पुनर्भरणीय विद्युत्कोष

(पुनर्भरणीय बैटरी से अनुप्रेषित)

जिन बैटरियों को पुन: आवेशित करके पुनः विद्युत ऊर्जा ली जा सकती है उन्हें पुनर्भरणीय बैटरी (rechargeable battery) कहते हैं। इन्हें द्वितीयक सेल भी कहते हैं। इनमें होने वाली विद्युतरासायनिक अभिक्रियाएँ विद्युतीय रूप से उत्क्रमणीय (electrically reversible) होती हैं। पुनर्भरणीय बैटरियाँ Archived 2022-09-05 at the वेबैक मशीन विभिन्न आकार-प्रकार की होतीं है - बटन सेल से लेकर मेगावाट शक्ति प्रदान करने वाली प्रणालियाँ (विद्युत वितरण को स्थायित्व प्रदान करने के लिये)

तरह-तरह की पुनर्भरणीय बैटरियाँ

बैटरी को चार्ज करना और डिस्चार्ज करना

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बैटरी को चार्ज करते समय की स्थिति का चित्रण

सेल को चार्ज करते समय उसका धनात्मक सक्रिय पदार्थ आक्सीकृत होकर एलेक्ट्रॉन देता है। इसी समय सेल का ऋणात्मक सक्रिय पदार्थ अपचयित होकर एलेक्ट्रानों को ग्रहण करता है। ये ही एलेक्ट्रान वाह्य परिपथ में धारा प्रवाह कराते हैं। विद्युत अपघट्य एक साधारण माध्यम का कार्य कर सकता है जिससे होकर एक एलेक्ट्रोड से दूसरे एलेक्ट्रोड तक आयन आसानी से गति कर सकें (जैसे लिथियम आयन बैटरी और निकल-कैदमियम सेल में होता है); अथवा विद्युत-अपघट्य सेल के अन्दर होने वाली विद्युतरासायनिक क्रिया में सक्रिय भाग भी ले सकता है (जैसे लेड-एसिड सेल में)

पुनर्भरणीय बैटरियों की सारणी

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प्रकार वोल्टताa ऊर्जा घनत्वb शक्तिc दक्षताd E/$e डिस्चार्जf चक्रg आयुh
(V) (MJ/kg) (Wh/kg) (Wh/L) (W/kg) (%) (Wh/$) (%/माह) (#) (वर्ष)
लेड एसिड बैटरी 2.1 0.11-0.14 30-40 60-75 180 70%-92% 5-8 3%-4% 500-800 5-8 (गाड़ियों की बैटरी), 20 (stationary)
अल्कलाइन बैटरी (पुनर्भरणीय) 1.5 0.31 85 250 50 -- 7.7 <0.3 100-1000 <5
निकल-लौह बैटरी 1.2 0.18 50 100 65% 5-7.3[1] 20%-40% 50+
निकल-कैडमियम बैटरी 1.2 0.14-0.22 40-60 50-150 150 70%-90% 1.25-2.5[1] 20% 1500
निकल-हाइड्रोजन बैटरी 1.5 75 20,000 15+
निकल-मेटल हाइड्राइड बैटरी 1.2 0.11-0.29 30-80 140-300 250-1000 66% 2.75 30% 500-1000
निकल-जिंक बैटरी 1.7 0.22 60 170 900 2-3.3 100-500
लिथियम वायु बैटरी[2] 2.7 7.2 2000 2000 400 ~100
लिथियम-आयन बैटरी 3.6 0.58 150-250 250-360 1800 99%+ 2.8-5[3] 5%-10% 1200-10000 2-6
लिथियम-आयन पालीमर बैटरी 3.7 0.47-0.72 130-200 300 3000+ 99.8% 2.8-5.0 5% 500~1000 2-3
लिथियम आयन फॉस्फेट बैटरी 3.25 0.32-0.4 80-120 170[4] 1400 93.5% 0.7-3.0 2000+[5] >10
लिथियम गंधक बैटरी[6] 2.0 0.94-1.44[7] 400[8] 350 ~100
Lithium–titanate 2.3 90 4000+ 87-95%r 0.5-1.0[9] 9000+ 20+
सोडियम-आयन बैटरी[10] 1.7 30 85% 3.3 5000+ Still testing
Thin film lithium ? 350 959 ? ?p[11] 40000
जिंक ब्रोमाइड बैटरी 75-85
वनाडियम रेडॉक्स बैटरी 1.15-1.55 25-35[12] 80%[13] 20%[13] 14,000[14] 10(stationary)[13]
सोडियम-गंधक बैटरी 150 89%-92%
द्रवित लवण बैटरी 2.58 70-290[15] 160[1] 150-220 4.54[16] 3000+ <=20
सिल्वर-आक्साइड बैटरी 1.86 130 240
टिप्पणी
 
