पिअरो डी कॉसिमो (Piero di Cosimo या Piero di Lorenzo ; 2 जनवरी 1462 – 12 अप्रैल 1522) फ्लोरेन्स का पुनर्जागरण युग का चित्रकार था। वह मिथिक चित्र बनाने के लिए जाना जाता है।

प्रोक्रिस की मृत्यु (१४९५ ई)

उसका जन्म फ्लोरेन्स में हुआ था। उसके पिता एक सुनार थे। प्रारम्भ में कॉसिमो ने रोसेल्ली के तत्वावधान में काम सीखा। १४८२ में रोसेल्ली के साथ वह रोम गया और दोनों ने सिस्ताइन चैपल के भित्तिचित्रों का निर्माण किया। पियरों की कल्पना इतनी उर्वर और ग्रहणशक्ति इतनी तीव्र थी कि प्राचीन क्लासिक गाथाएँ उसकी अंतरंग वृत्ति में रम गई। वर्लिन गैलरी में 'मार्स और वीनस' , ड्रेसडन में 'होली फैमिली' तया फ्लारेंस, रोम, वियना, लूव्र के कला संग्रहालयों में सुरक्षित कलाकृतियों में उसकी नैसर्गिक पवित्र भावना और धार्मिक रुचि का आभास मिलता है।

लैडस्कोप, प्राकृतिक दृश्य एवं हरे भरे खुशनुमा वातावरण को चित्रित करने में भी वह बड़ा ही दक्ष था। उसके बनाए कुछ 'पोट्रेंट' चित्र भी मिले हैं जिनमें डलविच में प्राप्त एक युवक के शिरोभाग का छवि चित्र बड़ा ही सुंदर बन पड़ा है। इतिहासकार बेज़ेरी ने लिखा है कि वह फ्लोरेंस के उत्साही और शौकीन युवकों की रुचि को तृप्त करनेवाले जुलूसों, प्रदर्शनों, खेल तमाशों और उत्सव आयोजनों के चित्र बनाने में भी बड़ा ही पटु था। उसकी शिष्यपम्रपरा में कितने ही सुप्रसिद्ध कलाकार हुए।