पसमांदा मुसलिम महाज

मुसलमानों मे ऊँच नीच का भेद नहीं है ओर जो भेद करते हैं वो मुसलमान नहीं हो सकता है ।

पसमांदा मुसलिम महाज (पीएमएम)(हिन्दी में, पिछड़ा मुस्लिम फ्राँट) भारत के पिछड़े एवं दलित मुसलमानो के उद्धार के उद्देश्य से गठित संस्था है। इसकी स्थापना पटना में अली अनवर ने १९९८ में की थी। अनवर स्वयं 'अंसारी' जाति के पिछड़े मुसलमान' हैं। उन्होंने निम्न वर्ग के मुसलमानों पर उच्च वर्ग "अशराफ" मुसलमानों द्वारा जातिगत उत्पीड़न को देखकर संगठन की बिहार में पसमांदा आंदोलन के कारण जदयू राजद ने कथित उच्च वर्गीय शेख सैय्यद मुगल के बजाय अंसारी मंसूरी आदि को प्रतिनिधित्व देना शुरू किया अली अनवर अंसारी को जदयू ने राज्यसभा सांसद बनाया उत्तर प्रदेश में अली अनवर के हमराही बने अनीस मंसूरी ने जल्द ही अपना गुट बना लिया और समाजवादी पार्टी सरकार ने उन्हें भी राज्यमंत्री का दर्जा दिया इसके बाद उत्तर प्रदेश में पसमांदा संगठन बनाने और सत्ता में हिस्सेदारी पाने की बाढ़ आ गई भाजपा सरकार में दानिस आजाद अंसारी को राज्यमंत्री बनने पर पसमांदा मुस्लिम महाज ने अपने आंदोलन की जीत बताया था कि पार्टियां और सरकारें अब पसमांदा की अनदेखी नहीं कर सकती हैं

उद्देश्य

संपादित करें

पसमांदा मुस्लिम महाज़ व्यक्तिगत कानून, आरक्षण और चुनावी राजनीति के मुद्दों के साथ-साथ दलित मुसलमानों पर शारीरिक हमला करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग के संबंध में दलित मुसलमानों की वकालत करता है।[1] उन्होंने दलित मुसलमानों के अधिकारों की भी वकालत की है कि वे अपने मृतकों को अलग-अलग कब्रिस्तानों में दफनाने के बजाय पारंपरिक कब्रिस्तानों में रखें, जहां जाति-आधारित भेदभाव का प्रचलन है।[2]

पीएमएम रंगनाथ मिश्रा आयोग द्वारा सुझाए गए मुसलमानों के लिए ओबीसी कोटा के कदम का विरोध करता है, क्योंकि उनके अनुसार यह कोटा उच्च जाति के मुसलमानों के लिए है।[3]

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें
  1. "coms2/summary_0198-314190_ITM चिलराओं हत्याएं: कार्रवाई की मांग". मूल से 26 अगस्त 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2022.
  2. Sahay, Anand Mohan (6 March 2003). "Backward Muslims protest denial of burial". Rediff.
  3. "Dalit Muslims may make Paswan's job easy". DNA. 24 September 2015.