विटामिन के

vitamin k(filoqinone)
(पोषक के से अनुप्रेषित)

विटामिन K वसा में विलेय विटामिन हैं जो मानव द्वारा कुछ प्रकार के प्रोटीनों का संश्लेषण करने के लिये जरूरी होता है। विटामिन K की कमी से "रक्त का थक्का नहीं जमता हैं"।

विटामिन के
Drug class
Vitamin K structures. MK-4 and MK-7 are both subtypes of K2.
Class identifiers
Useविटामिन 'के' की कमी, Warfarin overdose
ATC codeB02BA
Biological targetGamma-glutamyl carboxylase
Clinical data
Drugs.comMedical Encyclopedia
External links
MeSHD014812
In Wikidata
विटामिन के की एक शीशी (इंजेक्शन के रूप में प्रयुक्त होने के लिए)

विटामिन के वसा में विलेय विटामिन हैं। शरीर में यह विटामिन कुछ प्रकार के प्रोटीनों के पूर्ण संश्लेषण में सहायक होता है जो रक्त को थक्का बनाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा विटामिन 'के' की सहायता से ही शरीर अस्थियों तथा अन्य ऊतकों में कैल्सियम के बन्धन (बाइण्डिंग) को नियन्त्रित करता है। [1] आरम्भिक चिकित्सीय शोधों से पता चला है कि विटामिन 'के' की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो सकतीं हैं जिससे अस्थिसुषिरता (osteoporosis) की प्रबल सम्भावना हो जाती है और धमनियों एवं अन्य मृतु ऊतकों की कैल्सीकरण को बढ़ावा मिलता है।[1]

विटामिन  - K क्या हैं

विटामिन- K वसा में घुलनशील विटामिन हैं तथा रक्त का थक्का जमाने के लिए अत्यावश्यक होता है। रक्त का थक्का बनना मनुष्य के शरीर की एक विशिष्ट क्रिया हैं। यदि रक्त का थक्का ना बने तो चोट लगने पर, अत्यधिक रक्त स्राव के कारण, व्यक्ति की मृत्यु भी संभव हैं, तथा कभी - कभी रक्त का थक्का बनना जानलेवा भी हो जाता है, जैसे - मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग कई बार व्यक्ति को लकवाग्रस्त भी बना देती है।

विटामिन - K के कार्य -

लीवर में विटामिन- K द्वारा कुछ प्रकार के प्रोटीन्स जैसे - प्रोथ्रोम्बिन तथा फाइब्रिनोजेन का पूर्ण संश्लेषण होता हैं। जो कि, रक्त का थक्का जमाने में सहायक होते हैं। ये संश्लेषित प्रोटीन रक्त में उपस्थित होते हैं, तथा जब शरीर में किसी प्रकार की चोट की स्तिथि उत्पन्न होती है तब, यें प्रोथ्रोम्बिन - थ्रोम्बिन में परिवर्तित होकर रक्त का थक्का जमाते है। ब्लड प्लाज़्मा में घुलनशील प्रोटीन फाइब्रिनोजन पाया जाता है। जो चोट लगने पर, चोटिल स्थान पर थ्रोम्बिन तथा थ्रोम्बोप्लास्टिन के साथ मिलकर फाइब्रीन नामक जाल के समान संरचना बनाती है जिसमें, ब्लड प्लाज़्मा तथा कोशिकाएं फंस जाती है तथा इस प्रक्रिया को ही थक्का बनना कहते हैं। अतः स्पष्ट है कि, विटमिन- K शरीर में दो तरह से काम करता हैं, शरीर के अंदर ब्लड को जमने नहींं देता और शरीर के बाहर ब्लड को बहने नहीं देता।

इसके अतिरिक्त भी विटामिन -K हमारे शरीर में कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य भी करते हैं-

  • गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए तथा उत्तम स्वास्थ के लिए आवश्यक हैं।
  • स्वस्थ हड्डियों के लिए भी आवश्यक हैं, कैल्शियम के अवशोषण में सहायक हैं।
  • वृद्धावस्था में हड्डियों की रक्षा के लिए भी ये आवश्यक होतें हैं।
  • विटामिन - K की कमी से पाचन तंत्र से संबंधित परेशानियां उत्पन्न होती हैं।

कमी के प्रभाव -

विटामिन- K क्योंकि, वसा ने घुलनशील विटामिन है। इसलिए, शरीर के फैट सेल्स में ये स्टोर रहते हैं। परिणामस्वरूप इनके हीनता की स्थिति सामान्यतः नहीं देखी जाती है। लेकिन कई बार, जब शरीर में आमाशय आँत मार्ग में किसी समस्या के चलते विटामिन्स का उचित रीति से अवशोषण नहीं हो पाता या अगर लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स का प्रयोग किया जाए तब; विटामिन - K की कमी हो जाती है। इसकी कमी से-

  • रक्त का थक्का जमने का समय बढ़ जाता है। अतः ऐसी स्थिति में यदि चोट लग जाती है तब, अत्यधिक रक्तस्राव हो जाता हैं तथा आंतरिक अंगों में रक्तस्राव की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती है।
  • हल्की चोट लग जाने पर भी, जैसे - मंजन करते समय दाँतों से खून आना तथा नाक फूटने की समस्या देखी जाती है।
  • इनके अभाव में हड्डियाँ नर्म हो जाती हैं तथा टूटने का भय बना रहता है। वृद्धावस्था में हड्डियों की रक्षा के लिए भी ये आवश्यक होतें हैं।
  • विटामिन K की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है।

जब किसी मेडिकल कंडीशन जैसे - हृदय रोग अथवा स्ट्रोक के चलते डॉक्टरस द्वारा विटामिन- E सप्लीमेंट्स अथवा ब्लड थिनर्स (रक्त को पतला करने वाली दवाइयाँ) दिए जा रहे हों तब, विटामिन- K की मात्रा में भी परिवर्तन आवश्यक होता है तथा अपने आहार में विटामिन- K युक्त पदार्थो का संतुलित प्रयोग आवश्यक होता है। क्योंकि, इनके द्वारा एक दूसरे के विपरीत कार्य हमारे शरीर a में संपन्न किए जातें हैं। अतः असंतुलन से दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकतें है।

विटामिन - K के प्राप्ति साधन -

प्राप्ति के साधनो के अनुसार विटामिन- K को दो भागों में बाँटा जा सकता है  K 1 तथा  K 2

विटामिन- K 1 को फाइलोक्विनोन नाम से भी जाना जाता है। प्लांट्स ही इसकी प्राप्ति के मुख्य आधार हैं। वहीं इसका दूसरा रूप है विटामिन- K 2, यह हमें एनिमल्स बेस्ड प्रॉडक्ट्स और फर्मेंटेड फूड्स से मिलते हैं।

वनस्पति जगत द्वारा विटामिन -K प्राप्ति के साधन-

गहरे हरे रंग की भाजियाँ, जैसे - सरसों की भाजी।

विभिन्न गोभी जैसे - कोलार्ड्स, केल, लेट्टयूस, पत्तागोभी, फूलगोभी तथा ब्रोकली आदि।

हरी पत्तेदार भाजियाँ, जैसे - पालक, शलजम की पत्तियाँ, सलाद पत्ता, धनिया आदि।

सूखे मेवे तथा नट्स जैसे -  अंजीर  किशमिश, बादाम इत्यादि।

पशु जगत द्वारा विटामिन - K प्राप्ति के साधन-

माँस मछली तथा पोल्ट्री -  मछली, यकृत, मटन, अंडे, इत्यादि, इनके अच्छे स्त्रोत हैं।

दूध तथा दूध से बने पदार्थ।

अनाज में ये बहुत कम मात्रा में पाए जाते है। कुछ मात्रा में विटामिन - K शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया द्वारा भी बनाए जाते हैं।

विटामिन - K हमारे शरीर में रक्त का थक्का जमाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इनकी कमी के प्रभाव से थक्का बनाने की क्रिया के साथ ही, अन्य क्रियाएँ भी प्रभावित होती हैं।  


  1. "Vitamin K". Micronutrient Information Center, Linus Pauling Institute, Oregon State University, Corvallis, OR. July 2014. मूल से 7 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 March 2017.