पाई अविभाजित भारत और बर्मा में मुद्रा की इकाई थी। १९वीं सदी के अंत में ये भारत में सबसे छोटा ढाला हुआ सिक्का था। एक रुपये में १९२ पाई होते थे।[1] १९४२ में इसको छापना बंद कर दिया गया था और कुछ ही सालों में बढ़ती मुद्रास्फीति में पाई का विमुद्रीकरण कर दिया गया।[2] इसका उपयोग "पाई पाई जोड़कर फलाना बनाया है" में अभी भी आमजन की भाषा में देखा जा सकता है।[3]

भोपाल रियासत का एक आना और तीन पाई मूल्य वाला स्टांप

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. मिलिंद सांगोराम (2016). भारतीय इनकम टैक्स की कहानी. प्रभात प्रकाशन. पृ॰ 88. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789351868149. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)
  2. "भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर पाई के बारे में" (अंग्रेज़ी में). मूल से 11 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 फरवरी 2018.
  3. "दैनिक भास्कर में छपी खबर". 18 अप्रैल 2017. अभिगमन तिथि 15 फरवरी 2018. लोगों ने पाई-पाई जोडकर रुपए जमा किए