पेलिकन
पेलिकन (Pelican), जिसका नाम पेलेकैनस (Pelecanus) है, बड़े आकार के जलीय पक्षियों का एक जीववैज्ञानिक वंश है। इसका आठ ज्ञात जातियाँ हैं। पेलिकन अपनी लम्बी चोंच और बड़ी गले की थैली से पहचाने जाते हैं। इसकी सहायता से यह पानी की बड़ी मात्रा को मुँह में लेकर अपने ग्रास को पानी से अलग कर निगलते हैं और पानी बाहर आ जाता है। पेलिकन लगातार अंतर्देशीय और तटीय जल पर मछलियाँ पकड़ते है। वे पानी के सतह पर उड़ अपनी विशेष चोंच को पानी से टकराकर अपना शिकार पकड़ते हैं। ये विशाल पक्षी अक्सर झुंडो में यात्रा और शिकार करते हैं। इनका प्रजनन करने का माध्यम समूहों में होता है। नर पक्षी का वजन 9 से 15 किलोग्राम तक होता है। इतना वजन होने के बावजूद यह मजबूत व तेज उड़ने वाला पक्षी है।[1][2][3]
पेलिकन Pelican | |
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बड़ा श्वेत पेलिकन | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | पक्षी (Aves) |
गण: | पेलिकनीफोरमीज़ (Pelecaniformes) |
कुल: | पेलिकनिडाए (Pelecanidae) |
वंश: | पेलेकैनस (Pelecanus) लीनियस, 1758 |
प्रवास
संपादित करेंभारत में यह पक्षी उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों मुख्यत गुजरात में कच्छ व इसके आसपास काफी संख्या में आते हैं। ये मुख्यता साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से जब यहां बर्फ पड़ने लगी है तो हजारों किलोमीटर उड़ान भरकर प्रजनन व भोजन के लिए भारत में आते हैं। शीत ऋतु की दस्तक के साथ ही इस पक्षी का भारत में आना आरंभ हो जाता है। यह पक्षी प्रवास के दौरान तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक 'वी' आकार में उड़ कर यहां आते है।
प्रजनन
संपादित करेंहवासील का प्रजनन का समय फरवरी से अप्रैल तक होता है। ये आमतौर पर पानी के किनारे मिट्टी व तिनके आदि एकत्रित कर बड़ा घोंसला बनाते है। एक ही जगह पर काफी संख्या में घोंसले होते है। गुजरात के कच्छ क्षेत्र में यह भी कब्जा कर लेते हैं। मादा दो से तीन अंडे देती है। नर व मादा मिल कर चूजों को पालते है। प्रजनन के समय नर पक्षी के चेहरे का रंग गुलाबी व मादा का रंग नारंगी जैसा होता है। ये पक्षी साफ पर्यावरण में ही रहना पसंद करते हैं। ये प्रदूषित झीलों से दूर चले जाते है। जमीन में घोसले होने से इसके अंडों व चूजों को कुछ शिकारी जानवर जैसे लोमड़ी व गीदड़ आदि खा जाते हैं। कई बार झीलों में तैरते हुए पक्षी मगरमच्छों का भी शिकार बन जाते है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Bourdon, Estelle; Bouya, Baâdi & Iarochene, Mohamed (2005): Earliest African neornithine bird: A new species of Prophaethontidae (Aves) from the Paleocene of Morocco. J. Vertebrate Paleontology 25(1): 157–170. DOI: 10.1671/0272-4634(2005)025[0157:EANBAN]2.0.CO;2 HTML abstract
- ↑ Mayr, Gerald (2003): The phylogenetic affinities of the Shoebill (Balaeniceps rex). Journal für Ornithologie 144(2): 157–175. [English with German abstract] HTML abstract
- ↑ Mortimer, Michael (2004): The Theropod Database: Phylogeny of taxa. Retrieved 2013-MAR-02.