Graph of mass and volume energy densities of several secondary cells
  • b Energy density = energy/weight or energy/size, given in three different units
  • c Specific power = power/weight in W/kg
  • d Charge/discharge efficiency in %
  • e Energy/consumer price in W·h/US$ (approximately)
  • f Self-discharge rate in %/month
  • g Cycle durability in number of cycles
  • h Time durability in years
  • i VRLA or recombinant includes gel batteries and absorbed glass mats
  • p Pilot production
  • r Depending upon charge rate

संचायक बैटरी एक युक्ति है जिसमें रासायनिक ऊर्जा संचित की जाती है, जो किसी भी समय विद्युत्‌ के रूप में निर्मुक्त हो सकती है। सामान्य उपयोग में आनेवाली संचायक बैटरियाँ दो प्रकार की होती हैं :

लेड अम्ल संचायक बैटरी

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लेड-एसिड बैटरी ( lead–acid battery) का आविष्कार १८५९ में फ्रेंच भौतिकशास्त्री गैस्टन प्लान्ते (Gaston Planté) ने किया था। यह सबसे पुरानी पुनर्भरणीय बैटरी है। इसका ऊर्जा-भार-अनुपात तथा ऊर्जा-आयतन-अनुपात बहुत कम होता है किन्तु यह कम समय के लिये बहुत अधिक धारा (सर्ज करेण्ट) प्रदान कर सकती है, जिसका अर्थ यह है कि इसके सेलों का शक्ति-भार-अनुपात (power-to-weight ratio) बहुत अधिक होता है। इन गुणों के अलावा इसका सस्ता होना, इसको मोटरगाड़ियों में प्रयुक्त होने के लिये आकर्षक बना देता है, क्योंकि वाहनो को चालू करते समय स्टार्टर मोटर को बहुत अधिक विद्युत धारा की जरूरत पड़ती है।

यह बैटरी एक या अनेक सर्वसम इकाइयों की बनी होती है, जिन्हें सेल कहते हैं। प्रत्येक सेल का विभव दो वोल्ट होता है। ६ वोल्ट की साधारण ऑटोमोबाइल बैटरी में तीन सेल श्रेणीयोजित होते हैं। प्रत्येक सेल में अम्लीय विद्युत्‌ अपघट्य, जो प्राय: सल्फ्यूरिक अम्ल होता है, तथा अपने दो या अधिक रासायनिक रूपों में सीस (लेड) के इलेक्ट्रोड रहते हैं। इलेक्ट्रोड प्राय: धन या ऋण पट्टिका कहलाते हैं। ये पट्टिकाएँ संरचनीय फ्रेम तथा विद्युत्‌ चालक से युक्त रहती हैं, जिसे ग्रिड कहते हैं। ग्रिड, धात्विक लेड या मिश्रधातु तथा सक्रिय लेड (रासायनिक अवस्था) का बना होता है। सक्रिय ग्रिड लेड अवकाश को भरता है तथा आवश्यक विद्युत्‌ रासायनिक कार्य करता है। ग्रिड लेड, ऐंटिमनी (६ से १२ प्रतिशत यांत्रिक कार्यों में), टिन, बिस्मथ, आर्सेनिक तथा अन्य तत्वों के अल्प भिन्नात्मक प्रतिशत वाली मिश्रधातु से ढालकर बनाया जाता है। धन पटिटका में सक्रिय पदार्थ लेड परऑक्साइड, (Pb O2) है। ऋण पट्टिका के सक्रिय पदार्थ ये हैं : सर्ंरंध्र (porous), सूक्ष्म विभाजित, स्वत:बद्ध धात्विक शुद्ध लेड तथा अल्पयोज्य पदार्थ, जिसका कार्य संरंध्रता (पोरोसिटी) को बनाए रखना है। बैटरी के जीवनकाल में ऋण पट्टिका बार-बार आवेशित और विसर्जित होती है, अत: ऋण पटिटका की संरंध्रता को बनाए रखन के लिए योज्य (additive) पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है।

