प्राकृतिक चिकित्सा (जिसे नेचुरोपैथिक मेडिसिन या नेचुरल मेडिसिन के नाम से भी जाना जाता है) एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो प्राकृतिक उपचार और निरोग रखने की शरीर की अपनी अहम क्षमता पर केंद्रित होती है। प्राकृतिक दर्शन सर्जरी और दवाओं के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण और उनके कम से कम उपयोग का पक्षधर है। प्राकृतिक चिकित्सा मेंचिकित्सकसमुदाय द्वारा विभिन्न स्तरों पर स्वीकृति उपचार के विविध तरीके भी शामिल होते हैं, जैसे भोजन और जीवन शैली संबंधी परामर्श पूरी तरह वही हो सकते हैं, जो गैर-प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली में होता है और एक्युपंक्चर भी कुछ मामलों में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है, पर होम्योपैथी को अक्सर छद्म विज्ञान या नीमहकीमी के रूप में प्रचारित किया जाता है।[1][2][3][4][5] प्राकृतिक चिकित्सा के वैज्ञानिक आधार के निर्धारण के लिए उपयुक्त पद्धति अपनाने हेतु साक्ष्य आधारित चिकित्सा (ईबीएम) की वकालत की गई है।[6] प्राकृतिक चिकित्सकों का टीकाकरण का विरोध इसके पहले आकार ले चुके दर्शन का एक हिस्सा है।[7]

प्राकृतिक चिकित्सा का मूल यूरोप के प्राकृतिक उपचार आंदोलन में है।[8][9] 1895 में जॉन स्कील ने इस शब्द को गढ़ा और "अमेरिकी प्राकृतिक चिकित्सा के पिता" बेनेडिक्ट लस्ट[10] ने इसे लोकप्रिय बनाया.[11] 1970 के दशक की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में समग्र स्वास्थ्य आंदोलन के साथ मिलकर इसके प्रति रुचि पुनर्जीवित हुई.[1][11]

प्राकृतिक चिकित्सा कई देशों में प्रचलित है, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में तथा यह वहां विनियमन और स्वीकृति के स्तर के विभिन्न मानकों के अनुरूप है। प्राकृतिक औषधि प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र की एक आधुनिक अभिव्यक्ति है, जो 19 वीं सदी के स्वास्थ्य आंदोलन के "निरोग करने की प्रकृ‍ति की शक्ति" के विश्वास के रूप में उभरा. प्राकृतिक चिकित्सक अब कई राज्यों में पारंपरिक और प्राकृतिक चिकित्सा दोनों के व्यवहार में कुशल प्राथमिक देखभाल चिकित्सक के रूप में लाइसेंस प्राप्त कर रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा का पूर्व प्रशिक्षण संस्थान के हिसाब से अलग-अलग होता है, जिसके बाद फार्मेसी और छोटे स्तर की सर्जरी सहित 4 साल की प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा लेनी होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में नेचुरोपैथिक डॉक्टर (एनडी) या नेचुरोपैथिक मेडिकल डॉक्टर (एनएमडी) की उपाधि किसी मान्यताप्राप्त प्राकृतिक चिकित्सा स्कूल से चार साल का कार्यक्रम पूरा किया हो, जिसमें चिकित्सा विज्ञान के बुनियादी तत्वों और साथ ही प्राकृतिक उपचार और चिकित्सा देखभाल भी शामिल है।[12][13][neutralityis disputed] इसमें पैक्टिस की गुंजाइश कई न्यायक्षेत्रों में है और अविनियमित न्यायक्षेत्र में भी प्राकृतिक चिकित्सक नेचुरोपैथिक डॉक्टर की उपाधि या शिक्षा के स्तर से मतलब न रखते हुए अन्य उपाधि रख सकते हैं।[14]

 
मोंसिग्नोर सेबस्टियन नेइप, 1821-1897
 
डॉ॰ बेनेडिक्ट लस्ट, 1872-1945

कुछ लोग इस शब्द को गढ़े जाने से पहले प्राचीन ग्रीक "फादर ऑफ मेडिसिन" हिप्पोक्रेट्स को प्राकृतिक चिकित्सा का प्रथम अधिवक्ता मानते हैं।[15][16] प्राकृतिक चिकित्सा के आधुनिक अभ्यास की जड़े यूरोप के प्राकृतिक चिकित्सा आंदोलन में हैं।[8][9] स्कॉटलैंड में थॉमस एलिनसन ने 1880 में तम्बाकू और अधिक कार्यभार का परिहार कर प्राकृतिक आहार और व्यायाम को बढ़ावा देकर अपने "हाईजेनिक मेडिसिन"(स्वच्छ चिकित्सा) की वकालत शुरू कर दी.[17][18] सैनीप्रैक्टर शब्द कभी-कभी विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में नेचुरोपैथ के संदर्भ में कहा जाता था।[11]

