पारनेरा पहाड़ी
पारनेरा पहाड़ी (Parnera Hill) भारत के गुजरात राज्य के वलसाड ज़िले के पारनेरा नगर में स्थित एक 152 मीटर (499 फीट) ऊँची पहाड़ी है। यह ज़िला मुख्यालय, वलसाड, से 6.5 किमी दूर है। इस पहाड़ी पर जाने के दो मार्ग हैं - एक पारनेरा से और दूसरा अतुल से।[1][2][3]
पारनेरा पहाड़ी | |
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Parnera Hill પારનેરા ડુંગર | |
उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 152.4 मी॰ (500 फीट) |
निर्देशांक | 20°32′56″N 72°56′53″E / 20.549°N 72.948°Eनिर्देशांक: 20°32′56″N 72°56′53″E / 20.549°N 72.948°E |
भूगोल | |
स्थान | पारनेरा, वलसाड ज़िला, गुजरात, भारत |
भूविज्ञान | |
पर्वत प्रकार | पहाड़ |
इतिहास
संपादित करेंइस पहाड़ पर एक हिन्दू राजा द्वारा बनाया एक दुर्ग हुआ करता था, जिसके अवशेषों से उसे बनाने वाले वास्तुशास्त्रियों की निपुणता दिखती है। यह 15वीं शताब्दी में घरमपुर के नरेश के अधीन था। 15वीं शताब्दी में इसे दमन में कब्ज़ा करे हुए पुर्तगालियों ने 1558 और 1568 में आक्रमण कर के नष्ट कर दिया। 1664 और 1670 में छत्रपति शिवाजी ने सूरत पर आक्रमण करा और पारनेरा दुर्ग से गुज़रे। 1696 में शिवाजी के सैन्य सरदार श्री मोरो पण्डित ने इस दुर्ग को अधीन लेकर यहाँ एक सैनिक छावनी बनाई। 1780 तक मराठा साम्राज्य का पेशवा काल समाप्त हुआ और वडोदरा की गायकवाड सरकार ने इसपर नियंत्रण कर लिया। पेशवा बालाजी बाजीराव तृतीय ने इसपर आक्रमण करा और सात दिनों तक लड़ाई चली, जिसका वर्णन "पारनेरा नी लोल" नामक गरबा में करा जाता है। फिर ब्रिटिश राज काल में इसपर ब्रिटिश ने कब्ज़ा कर लिया और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इसे नष्ट कर दिया गया। उसके अवशेष पहाड़ पर मिलते हैं। यहाँ तीन बावड़ी (कुएँ) हैं जिनका प्रयोग सैनिक करा करते थे। दुर्ग में कभी 150 तोपें हुआ करती थीं, लेकिन अब केवल तीन हैं।[4][5]
मन्दिर
संपादित करेंपारनेरा पहाड़ी पर तीन मन्दिर हैं:
- श्री महा काली माता मन्दिर
- श्री चण्डिका, श्री अम्बिका, श्री नवदुर्गा, श्री शीतला माता और हनुमान जी मन्दिर
- स्वयंभू रामेश्वर महादेव मन्दिर
श्री महा काली माता मन्दिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। दुर्ग की दक्षिणी भाग में एक चट्टान है जिसमें बनी एक गुफा के भीतर श्री महा काली माता की मूर्ति है। पहाड़ पर एक पुरातन मन्दिर है जिसमें श्री चण्डिका, श्री अम्बिका, श्री नवदुर्गा और श्री शीतला माता की मूर्तियाँ हैं। इसके आगे एक हनुमान जी का मन्दिर है। स्वयंभू रामेश्वर महादेव मन्दिर इसके समीप है। मान्यता है कि यहाँ श्री चण्डिका, श्री अम्बिका, श्री नवदुर्गा, श्री शीतला और श्री कालिका रह रहीं थी, लेकिन श्री कालिका रुष्ठ होकर गुफा में चली गईं। हर अक्तूबर में नवरात्रि में यहाँ एक बड़ मेला आयोजित करा जाता है।[6]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Gujarat, Part 3," People of India: State series, Rajendra Behari Lal, Anthropological Survey of India, Popular Prakashan, 2003, ISBN 9788179911068
- ↑ "Dynamics of Development in Gujarat," Indira Hirway, S. P. Kashyap, Amita Shah, Centre for Development Alternatives, Concept Publishing Company, 2002, ISBN 9788170229681
- ↑ "India Guide Gujarat," Anjali H. Desai, Vivek Khadpekar, India Guide Publications, 2007, ISBN 9780978951702
- ↑ "History of Parnera Hill, Valsad". Chamundadhamparnera.org.
- ↑ "Historical Fort, Parnera Hill, Valsad". Darpandodiya.com. मूल से 15 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 सितंबर 2022.
- ↑ "વલસાડના પારનેરા ડુંગરનો ડ્રોન નજારો, વરસાદમાં સોળે કળાએ ખીલી ટેકરીઓ". Divyabhaskar.