प्रत्यावर्ती धन तथा ऋण पट्टिकाओं के मध्य में पृथक्कारक लगाकर, इन दोनों पट्टिकाओं को पृथक्‌ कर समयोजित करते हैं। पृथक्कारक धन और ऋण पट्टिकाओं को एक दूसरे से छूने से बचाता है। पृथक्कारक को अम्लप्रतिरोधी तथा विद्युत्‌ अपघट्य एवं विद्युत्धारा के लिए सरलता से पारगम्य होना चाहिए। यह पारगम्यता सूक्ष्म संरंध्र होनी चाहिए जिससे बैटरी की क्रिया के समय धन पट्टिकाओं से निकलते हुए सक्रिय पदार्थों के कणों का प्रवेश न हो। पृथक्कारक का ऋण पट्टिका के बाद का भाग समतल होता है और धन पट्टिका के विपरीत ओर का भाग खाँचेदार या धारीदार होता है।

सामान्यत: लकड़ी का उपयोग पृथक्कारक (सेपरेटर) के रूप में अधिक होता है। पृथक्कारक के लिए प्रयुक्त होनेवाली लकड़ी का अधिकांश रेजिन तथा अम्ल रासायनिक क्रिया द्वारा निकाल लिया जाता है। देवदार की कुछ किस्मों की लकड़ी पृथक्कारक के लिए अत्युत्तम सिद्ध हुई है : सूक्ष्म रंध्र वाले रबर के कृत्रिम पृथक्कारक का उपयोग भी अत्यधिक किया जा रहा है। जलवायु या परिवर्तनशील आवेश दर (charging rate) संबंधी उच्च ताप का सामना करने के लिए कृत्रिम पृथक्कारक का उपयोग किया जाता है। पृथक्कारी को संरंध्र पदार्थ की, जैसे शीशे के तंतु या छिद्रिल रबर की, सहायक चादर से प्रचलित कर दिया जाता है। यह प्रचलन धन पट्टिका के पार्श्व के विपरीत रखा जाता है। जब बैटरी अधिक कार्य करती है, तब इसके जीवनकाल में यह प्रबलन सक्रिय पदार्थ के छादक के नियंत्रण में सहायक होता है।

लेड अम्ल बैटरी में विद्युत्‌ अपघट्य प्राय: तनु सल्फ्यूरिक अम्ल, जो बैटरी के आवेश की अवस्था के साथ साथ परिवर्तित होता है, रहता है। जब बैटरी आवेशित रहती है, तब सल्फ्यूरिक अम्ल की तनुता अधिक होती है और बैटरी के विसर्जित हो जाने पर अम्ल सांद्र होता जाता है। जब बैटरियाँ पूर्णत: आवेशित रहती हैं, तब अधिकांश बैटरियों के विद्युत्‌ अपघट्य का आपेक्षिक धनत्व लगभग १.२८० रहता है, लेकिन उष्ण जलवायु में यह घनत्व १.१२५ और ठंढी जलवायु में १.३०० रहता है। सामान्यत:, विद्युत्‌ अपघट्य का १.१५ आपेक्षिक घनत्व इस बात का द्योतक है कि बैटरी ९० प्रतिशत विसर्जित हो चुकी है।