प्राकृतिक चिकित्सा शब्द 1895 में जॉन स्कील द्वारा गढ़ा गया था[33] और "अमेरिकी प्राकृतिक चिकित्सा के पिता" बेनेडिक्ट लस्ट द्वारा खरीदा गया।[11] फादर सेबस्टियन निप्प ने जर्मनी में लस्ट को हाइड्रोथेरेपी (जल चिकित्सा) व अन्य प्राकृतिक स्वास्थ्य प्रक्रियाओं की शिक्षा दी; निप्प ने लस्ट को अपनी दवा रहित पद्धतियों के प्रसार के लिए अमेरिका भेजा.[3] लस्ट ने प्राकृतिक चिकित्सा विधि को एक खास पद्धति के बदले एक व्यापक अनुशासनत्मक जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया और इसमें जल चिकित्सा, हर्बल दवाओं और होम्योपैथी जैसी तकनीकों साथ ही चाय, कॉफी और अल्कोहल के अधिक सेवन का निषेध शामिल किया।[1] उन्होंने शरीर को आध्यात्मिक व जीवनी शक्ति से पूर्ण अर्थ में देखा, जो "मनुष्य की प्रकृति के लौकिक बलों पर पूरी तरह निर्भर" होता है।[19]

1901 में लस्ट ने न्यूयॉर्क में अमेरिकन स्कूल ऑफ नेचुरोपैथी की स्थापना की. 1902 में प्राकृतिक सोसायटी मूल उत्तर अमेरिकी निप्प सोसाइटियां बंद हो गईं और और उनका "नेचुरोपैथिक सोसायटिज" के रूप में पुन: नामकरण किया गया। सितंबर 1919 में नेचुरोपैथिक सोसायटी ऑफ अमेरिका भंग कर दी गई और डॉ बेनेडिक्ट लस्ट ने इसके पूरक के रूप में "अमेरिकन नेचुरोपैथिक एसोसिएशन" की स्थापना की.[11][20][21][21] बीसवीं सदी के प्रथम 3 दशकों में 25 राज्यों में प्राकृतिक चिकित्सा या नशारहित पेशा कानून के तहत प्राकृतिक चिकित्सकों को लाइसेंस दिये गये।[11] प्राकृतिक चिकित्सा को शरीर के जोड़ बैठाने वाले कई चिकित्सकों ने अपनाया और कई स्कूलों ने डॉक्टर ऑफ नेचुरोपैथी (एनडी) और डॉक्टर ऑफ चिरोप्रेक्टर्स (डीसी) की डिग्रियां देने का प्रस्ताव दिया.[11] इस अवधि में संयुक्त राज्य अमेरिका में सक्रिय हुए प्राकृतिक चिकित्सा स्कूलों की संख्या अनुमा‍नित रूप से एक से दो दर्जन थी।[5][10][11]

