पर्यटन में सहायक वस्तुएँ

पर्यटक अनेक प्रकार की भौगोलिक मानचित्रों, उपकरणों व पुस्तकों का प्रयोग करते हैं। एक सही भौगोलिक मानचित्रावली, किसी भी पर्यटक के लिए सर्वप्रथम और मुख्य साधन है। बहुत पहले से ही मानव ज्ञात पृथ्वी का लघु नमूना बनाता रहा है। इस समय मापनी एवं प्रक्षेपों का विकास नहीं हुआ था। विद्वान अपने अनुमान से ही मानचित्र बनाते थे। अल-इदरीसी का बनाया मानचित्र इनमें प्रमुख है। आज के वर्तमान मानचित्रों में अक्षांश रेखाएँ एवं देशान्तर रेखाएँ दी हुई होती हैं जिनकी सहायता से किसी भी स्थल के लघु रूप का कागज पर सतही निरीक्षण किया जा सकता है। ये प्राय मापनी पर आधारित होते हैं। आधुनिक मानचित्र उपग्रहों की सहायता से बनाए जाते हैं जो बड़ी मापनी पर अत्यधिक उपयोगी होते है। मानचित्रावली में पर्यटन पुस्तिका, पर्यटन केंद्रों या विभिन्न स्थानों के पर्यटन विभागों के विवरण जहाँ से आसपास के पर्यटन स्थलों के विवरण और अतिथिगृहों के विवरण आसानी से मालूम हो सकें, दिशासूचक या कुतुबनुमा, विभिन्न प्रकार के आँकड़े इत्यादि होते हैं।

अल-इदरीसी का ११५४ में बनाया विश्व मानचित्र, दक्षिण दिशा को उत्तर में दिखाया गया हैं

पर्यटन साहित्य

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पर्यटन पुस्तिका, किसी भी पर्यटक के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। मुख्यतः इसमें पर्यटक के लिए दर्शनीय-स्थल के चित्रों की सहायता से स्थल की ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारी को बताया जाता है। पर्यटन पुस्तिका, पर्यटक को घूमने की योजना बनाने में सहायता प्रदान करती है। पुस्तिका में स्थानीय स्तर पर घूमने योग्य स्थानों का विवरण दिया होता है। इसमें उस स्थान की वर्तमान जानकारी पर्यटक को दी जाती है। इसमें यह भी बताया जाता है कि वहाँ किस प्रकार जाया जा सकता है और कौन सा मौसम वहाँ जाने के लिये अनुकूल होगा। पर्यटन पुस्तिका में स्थानीय ट्रेवल एजेंटो का पता दिया जाता है। सभी होटलों, क्लबों, सिनेमा घरों, बाजारों, मन्दिरों, सड़कों, टैक्सी स्टेंण्डों, सरकारी कार्यालयों, आदि का संक्षिप्त ब्योरा पर्यटन पुस्तिका में दिया होता है। पर्यटन पुस्तिका का प्रकाशन स्थानीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इसमें प्रामाणिक तथ्यों का समावेश किया जाता है।

स्थान निदेशक

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विभिन्न स्थानों को बताता हुआ स्थान निदेशक सूचक

किसी भी पर्यटक के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण है कि वह अपने पूर्व निर्धारित स्थान पर आसानी से पहुँच सके। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन महत्त्वपूर्ण मार्गों एवं स्थानों पर स्थान निदेशक सूचकों का निर्माण करता है। इस प्रकार के सूचक पर्यटकों के साथ-साथ बाहरी प्रदेशों से आ रहे वाहन चालकों के लिए भी लाभदायक होते हैं। इन सूचकों में स्थानों के नाम के अलावा बाहरी आगन्तुकों के विश्राम लिए सराय, आरामगाह, डाक बंगले, अस्पताल, दूतावास, प्रमुख इमारतें, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, पुलिस स्टेशन, पूजा स्थल, आदि के संकेत दिए होते हैं ताकि पर्यटक आसानी से इन महत्त्वपूर्ण स्थानों पर जा सके।

