Π आबन्ध
(पाई आबन्ध से अनुप्रेषित)
रासायनिकी में, π आबन्ध सहसंयोजक रासायनिक आबन्ध होते हैं, जिनके निर्माण हेतु आण्विक p-p कक्षक इस प्रकार अतिव्यापन करते हैं कि उनके अक्ष एक दूसरे के समांतर तथा अन्तर्नाभिकीय कक्ष से लम्बवत् होते हैं। इस प्रकार पार्श्वातिव्यापन के फलस्वरूप निर्मित कक्षक में परमाण्वों के तल के ऊपर तथा नीचे दो प्लेटनुमा आवेशित अभ्र होते हैं। π आबन्ध द्व्याबन्ध और त्र्याबन्ध में बन सकते हैं किन्तु अधिकतर मामलों में एकल आबन्ध में नहीं बनते हैं।