१९५६ का पाकिस्तानी संविधान

1956 का संविधान पाकिस्तान में मार्च 1956 से अक्टूबर 1958 तक लागू पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता व संविधान थी, जिसे 1958 के तख्तापलट को बाद निलंबित कर दिया गया था। यह पाकिस्तान का पहला संविधान था।

पृष्ठभूमि

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1950 में भारत में संविधान के परवर्तन के बाद, पाकिस्तान के सांसदों ने अपने संविधान को गठित करने के प्रयास तेज़ कर दिए। प्रधानमंत्री मोहम्मद अली और उनकी सरकार के अधिकारियों ने देश में विपक्षी दलों के सहयोग के साथ पाकिस्तान के लिए एक संविधान तैयार करने के लिए काम किया। [1]

अंत में, इस संयुक्त कार्य के कारण, संविधान के पहले समूच्चय को लागू किया गया। यह घटना 23 मार्च 1956 को हुई थी,इस दिन को आज भी पाकिस्तान के संविधान के प्रवर्तन के उपलक्ष्य में गणतंत्रता दिवस(या पाकिस्तान दिवस) मनाता है। इस संविधान ने पाकिस्तान को "एकसदनीय विधायिका" के साथ सरकार की संसदीय प्रणाली प्रदान की। साथ ही, इसने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य घोषित भी किया(इसी के साथ पाकिस्तान विश्व की पहली इस्लामी गणराज्य बन गई)। इसके अलावा, इसमें, समता के सिद्धांत को भी पहली बार पेश किया गया था।

मुख्य विशेषताएं

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इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थे:

  • इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान[1] - देश के आधिकारिक नाम के तौर पर अपनाया गया था
  • उद्देश्य संकल्प(ऑब्जेक्टिव रेज़ोल्यूशन) - उद्देश्य संकल्प को संविधान द्वारा पारगम्य के रूप में शामिल किया गया था।
  • सरकार की प्रणाली - सरकार के मुखिया के रूप में प्रधानमंत्री के साथ संसदीय प्रणाली।
  • एकसदनीय विधानमंडल - एकल सदन, केवल नेशनल असेम्बली, 300 सदस्यों के साथ; प्रत्येक, पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से 150 सदस्य।
  • राष्ट्रपति - रियासत के एक मुस्लिम नागरिक, और औपचारिक राष्ट्राध्यक्ष होगा। आंतरिक या बाहरी खतरे के मामले में वे देश में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
  • इस्लामी कानून - कोई भी कानून कुरान और सुन्नत की शिक्षाओं के खिलाफ पारित नहीं किया जाएगा।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका - एक शीर्ष अदालत के रूप में सर्वोच्च न्यायालय - सभी निर्णयों के अंतिम मध्यस्थ होगा।
  • मौलिक अधिकारों - आंदोलन, भाषण और पेशे की स्वतंत्रता; एवं जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और संपत्ति और धर्म का पालन करने का अधिकार।
  • भाषा - अंग्रेजी, उर्दू और बांग्ला राष्ट्रीय भाषाओं किए गए थे।

संविधान द्वारा, इस्कंदर मिर्जा ने अध्यक्ष पद ग्रहण किया, लेकिन राष्ट्रीय मामलों में उनकी लगातार असंवैधानिक भागीदारी के कारण, चार निर्वाचित प्रधानमंत्रियों को मात्र दो सालों में ही बर्खास्त कर दिया गया। जनता के दबाव के तहत, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने 1958 में तख्तापलट को वैध ठहराया; और इस प्रकार यह संविधान लगभग निलंबित हो गया। शीघ्र ही बाद में जनरल अयूब खान ने इस्कंदर मिर्जा अपदस्थ और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। और इसलिए इस यह संविधान केवल 3 साल के लिए ही चल पाया।

इन्हें भी देखें

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  1. others contribution; एवं अन्य. "The Constitution of 1956". Story of Pakistan. Nazaria-e-Pakistan, part I. मूल से 2 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 June 2014. Explicit use of et al. in: |first1= (मदद)

बाहरी कड़ियाँ

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