तेजी से विकास की अवधि के बाद, प्राकृतिक चिकित्सा की प्रैक्टिस में 1930 के दशक के बाद कई दशकों तक गिरावट देखी गई। 1910 में द कार्नेगी फाउंडेशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ टीचिंग ने फ्लेक्सनर रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें चिकित्सा शिक्षा के के कई पहलुओं, खासकर गुणवत्ता और वैज्ञानिक व्यापकता की कमी की आलोचना की. पेनिसिलिन और अन्य "चमत्का‍रिक दवाओं" के प्रचलन में आने और इस वजह से आधुनिक दवाओं की लोकप्रियता के फलस्वरूप भी प्राकृतिक चिकित्सा में गिरावट आई. 1940 और 1950 के दशक में पेशागत कानूनों के दायरे में विस्तार से कई चिरोप्रैक्टिक स्कूलों ने एनडी डिग्री देना बंद कर दिया, हालांकि इस प्रणाली के कई डॉक्टरों ने प्राकृतिक चिकित्सा का अभ्यास जारी रखा. 1940 से 1963 तक अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने विधर्मी चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ अभियान चलाया। 1958 तक प्राकृतिक चिकित्सा के अभ्यास का लाइसेंस केवल पांच राज्यों में दिया गया।[11] 1968 में अमेरिकी स्वास्थ्य, शिक्षा व कल्याण विभाग ने प्राकृतिक चिकित्सा पर एक रिपोर्ट जारी की, जिसका निष्कर्ष था कि प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान में नहीं शामिल है और प्राकृतिक उपचार वैसे ग्रेजुएट तैयार करने के लिए अपर्याप्त है, जो रोग का पता लगाने और उसके निदान में सक्षम हो सकें. रिपोर्ट में चिकित्सा दायरे के विस्तार में प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल करने के खिलाफ सिफारिश की.[5][22] 1977 में एक ऑस्ट्रेलियाई जाचं समिति ठीक ऐसे ही निष्कर्ष तक पहुँची और इसने नेचुरोपैथ डॉक्टरों को लाइसेंस नहीं देने की सिफारिश की.[23] 2009 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 50 में से 15 राज्यों ने प्राकृतिक चिकित्सकों को लाइसेंस दिया था।[24] और दो राज्यों (डब्ल्यूए व वीटी) में बीमा कंपनियों को प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की प्रतिपूर्ति के लिए बीमा कंपनियों की पेशकश की जरूरत होती है।[25]

प्राकृतिक चिकित्सा का अस्तित्व कभी भी पूर्णता के साथ मौजूद नहीं रहा. 1970 के दशक की शुरुआत में कनाडा और अमेरिका में समग्र स्वास्थ्य आंदोलन के साथ इसके प्रति रुचि जगी.[1][11]

वर्तमान में पांपरिक प्राकृतिक चिकित्सा के नौ स्कूलों में अमेरिकन नेचुरोपैथिक मेडिकल एक्रीडियेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र या डिग्री प्रोग्राम प्रदान किया जा रहा है।[26] एएनए के नेशनल बोर्ड ऑफ नेचुरोपैथिक एक्जामिनर्स वर्तमान में दो स्कूलों को मान्यता देता है, जो डाक्टर ऑफ नेचुरोपैथी डिग्री प्रोग्राम की पेशकश कर रहे हैं।[27]

प्राकृतिक दवाओं का छह मान्यता प्राप्त स्कूलों, मान्यता प्राप्त प्राकृतिक चिकित्सा स्कूलों और उत्तरी अमेरिका में मान्यता के एक अभ्यर्थी स्कूल के तौर पर प्रतिनिधित्व हासिल है। 1956 में, चार्ल्स स्टोन, फ्रैंक स्पॉल्डिंग और डब्ल्यू मार्टिन ब्लेथिंग ने वेस्टर्न स्टेट्स चिरोप्रैक्टिक कॉलेज द्वारा एनडी कार्यक्रम को बंद करने की योजना को देखते हुए ओरेगोन के पोर्टलैंड में नेशनल कॉलेज ऑफ नेचुरल मेडिसिन (एनसीएनएम) की स्थापना की. 1978 में शीला क्विनन, जोसेफ पिजोरनो, विलियम मिशेल और लेस ग्रिफ़िथ ने वाशिंगटन के सीटल में जॉन बस्टायर कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन (अब बस्टायर विश्वविद्यालय) की स्थापना की. उसी वर्ष कनाडा के टोरंटो में कनाडियन कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन स्थापित किया गया। हाल ही में स्थापित स्कूलों में 1992 शुरू किये गये साउथवेस्ट कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन और 1992 में ही स्थापित बाउचर इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन शामिल हैं। कनेक्टिकट में ब्रिजपोर्ट विश्वविद्यालय कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन के माध्यम से एनडी डिग्रियां देता है और इलिनोइस में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज ने हाल ही में नेचुरोपैथिक कार्यक्रम शुरू किया है और वह मान्यता का एक अभ्यर्थी है।

