पिनाकी चन्द्र घोष
पिनाकी चन्द्र घोष (जन्म 28 मई 1952) भारत के प्रथम एवं वर्तमान लोकपाल हैं। उन्होने १९ मार्च २०१९ से लोकपाल का कार्यभार सम्भाला। वे भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायधीश हैं।[1][2] [3]
पिनाकी चन्द्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ। वह कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। वे कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया। उन्होंने 30 नवम्बर 1976 को पश्चिम बंगाल बार काउंसिल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया।
वे 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च, 2013 को पदभार ग्रहण किया था। वह पूर्व में कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं और आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश घोष की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता और तीन अन्य को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 मार्च 2019.
- ↑ https://barandbench.com/justice-pc-ghose-supreme-court/
- ↑ "Supreme Court to get two more judges". The Hindu News Portal. 23 February 2013. मूल से 29 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 मार्च 2019.