वैध मुद्रा
वैध मुद्रा (legal tender) वह सिक्का अथवा बैंकनोट है जो कानूनी रूप से कर्ज अथवा देयता के बदले दी जा सकती है। हर देश की अपनी-अपनी वैध मुद्रा होती है।
भारत सरकार द्वारा सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत जारी सिक्के भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते कि उन्हें विकृत नहीं किया गया हो तथा निर्धारित वजन की तुलना में उसका वजन कम नहीं हुआ हो ।
विमुद्रीकरण
संपादित करेंविमुद्रीकरण (demonetization या विमौद्रीकरण या नोटबन्दी) एक आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा को चालू करती है। जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। जिनके पास काला धन होता है ,वे उसके बदले में नई मुद्रा लेने का साहस नहीं जुटा पाते हैं और काला धन स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
सबसे हालिया नोटबंदी की घोषणासबसे हालिया नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर 2016 को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई थी। इस चरण के दौरान 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रुपये के नए नोट भी पेश किए। इस चरण के दौरान 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को लन से बाहर कर दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रुपये के नए नोट भी पेश किए। इस दिन से पुराने 500 और 1000 रूपए की मुद्रा बंद कर दी गई और नए मुद्राये चलाई गई। इसके पहले भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के द्वारा सन्र 1978 में सर्वप्रथम मुद्रा का विमुद्रीकरण किया गया जिसमे 1000 और 5000 के नोट बंद किये गए थे।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- जानिए क्या है विमुद्रीकरण (जनसत्ता)
- तीन फैसले - राजवेंद्र सिंह, विमुद्रीकरण का विश्लेषण करती किताब।
सन्दर्भ
संपादित करेंयह अर्थशास्त्र-सम्बन्धी लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |