परवीन शाकिर
सैयदा परवीन शाकिर (उर्दू: پروین شاکر नवंबर 1952 – 26 दिसंबर 1994), एक उर्दू कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं।[1] इनकी प्रमुख कृतियाँ खुली आँखों में सपना, ख़ुशबू, सदबर्ग, इन्कार, रहमतों की बारिश, ख़ुद-कलामी, इंकार(१९९०), माह-ए-तमाम (१९९४) आदि हैं।[2]
सैयदा परवीन शाकिर | |
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जन्म | 24 नवम्बर 1952 कराची, सिंध, पाकिस्तान |
मौत | 26 दिसम्बर 1994 इस्लामाबाद, पाकिस्तान | (उम्र 42 वर्ष)
पेशा | सेंट्रल सुपीरयर सर्विस की अधिकारी |
राष्ट्रीयता | पाकिस्तानी |
विधा | कविता, गज़ल, मुक्त छंद |
विषय | उर्दू साहित्य |
आंदोलन | उर्दू शायरी में एक युग का प्रतिनिधित्व |
उल्लेखनीय कामs | खुली आँखों में सपना, ख़ुशबू, सदबर्ग, इन्कार, रहमतों की बारिश, ख़ुद-कलामी, इंकार(१९९०), माह-ए-तमाम (१९९४) |
जीवनसाथी | सैयद नसीर अली |
बच्चे | सैयद मुराद अली |
वे उर्दू शायरी में एक युग का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनकी शायरी का केन्द्रबिंदु स्त्री रहा है। फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी। उनकी नज़्में और ग़ज़लें भोलेपन और सॉफ़िस्टीकेशन का दिलआवेज़ संगम है।
पाकिस्तान की इस मशहूर शायरा के बारे में कहा जाता है, कि जब उन्होंने 1982 में सेंट्रल सुपीरयर सर्विस की लिखित परीक्षा दी तो उस परीक्षा में उन्हीं पर एक सवाल पूछा गया था जिसे देखकर वह आत्मविभोर हूँ गयी थी।[3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अशऱफ, फिरोज (२६ दिसंबर २०१९). "परवीन शाकिर वह शायरा जो 'खुशबू' बनकर उर्दू अदब पर बिखर गई". डेक्कन क्वेस्ट. मूल से 24 जून 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2021.
- ↑ "कविताकोश में परवीन शाकिर का परिचय और रचनाएँ". मूल से 16 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 अगस्त 2015.
- ↑ कोमल एहसासों की शायरा परवीन शाकिर Archived 2015-09-23 at the वेबैक मशीन(बीबीसी हिंदी, लेखक: रेहान फ़ज़ल)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर परवीन शाकिर
- कैफे आईना – उनकी कविताओं की ऑन लाइन पुस्तक