सिद्धांत

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प्राकृतिक चिकित्सा स्वाभाविक रूप से घटनेवाले और कम से कम आक्रामक पद्धतियों पर केंद्रित है, जिसे "प्रकृति के घाव भरने की अपनी ताकत" पर विश्वास है।[5] इसमें "सिंथेटिक या कृत्रिम" दवाओं, रेडियेशन व बड़ी सर्जरी के जरिये निदान से बचा जाता है और शरीर और प्रकृति के सहज और जीवनी शक्ति से पूर्ण अवधारणा का पक्ष लेते हुए बॉयोमेडिसिन और आधुनिक विज्ञान को नकारना आम होता है।[5][21] इसमें तनाव कम करने, एक स्वस्थ आहार और जीवन शैली के माध्यम से निदान पर बल दिया जाता है। नेचुरोपैथिक चिकित्सा का दर्शन 6 मुख्य मूल्यों के जरिये स्वत: वर्णित होता है।[28] प्राकृतिक चिकित्सकों की शपथ के रूपों के एकाधिक संस्करण हो सकते हैं,[29] स्कूल विभिन्न तरह के मिशन वक्तव्य प्रकाशित कर सकते हैं{1/ और नियामक निकायों द्वारा या पेशेवर संगठनों द्वारा नैतिक आचरण दिशा निर्देश प्रकाशित किये जा सकते हैं।{2/}

  1. पहला, कोई नुकसान नहीं पहुंचाएं; हर समय सबसे प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल के लिए रोगियों को बिल्कुल कम से कम जोखिम में डालें.(प्रिमम नॉन नोकेयर).
  2. प्रत्येक व्यक्ति में निहित प्रकृति की आत्म उपचार क्षमता को मान्यता दें, आदर करें व इन्हें बढ़ावा दें. (विस मेडिकैट्रिक्स, जीवनी शक्ति का एक रूप)[30]
  3. रोग के लक्षणों को खत्म करने या दबाने के बदले बीमारी के कारणों को पहचानें और उनका निदान करें.(टॉली कॉजम)
  4. स्वास्थ्य के लिए शिक्षित करें, तर्कसंगत आशा की ओर प्रेरित करें और जिम्मेदारी के लिए स्वयं को प्रोत्साहित करें.(चिकित्सक शिक्षक बनें).
  5. प्रत्येक व्यक्ति का सभी व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारकों और प्रभावों पर विचार करके उपचार करें. (पूरे व्यक्ति का उपचार करें.)
  6. व्यक्ति, हर समुदाय और हमारी दुनिया के लिए बेहतरी और बीमारियों की रोकथाम को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य की स्थिति पर ज़ोर दें. (स्वास्थ्य संवर्धन, सर्वश्रेष्ठ निवारण)

प्राकृतिक चिकित्सा का ध्यान कुछ ख्दास पद्धतियों के बजाय प्राकृतिक स्व-चिकित्सा के दर्शन पर केंद्रित होता है और चिकित्सक उपचार के लिए विभिन्न तरह के तरीकों का उपयोग करते हैं।[1][31] कुछ तरीके सारहीन अहम ऊर्जा क्षेत्रों पर निर्भर होते हैं, जिनका अस्तित्व सिद्ध नहीं किया गया है और वहाँ यह भी चिंता रहती है कि प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसा क्षेत्र है, जो आम वैज्ञानिक मान्यता से अलग होता है, हालांकि बास्तर, एनसीएनएम और सीसीएनएम वर्तमान अनुसंधान कार्यक्रमों को बरकरार रख्ने हुए हैं।[32][33][34] बास्तर एनआईएच से अनुसंधान के लिए अनुदान भी प्राप्त करते हैं, जिससे उनका रिश्ता 1984 में तब शुरू हुआ, जब बास्तर एनआईएच से अनुसंधान के लिए अनुदारन पाने वाले पहले स्कूल बने.[35] एक संपूर्ण प्रणाली के रूप में प्राकृतिक चिकित्सा की प्रभावशीलता का व्यवस्थित मूल्यांकन नहीं किया गया है और व्यक्तिगत तरीकों की प्रभावकारिता अलग-अलग होती है।[5][36]

