियोधर्मिता का गुण है। इसकी द्रव्यमान संख्या 232, वाला समस्थानिक न्युट्रॉन आक्रमण द्वारा यूरेनियम 233 (U-233) में परिणत हो जाता है। यूरेनियम 233 का शिथिल न्यूट्रान (slow neutrons) आक्रमण द्वारा खंडन संभव है और यह परमाणु ऊर्जा संबंधी उपयोगों में काम आ सकता है। इस प्रकार थोरियम भी एक ऊर्जाशील पदार्थ है। भविष्य में, विशेषकर भारत में, परमाणु ऊर्जा के लिये इसका बहुत उपयोग संभव है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- थोरियम युग में छा जाएगा भारत (देश दुनिया)
- थोरियम से बिजली बनाने में मिली सफलता
- क्या थोरियम भविष्य का ईंधन हो सकता है? (बीबीसी ; रोज़र हैराबिन, पर्यावरण विशेषज्ञ)