विसर्जन अभिक्रिया

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जब संचायक आवेशित रहता है, उस समय लेड (Pb), ऋण पट्टिका और लेड ऑक्साइड, (Pb O2), धन पट्टिका का कार्य करता है। ये दोनों पट्टिकाएँ सल्फ्यूरिक अम्ल के विद्युत्‌ अपघट्य में डूबी रहती है। विसर्जन के समय सक्रिय पदार्थ तथा विद्युत्‌ अपघट्य में रासायनिक परिवर्तन होता है। ऋण पट्टिका का लेड दो इलेक्ट्रॉन, (e), से वंचित होता, जबकि धन पट्टिका का लेड ऑक्साइड दो इलेक्ट्रॉन अर्जित करता है। ऋण पट्टिका पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है :

Pb --> Pb++ + 2e;
Pb++ + SO4 --> PbSO4

धन पट्टिका पर निम्नलिखित समकालिक अभिक्रिया होती है :

PbO2 + 2H+ ---> PbO + H2O - 2e

लेड मोनोऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ क्रिया कर निम्नलिखित फल देता है :

PbO + H2 SO4 ---> PbSO4 + H2O

विसर्जन काल में धन और ऋण दोनों पट्टिकाएँ लेड सल्फेट से आच्छादित हो जाती हैं। इस समय विद्युत्‌ अपघट्य, अर्थात्‌ सल्फ्यूरिक अम्ल, का आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है, क्योंकि कुछ सल्फ्यूरिक अम्ल पानी में परिवर्तित हो जाता है।

आवेश अभिक्रिया

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बैटरी के क्रियाशील रहते समय जिस दिशा में धारा चलती है उसके विपरीत धारा प्रवाहित कर बैटरी को आवेशित किया जाता है, जिसके कारण बैटरी अपनी मूल दशा को पुन: प्राप्त कर लेती है, अर्थात्‌ धन पट्टिका का लेड सल्फेट, लेड ऑक्साइड की पूर्वावस्था में आ जाता है। इस प्रकार ऋण पट्टिका पर हाइड्रोजन आयन दो इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। इसकी अभिक्रिया निम्नलिखित है :

Pb S O4 + 2H+ + 2e ---> Pb + H2 SO4

धन पट्टिका पर सल्फेट आयन दो अलेक्ट्रॉन मुक्त करता है, जिसकी अभिक्रिया निम्नलिखित है :

Pb SO4 + SO4 = -2e ---> Pb (S O4)2

चूँकि प्लंबिक सल्फेट पानी में स्थायी नहीं है, अत: अंतिम अभिक्रिया इस प्रकार होती है :

Pb (S O4)2 + 2 H2 O ---> PbO2 + 2H2 SO4

आवेश की अभिक्रिया से विद्युत्‌ अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है। आवेश और विसर्जन का चक्र उस समय तक चलता रहता है, जब तक बैटरी की भौतिक संरचना वैद्युत्‌ अपघटन के कारण या पृथक्कारक पदार्थ के ऑक्सीकरण के कारण नष्ट नहीं हो जाती।

बैटरी की दक्षता ताप के परिवर्तन से प्रभावित होती है। निम्न ताप निम्न दक्षता का कारण होता है। बैटरी के आवेशित और विसर्जित होने की दर पर भी बैटरी की दक्षता निर्भर करती है। जब बैटरी धीरे धीरे आवेशित की जाती है और वह धीरे धीरे विसर्जित होती है, तब बैटरी की दक्षता अत्यधिक होती है।

क्षारीय संचायक बैटरी

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इस प्रकार की बैटरी में विद्युत्‌ अपघट्य, अम्ल की जगह क्षार होता है। सर्वाधिक प्रचलित क्षारीय बैटरी एडिसन (Edison) सेल प्रकार की बैटरी है। यह बैटरी निकल-लोह क्षारीय प्रकार का सेल है। एक अन्य बैटरी निकल-कैडमियम प्रकार की है।

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  3. http://www.werbos.com/E/WhoKilledElecPJW.htm (which links to http://www.thunder-sky.com/home_en.asp Archived 2007-09-29 at the वेबैक मशीन)
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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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