आमतौर पर परामर्श रोगी के एक लंबे साक्षात्कार से शुरू होता है, जिसमें रोगी की जीवन शैली, चिकित्सा संबंधी इतिहास, भावनात्मक अनुभूति और साथ ही शारीरिक परीक्षण से शुरू होता है।[1] पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सक जीवन शैली में परिवर्तन और दृष्टिकोणों पर केंद्रित होती है, जो शरीर की सहज चिकित्सा क्षमता का समर्थन करती है। पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सक रोग की पहचान और निदान नहीं शुरू करते हैं, बलिक वे पूरे शरीर के स्वस्थ होने और शरीर के खुद निरोग होने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करते हैं। पारंपरिक नेचुरोपैथ न तो कोई दवा लिखते हैं और न ही दवा, सीरम, तरल दवा, सर्जरी या रोग के लिए खास उपचार या पारंपरिक दवाओं का प्रयोग करते हैं।[37] प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सक स्वयं को प्राथमिक देखभाल प्रदाता के रूप में पेश करते हैं और इसके अलावा विभिन्न प्राकृतिक तरीकों निर्धारित पुरानी दवाएं लिखते हैं, छोटी-मोटी सर्जरी करते हैं, नहीं तो अपनी प्रैक्टिस को विभिन्न अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पर केंद्रित करते हैं। नेचुरोपैथ जरूरी नहीं कि एंटीबायोटिक व टीके की सलाह दें और वे अनुपयुक्त वैकल्पिक उपचार भी कर सकते हैं, जिसके लिए सबूत पर आधारित दवाएं प्रभावी बताई गई हैं।[38][39] प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा के सभी रूपों में बुनियादी विज्ञान से असंगत अवधारणाएं शामिल होती हैं और जरूरी नहीं कि चिकित्सक उचित निदान और या निदान की सिफ़ारिशें करने के लिए तैयार हो.[36][39][40]

50% से भी से कम प्राकृतिक चिकित्सकों का कहना है कि वे बुखार से पीड़ित 2-सप्ताह के शिशु को उस स्थिति में भी रेफर कर सकते हैं, जहां वास्तविक नुकसान की संभावना हो.[41]

पद्धतियां

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एक प्राकृतिक चिकित्सक द्वारा उपयोग की जाने वाली पद्धतियां प्रशिक्षण और अभ्यास की गुंजाइश के साथ बदलती रहती है। प्रदर‍ि्शत प्रभावशीलता और वैज्ञानिक तर्क भी बदलते हैं। इनमें शामिल हैं: एक्यूपंक्चर, एप्लाइड किनसियोलॉजी (शरीर के सचल होने की प्रक्रिया का अध्ययन,)[42] वानस्पतिक चिकित्सा, दिमाग की तरंगों का संचरण, एथरोसक्लेरोसिस (धमनियों की दीवारों में चर्बी जमना) के लिए कीलेट चिकित्सा,[4] बड़ी आंत का एनीमा[39] रंग चिकित्सा,[42] कपालीय आस्टियोपैथसी,[39] बालों का विश्लेषण,[39] होम्योपैथी[43], आइरोडोलॉजी (आंख के उपतारे का परीक्षण)[42] रक्त विश्लेषण, प्राकृतिक इलाज - प्रकृति के तत्वों, जैसे सूर्य-स्नान, ताजी हवा, गर्म या ठंडी सेंक, पोषण (इसके उदाहरणों में शामिल हैं शाकाहारी और संपूर्ण संतुलित आहार, उपवास, शराब और चीनी से परहेज) के प्रयोग से कई तरह का उपचार, जैसे[44] अल्ट्रवायलेट किरणों द्वारा ओजोन थेरेपी,[5]शारीरिक चिकित्सा (इसमें नेचुरोपैथिक, हड्डी से संबंधित ओसियस चिकित्सा और कोमल ऊतकों के जरिये जोड़ तोड़ चिकित्सा, खेल चिकित्सा, व्यायाम और स्वीमिंग शामिल हैं), मनोवैज्ञानिक परामर्श (इसके उदाहरणों में ध्यान, विश्राम तथा तनाव दूर करने के अन्य तरीके शामिल हैं[44], सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और स्वच्छता,[28] संवेदनशीलता, मालिश,[21]और पारंपरिक चीनी दवाएं.

2004 में वॉशिंगटन राज्य व कनेक्टिकट में हुए एक सर्वेक्षण से पता चला कि सबसे आम निर्धारित प्राकृतिक चिकित्सा में जड़ी-बूटियां, विटामिन, खनिज, होम्योपैथी और एलर्जी उपचार शामिल थे।[43]

चिकित्सक

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प्राकृतिक चिकित्सकों के समूह दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।[37][45][46][47][48][verification needed]

1. अमेरिका में 'पारंपरिक' नेचुरोपैथ दो राष्ट्रीय संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, द अमेरिकन नेचुरोपैथिक एसोसियोशन (एएनए), जिसका गठन बेनेडिक्ट लस्ट[49]द्वारा 1919 में किया गया व जिसमें 4500 चिकित्सकों[50][verification needed] का प्रतिनिधित्व है और द अमेरिकन नेचुरोपैथिक मेडिकल एसोसियोशन (एएनएमए), जिसका गठन 1981 में हुआ व जिसमें प्रमाणपत्रोंे के विभिन्न स्तरों के 4500 चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व है।[51] एएनएमए एमडी डॉक्टरों, डीओ डॉक्टरों और अन्य परम्परागत चिकित्सा पेशेवरों को भी मान्यता देता है, जिन्होंने अपनी प्रैक्टिस में प्राकृतिक चिकित्सा में एकीकृत किया है।[5]

