उन सभी क्रियाओं को प्रतिरक्षादमन (Immunosuppression) कहते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को कम करतीं हैं।

कई स्थितियों में प्रतिरक्षादमन करने की जरूरत पड़ती है और प्रतिरक्षादमन करने से हानि के बजाय लाभ होता है। उदाहरण के लिये किसी अंग के प्रतिरोपण की स्थिति में शरीर उस अंग को अस्वीकार करे तो प्रतिरक्षादमन उपयोगी होता है। इसी प्रकार स्वप्रतिरक्षित रोगों की चिकित्सा के लिये भी इसका सहारा लिया जाता है।

प्रतिरक्षादमन करने के लिये प्रायः दवाओं का उपयोग किया जाता है किन्तु शल्य (सर्जरी), प्लाज्माफेरेसिस या विकिरण का उपयोग भी करना पड़ सकता है।

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