पर्यटन पुस्तिका में छ्पे मानचित्र मापनी पर आधारित होते हैं। इन मानचित्रों पर दूरियाँ निरूपक भिन्न द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं। निरूपक भिन्न, मानचित्र पर दो स्थानों के मध्य की दूरी तथा पृथ्वी पर उन्ही दो स्थानो की वास्तविक दूरी का अनुपात, जो एक भिन्न के रूप में व्यक्त किया जाता हैं। इसमें जो अंक होते हैं वे मानचित्र के दो बिन्दुओं की दूरी तथा पृथ्वी की सतह पर उनकी वास्तविक दूरी के प्रदर्शक होते हैं। यह मापने का कोई विशेष पैमाना नहीं हैं वरन मात्र इकाई हैं, उदाहरण के लिए १/१००,०००। मापनी पर आधारित मानचित्र पर्यटक को दर्शन किए जा रहे स्थल का लघु रूप दर्शाते हैं। पर्यटक इसकी सहायता से बिना गाईड के भी अकेला अवलोकन कर सकता है। बड़े माप पर छोटे-छोटे भागों को दिखाया जाता है, उदाहरण के लिए अगर हम दिल्ली के चाँदनी चौक को देखना चाहते हैं तो हमें बड़े माप पर बने मानचित्र की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार बड़े भागों को छोटे माप पर दिखाया जाता है, उदाहरण के लिए हमें अगर संयुक्त राज्य अमेरिका का मानचित्र देखना हो तो हमें छोटे माप पर बने मानचित्र की आवश्यकता होगी।

दिक्सूचक

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नौसंचालन दिक्सूचक का दृश्य

यह पर्यटक को दिशा सम्बन्धी सूचना प्रदान करता है। जागरूक और सजग पर्यटकों के लिए दिक्सूचक बहुत आवश्यक यंत्र माना जाता है। गाईड भी किसी स्थान का अवलोकन कराते समय पर्यटकों को दिशा सम्बन्धी जानकारी देना नहीं भूलते हैं। दिक्सूचक मुख्यतः दो प्रकार के पर्यटकों के लिए अधिक उपयुक्त है -

  1. जो पर्यटक वैज्ञानिक पहलुओं का अधिक ध्यान रखते हैं। इस प्रकार के पर्यटक शोध एवं अनुसंधान करने वाले व्यक्ति होते हैं।
  2. जो पर्यटक मनमौजी होते हैं। इस प्रकार के पर्यटक बिना किसी पूर्व योजना के घूमने निकल पड़ते हैं। इस प्रकार के पर्यटकों को प्रायः खोजकर्ता या रोमांच को पसन्द करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है।

मानचित्रण प्रस्तुतिकरण

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प्राचीन समय की तुलना में वर्तमान में मानचित्रण प्रस्तुतिकरण में क्रान्तिकारी बदलाव हुए हैं। आज के मानचित्र उन्नत भौगोलिक तकनीकों पर आधारित हैं। उपग्रहों के माध्यम से पृथ्वी के त्रिविम आयामी मानचित्रों का निर्माण किया जाता है। तकनीकों के द्वारा ही आकाश से तस्वीरें लेकर संसार के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे भाग का सटीक मानचित्र तैयार कर दिया जाता है। तैयार मानचित्र पर सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रदर्शन भी उन्नत भौगोलिक तकनीकों द्वारा कर दिया जाता है।

चित्र:2005xtoursim receipts.PNG
अंतराष्ट्रीय पर्यटन का २००५ में सकेन्द्रण

ये मानचित्र पर्यटक आसानी से अपनी जेब में रख सकता है। इन मानचित्रों में रुढ़ चिह्न दिये होते है जिस कारण इन्हें समझना आसान होता है। प्रमुख प्रकार के मानचित्र जो पर्यटन उद्योग में योगदान देते हैं इस प्रकार हैं- १.भूवैज्ञानिक मानचित्र, २.स्थलाकृतिक मानचित्र, ३.मौसम मानचित्र, ४.ऐतिहासिक मानचित्र, ५.धार्मिक मानचित्र

सांख्यिकीय आँकड़ों का निरूपण

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भूगोल में सांख्यिकीय आँकड़ों की सहायता से विभिन्न आरेख बनाए जाते हैं। [ इसके अन्तर्गत अनेक आरेखों द्वारा पर्यटन के भिन्न-भिन्न पहलुओं का अवलोकन किया जाता है। ये प्रस्तुत आरेख पर्यटन के अनेक पहलुओं का अध्ययन करने में सहायक सिद्घ होते हैं। इनके प्रमुख प्रकार हैं -

चित्र:Touristic countries.jpg
२००१ में पर्यटकों द्वारा संसार के सर्वाधिक घूमे गए देश
  • एकविम आरेख
  1. रेखा आरेख
  2. दण्ड आरेख
  3. पिरैमिड आरेख
  4. जल बजट आरेख
  5. वर्षा परिक्षेपण आरेख
     
    विश्व में अंग्रेज़ी बोलने वाले प्रमुख देशों को दर्शाता चक्र आरेख
  • द्विविम आरेख
  1. ईकाई वर्ग आरेख
  2. वर्गाकार ब्लॉक आरेख
  3. आयताकार आरेख
  4. चक्र आरेख
  5. वलय आरेख
  • त्रिविम आरेख
  1. गोलीय आरेख
  2. घनारेख
  3. ब्लॉक पुंज आरेख