संयुक्त राज्य अमेरिका में पारंपरिक नेचुरोपैथ डॉक्टरों में प्राकृतिक चिकित्सा प्रशिक्षण का स्तर अलग-अलग है। पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सक गैर-डिग्री प्रमाणपत्र कार्यक्रम या अंडर-ग्रेजुएट कार्यक्रमों को पूरा कर सकते हैं और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमाणन अमेरिकन नेचुरोपैथिक मेडिकल सर्टिफिकेशन बोर्ड (एएनएमसीबी) से हासिल कर सकते हैं और आमतौर पर ये खुद को नेचुरोपैथिक कंसल्टेंट्स के रूप में संदर्भित करते हैं।[52] वहाँ भी पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सकों के लिए स्नातकोत्तर डॉक्टरेट की डिग्री ली जा सकती है। एएनएमसीएबी से मान्यता प्राप्त स्कूलों से डॉक्टर ऑफ नेचुरोपैथी (एनडी) की डिग्री जिन्होंने हासिल कर ली है, वे एएनएमसीबी के साथ बोर्ड द्वारा प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक बन सकते हैं[53] पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सक, जिन्होंने एएनए (एनबीएनई) द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों के नेशनल बोर्ड ऑफ नेचुरोपैथिक एक्जामिनर्स की डॉक्टर ऑफ नेचुरोपैथी की डिग्री ली है, वे एएनए के एक डेलीगेट का प्रमाणपत्र हासिल कर सकते हैं।[54] मेडिकल डॉक्टर (एमडी) या डॉक्टर ऑफ ऑस्टियोपैथी, जिन्होंने नेचुरोपैथी का पूरक प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वे नेशनल बोर्ड से प्रमाणित प्राकृतिक चिकित्सक बन सकते हैं।[55]

बीसवीं सदी के प्रारंभ में[56] अमेरिकी कांग्रेस द्वारा एक पेशे के रूप में परिभाषित पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सा के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी।[57] क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सा की गतिविधियों में संलग्न होने के लिए आम तौर पर लाइसेंस की आवश्यकता होती है, इसलिए इसका अभ्यास केवल उन 15 राज्यों में कानूनी है, जो पेशे का विनियमन करता है, हालांकि नेचुरोपैथिक दवाओं का उपयोग करने वाले चिकित्सक पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सा का अभ्यास कर सकते हैं। [उद्धरण चाहिए]

2. अमेरिका में प्राकृतिक चिकित्सा का प्रतिनिधित्व अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ नेचुरोपैथिक फिजिशियन करता है, जिसकी स्थापना 1985 में की गई थी और जिसमें 2000 चिकित्सकों, छात्रों व सपोर्टिंग व कॉरपोरेट सदस्यों का प्रतिनिधित्व हैं।[5][58]

