पेरुमाल मुरुगन तमिल में लिखने वाला भारतीय लेखक, विद्वान और साहित्यिक इतिहासकार है। इनके अब तक चार उपन्यास, तीन कहानी संग्रह और तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। वह नामकल में सरकारी आर्टस कालज में एक तमिल प्रोफेसर हैं।[1]

पेरुमल मुरुगन
पेरुमाल मुरुगन
जन्म1966
शहर तिरूचेंगोडे के नज़दीक एक गाँव, तमिल नाडू, भारत
राष्ट्रीयताभारती

जनवरी 2015 में उन्होनें ने हिंदूवादी संगठनों के विरोध के कारण लिखने का काम छोड़ दिया। उन्होनें ने फेसबुक की अपनी वाल पर लिखा है, "लेखक पेरूमल मुरूगन नहीं रहे, वह परमात्मा नहीं इस लिए वह फिर लिखना शुरू नहीं करेंगे, अभी सिर्फ एक अध्यापक पी. मुरूगन जीवित रहेंगे।"[2][3][4][5]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. एस॰पी॰ राजेन्द्रन (११ जनवरी २०१५). "TAMILNADU: Writers Condemn Burning of Tamil Novel by Hindutva Outfits" [तमिलनाडु: हिंदुत्व संगठनों द्वारा तमिल उपन्यास लेखक की निंदा] (अंग्रेज़ी में). पीपल्ज़डेमोक्रेसी डॉट इन. मूल से 14 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जनवरी २०१५.
  2. "तमिल लेखक मुरुगन ने वापस लीं ' मातोरुभागन ' की सभी प्रतियां". नवभारत टाइम्स. १४ जनवरी २०१५. मूल से 18 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जनवरी २०१५.
  3. "हिंदू संगठनों का डर, लेखक पेरूमल मुरूगन ने फेसबुक पर की खुद की मौत की घोषणा". एबीपी न्यूज़. १४ जनवरी २०१५. मूल से 18 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जनवरी २०१५.
  4. "विरोध के बाद तमिल लेखक ने लिखना छोडा, फेसबुक पर लिखा मुरुगन की मौत हो गयी". प्रभात खबर. १४ जनवरी २०१५. मूल से 30 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जनवरी २०१५.
  5. "विरोध के बाद तमिल लेखक ने लिखना छोडा, फेसबुक पर खुद के मौत की घोषणा की". ज़ी न्यूज़. १४ जनवरी २०१५. मूल से 19 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जनवरी २०१५.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें