प्रकृति से अपील (अंग्रेज़ी: Appeal to nature) एक तरह का तर्क है जिसमें यह प्रस्तावित किया जाता है कि "कोई वस्तु अच्छी है क्योंकि वह 'प्राकृतिक' है, या कोई वस्तु बुरी है क्योंकि वह 'अप्राकृतिक' है"।[1]

इस तर्क का रूप

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यह तर्क आमतौर पर इस रूप में देखने को मिलता है:[2]

वस्तु प्राकृतिक है। इसलिए वस्तु अच्छि है।
वस्तु अप्राकृतिक है। इसलिए वस्तु बुरी है।

जूलियन बागिनी कहते हैं कि "अगर हम मान भी लें कि कुछ वस्तुएँ प्राकृतिक और कुछ अप्राकृतिक होती हैं, इस से क्या सिद्ध होता है? उत्तर है: कुछ भी नहीं। जो प्राकृतिक है वो अच्छा है (या कम से कम बेहतर) और जो अप्राकृतिक है वो बुरा है (या कम से कम बदतर), यह मानने के लिए कोई कारण नहीं है।"[3]

भोजन, कपड़े और जङी बूटी से बनी औषधियों के लेबल और विज्ञापन प्रकृति से अपील के सामान्य उदाहरण हैं। कई उत्पादों के लेबल "सब प्राकृतिक" शब्द का प्रयोग करके यह संकेत देना चाहते हैं कि उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित है। मगर कई लोगों द्वारा सुझाव दिया गया है कि एक उत्पाद की सुरक्षा या प्रभाव का निर्धारण उसके 'प्राकृतिक' या 'अप्राकृतिक' होने से नहीं किया जा सकता है।[3]

  1. Moore, George E.: Principia Ethica, Barnes and Noble Publishing, Inc (१९०३ ई., २००५ ई.) p. ४७
  2. Curtis, Gary N. (१५ नवंबर २०१०). "Fallacy Files – Appeal to Nature". fallacyfiles.org. 24 सितंबर 2015 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: १३ फरवरी २०११.
  3. Baggini, Julian (२००४ ई.). Making sense: philosophy behind the headlines. Oxford University Press. pp. १८१–१८२. ISBN ९७८-०-१९-२८०५०६-५. {{cite book}}: Check |isbn= value: invalid character (help); Check date values in: |year= (help)CS1 maint: year (link)