पशु विषाक्तन
पशु विषाक्तन या पशु विषाक्तीकरण (animal Poisoning) से तात्पर्य विष का उपयोग करके पशुओं को मारने से है। इसके लिए अनेक प्रकार के विष का उपयोग किया जाता है जो या तो उनके चारे में मिलाया जाता है या फिर उन्हें सीधे ही दे दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षो में जंगली जानवरों एवम पशुओं के अंगो की तस्करी के कारण एसी घटनाएँ अत्यधिक बढ़ गई हैं। अवैध रूप से पशुओं का शिकार करके या फिर उन्हें विष देकर उन्हें मारा जाता है और उनके अंगो की तस्करी की जाती है।[1]
प्रमुख विष
संपादित करेंपशु विषाक्त्तन के लिए उपयोग किये जाने वाली कुछ प्रमुख वस्तुए निम्न हैं:
- आर्सेनिक ऑक्साइड
- पीला कनेर
- गुन्ची या रत्ती
- मीठा ज़हर
- मदार
- सर्प विष
- रसकपूर
- हाइड्रोसाईनिक अम्ल
- कीटनाशक
- यूरिया
- नक्स वोमिका के बीज
साक्ष्य संकलन
संपादित करें- पशुओं के नाजुक अंग जैसे की गर्दन, जांघ, जान्नंग आदि का सूक्षम अवलोकन करना चाहिए। उनकी चमड़ी में छिद्र पाए जा सकते है जो की सुतारी विष का परिणाम होता है और उसका संकेत देता है। ऐसी स्थिति में सुतारी को खोज के उससे एक कागज में लपेट क्र सुरक्षित रखना चाहिए।
- अगर पशु के मुह में कोई संदेहास्पद वस्तु या पदार्थ मिले तो उस पदार्थ को परिक्षण हेतु भेजा जाना चाहिए।
- पशु के नथुनों, विंड पाइप एवम फेफड़ों की अंदरूनी झिल्ली भी सुरक्षित करके उसको भी परिक्षण के लिए भेजा जाता है।
परीक्षण
संपादित करें- पशु का प्रकार जैसे गाय, घोडा, बकरी, भेढ़ आदि।
- विषाक्त्ता के पश्चात एवम मृत्यु से पूर्व के लक्षण।
- विष देने के कितने समय पश्चात पशु की मृत्यु हुई है।
- विष का प्रकार पता करना भी पशु विषाक्त्ता के परिक्षण में ही आता है।
- पशु की अनुमानित, उसकी आयु एवम विषाक्त्ता के पूर्व की सामान्य स्थिति।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Strychnos nux-vomica". Natural Resources Conservation Service PLANTS Database. USDA. Retrieved 4 December 2015.
- ↑ Harry L. Arnold (1968). Poisonous Plants of Hawaii. Tokyo, Japan: Charles E. Tuttle. p. 20. ISBN 0-8048-0474-5.
इन्हें भी देखें
संपादित करें- विषविज्ञान (टॉक्सिकोलोजी)