पूर्ण चंद्र चंद्रमा की वह स्थिति है जब चाँद धरती से पूरा प्रकाशित दिखाई पड़ता है। ऐसा तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच स्थित होती है। दूसरे शब्दों में जब सूर्य और चंद्रमा के मध्य 180° का कोण बनता है। [3] इसका मतलब यह है कि पृथ्वी के सामने चंद्र गोलार्ध का निकटतमभाग पूरी तरह से सूर्य के प्रकाश में है और लगभग गोलाकार तश्तरी के रूप में दिखाई देता है। पूर्ण चंद्र लगभग महीने में एक बार होता है। पूर्ण चंद्र और उसके अगले चरण की पुनरावृत्ति के बीच का समय अंतराल औसतन लगभग 29.53 दिन होता है। इसे एक चंद्र माह माना जाता है इसलिए उन चंद्र कैलेंडरों में जिनमें प्रत्येक माह नए चाँद (अमावस्या) के दिन शुरू होता है l पूर्ण चंद्र (पूर्णिमा) चंद्र माह के 14वें या 15वें दिन पर पड़ती है, क्योंकि एक माह में पूरे दिन होते हैं कोई आधा दिन नहीं हो सकता है इसलिए चंद्र कैलेंडर में एक महीना 29 या 30 दिन लंबा होता है।अभी अभी चद्रंन 3 लागू हुआ हैl

14 नवंबर 2016 का महाचंद्र धरती के केंद्र से 356,511 कि॰मी॰ (221,526 मील) दूर था।[1] यह हर साल होता है।.[2]

विशेषताएँ

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पूर्ण चंद्र की घटना को अक्सर पूरी रात की घटना माना जाता है, हालाँकि पृथ्वी से देखा जाने वाला चाँद का आकार लगातार बढ़ता या घटता रहता है। ऐसे में पूर्ण चंद्र उसी क्षण होता है जब चाँद का बढ़ना समाप्त होता है और घटना शुरू होता है। धरती के किसी स्थान से पूर्ण चंद्रमा का आंशिक या आधा भाग ही दिखाई दे सकता है। कई स्थान से तो पूर्ण चंद्र की घटना दिखाई देना संभव ही नहीं होता है, क्योंकि उस समय वह स्थान धरती के दूसरी तरफ के गोलार्द्ध में होता है और वहाँ दिन होता है। चंद्रमा की कक्षा अक्ष से 5.145° झुकी हुई है। चाँद आम तौर पर पूर्ण चंद्र की स्थिति में सूर्य से बिल्कुल विपरीत नहीं होता है इसलिए चंद्र ग्रहण वाली रातों को छोड़कर पूर्ण चंद्र आमतौर पर पूरी तरह से पूर्ण नहीं होता है।

  1. "'सूपर मून' नॉरमंडी के आकाश का अद्वितीय चमकीला चंद्र, सोमवार, नवंबर 14". silvertimes.com. 12 नवंबर 2016. मूल से 27 April 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 फरवरी 2017.
  2. "चंद्र दर्शक को प्रसन्नता— दशक का सबसे बड़ा महाचंद्र रविवार की रात को चमका". 10 नवंबर 2016. मूल से 27 अप्रैल 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फरवरी 2017.