प्राकृतिक चिकित्सा के डॉक्टर

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नेचुरोपैथिक डॉक्टर (एनडी या एनएमडी) या समकक्ष शब्द कम से कम 15 अमेरिकी राज्यों, कोलंबिया जिला, अमेरिका के पोर्टा रिको, अमेरिकी वर्जिन द्वीप समूह और कनाडा के पांच प्रांतों में लाइसेंस देने और प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं के कुछ रूपों में एक संरक्षित पदवी है।[59][60] कौंसिल ऑन नेचुरोपैथिक मेडिकल एजुकेशन द्वारा प्रमाणित कॉलेजों में शैक्षिक और नैदानिक प्रशिक्षण हासिल करने के बाद इन अधिकार क्षेत्रों में नेचुरोपैथिक डॉक्टरों को नॉर्थ अमेरिकन बोर्ड ऑफ नेचुरोपैथिक एक्जामिनर्स (एनएबीएनई)[61]द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा पास करनी होती है।[62] सीएनएमई अमेरिकी शिक्षा विभाग द्वारा नेचुरोपैथिक मेडिकल कार्यक्रमों के लिए मान्यता प्राप्त निकाय के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त है।[63] रेजीडेंसी कार्यक्रम की पेशकश बास्तर विश्वविद्यालय[64] एनसीएमएम,[65]एससीएनएम,[66] सीसीएनएम[67] और ब्रिजपोर्ट विश्वविद्यालय द्वारा की जाती है।[68] एनडी डाक्टरों को रेसिडेंसी प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता नहीं होती.[5] कई नेचुरोपैथ डाक्टर स्वयं को प्राथमिक देखभाल प्रदाताओं के रूप में खुद को पेश करते हैं।[1][12][69] एनडी प्रशिक्षण में बुनियादी चिकित्सा नैदानिक परीक्षण और प्रक्रियाएं जैसे मेडिकल इमेजिंग, छोटी सर्जरी और रक्त परीक्षण शामिल हैं। सीएनएमई मामूली सर्जरी, प्राकृतिक प्रसव और अंतर्शिरा चिकित्सा यानी इंट्रावेनस थेरेपी सहित वैकल्पिक ऐच्छिक पद्धतियों को शामिल करने की अनुमति प्रदान करता है, हालांकि उन्हें आम तौर पर इन कार्यों का लाइसेंस प्राप्त नहीं होता है; इन पद्धतियों के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है और सभी क्षेत्रों में इनका अभ्यास नहीं किया जा सकता है। यह प्रशिक्षण एमडी डॉक्टरों द्वारा लिये गये प्रशिक्षण से अलग होता है, क्योंकि इसमें उस तरह की थेरेपी की आवश्यकता होती है, जिनकी जरूरत मेडिकल स्कूलों में नहीं होती, जैसे जड़ी-बूटियों द्वारा चिकित्सा, नैदानिक पोषण प्राकृतिक गतिविधियां व होम्योपैथी चिकित्सा.[70] प्राकृतिक चिकित्सा स्कूल भी वाइटलिज़्म (शरीर की अपनी शक्ति) सिखाते है, क्योंकि यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे आधुनिक विज्ञान व औषधि के साथ असंगत माना जाता है।[1][3][4][69][71] होम्योपैथी अत्यधिक विवादास्पद है और अक्सर इसे "नीमहकीमी" या "छद्म विज्ञान" कहा जाता है।[1][4][5]

2005 में मैसाचुसेट्स मेडिकल सोसायटी ने इस चिंता के आधार पर राष्ट्रमंडल में इसे लाइसेंस देने का विरोध किया कि एनडी डॉक्टरों को रेसीडेंसी में भाग लेने की जरूरत नहीं है और वे अनुचित या हानिकारक सुझाव भी दे सकते हैं।[40] पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा चिकित्सकों के लिए बने मैसाचुसेट्स स्पेशल कमीशन ने उसकी चिंताओं को खारिज कर दिया और लाइसेंस देने की सिफारिश की.[72]

कौंसिल ऑन नेचुरोपैथिक मेडिकल एजुकेशन द्वारा परिभाषित हस्तक्षेपों के मुख्य बिंदु निर्धारित किये गये हैं और उत्तर अमेरिका से मान्यता प्राप्त सभी छह स्कूलों में इसे सिखाया भी जाता है। इनमें शामिल हैं:[2] एक्यूपंक्चर और पारंपरिक चीनी चिकित्सा, वानस्पतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, प्राकृतिक निदान (इसमें प्राकृतिक तत्वों के उपयोग से कई तरह की चिकित्सा की जाती है।) पोषण, भौतिक चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक परामर्श.

वाशिंगटन राज्य में, जहां नेचुरोपैथिक डॉक्टरों को प्राथमिक देखभाल करने वाले डॉक्टरों के समकक्ष लाइसेंस दिये जाते हैं,[73] हालांकि कई डॉक्टर बीमा भी स्वीकार करते हैं और इसके साथ नेचुरोपैथ को एक प्राथमिक चिकित्सा प्रदाता के रूप में पेश करने के एक विकल्प की कुछ योजनाओं की पेशकश करते हैं।[25] कनेक्टिकट और वॉशिंगटन में में राज्य के कानून में बीमा प्रदाताओं को नेचुरोपैथिक सेवाओं के लिए कुछ बीमा कवरेज प्रदान करने का प्रवाधान होता है, जबकि नेचुरोपैथिक डाक्टरों की महत्वपूर्ण संख्या वाले ओरेगोन राज्य में इसकी जरूरत नहीं होती.[25]

अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर

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1998 की एक कार्यबल रिपोर्ट के अनुसार कुछ चिकित्सक अपनी प्रैक्टिस में प्राकृतिक चिकित्सा के तौर-तरीकों को शामिल करना चुनते हैं,[74]और टेक्सास जैसे राज्यों में उन एमडी डॉक्टरों के लिए प्रैक्टिस के दिशा-निर्देश तय करना शुरू किया है, जो अपनी प्रैक्टिस में वैकल्पिक और पूरक दवाएं शामिल करते हैं।[75] स्वास्थ्य की देखभाल में लगे पेशेवरों की प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की सतत् शिक्षा में बहुत भिन्नता हो सकती है, लेकिन इसमें चिकित्सक, शारीरिक चिकित्सक, चिरोप्रैक्टर्स, एक्यूपंक्चर चिकित्सक, दंत चिकित्सक, शोधकर्ता, पशु चिकित्सक, डॉक्टरों के सहायक और नर्सों सहित कई पेशेवर शामिल होते हैं।[76] ये पेशेवरों आमतौर पर अपने मूल पद को बनाए रखते हैं, पर अपनी प्रैक्टिस को वर्णित करने के लिए 'समग्र', 'प्राकृतिक', या 'एकीकृत जैसे शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं। अमेरिकन नेचुरोपैथिक मेडिकल एसोसिएशन (एएनएमए) और अमेरिकन नेचुरोपैथिक मेडिकल सर्टिफिकेशन एंड एक्रीडियोशन बोर्ड (एएनएमसीएबी) के पास मेडिकल डॉक्टरों (एमडी) और डॉक्टर्स आॅफ अस्टियोपैथी (डीओ) को मान्यता व प्रमाणन कार्यक्रम होता है, जिन्होंने पूरक के रूप में प्राकृतिक चिकित्सा के अध्ययन के साथ अपनी शिक्षा पाई है और अपनी प्रैक्टिस में प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल किया है।[55]

आस्ट्रेलिया

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ऑस्ट्रेलिया के किसी भी राज्य में इसके लिए लाइसेंस जारी नहीं किया जाता, बल्कि यह उद्योग आत्म-विनियमित है। वहाँ टाइटिल का संरक्षण नहीं है, इसका मतलब यह हुआ कि तकनीकी रूप से किसी को भी प्राकृतिक चिकित्सक के रूप में अभ्यास करने की आजादी है। पेशागत क्षतिपूर्ति या सार्वजनिक देयता के लिए बीमा प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता प्रोफेशनल एसोसिएशन में शामिल होना है, जो केवल एक मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम पूरा करने और पेशेवर प्रमाणीकरण प्राप्त करने से हो सकता है। वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में प्राकृतिक चिकित्सा की पंजीकृत गतिविधियां वही हैं, जो चीनी चिकित्सा से संबंधित हैं और वह भी केवल विक्टोरिया राज्य में.[77]

1977 में ऑस्ट्रेलिया में एक समिति ने प्राकृतिक चिकित्सा के सभी कॉलेजों की समीक्षा की और पाया कि हालांकि कई कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में कागज पर बुनियादी जैव चिकित्सा विज्ञान को उचित मात्रा में शामिल किया था, पर वास्तविक अनुदेश के प्रलेखित कोर्स का संबंध मामूली ही था। किसी भी मामले में किसी परिणाम का व्यावहारिक काम उपलब्ध नहीं हुआ। समिति ने जिन व्याख्यानों को सुना, वे पाठ्यपुस्तक की सामग्री के श्रुतिलेख से अलग और धीमे मगर अपेक्षाक्रत व्यवस्थित, चिकित्सा विज्ञान की शब्दावली की व्याख्या से पूर्ण थे। शब्दकोश परिभाषा के एक स्तर पर वे व्याख्यान गहराई (अध्ययन के) के लाभ या तंत्र की समझ-बूझ या अवधारणाओं का व्यापक महत्व से वंचित थे। इस समिति ने प्राकृतिक चिकित्सकों की पसंद के विभिन्न चिकित्सीय दृष्टिकोण की कोई महत्वपूर्ण शिक्षण पद्धति नहीं देखी. पता चला कि लोगों की विशेष रूप से होम्योपैथी में रुचि थी, बैच की पुष्प चिकित्सा या खनिज लवण उपचार के बारे में साक्षात्कार किये गये, लेकिन विभिन्न कॉलेजों में इस चिक्त्सिा पद्धतियों के चयन और उपयोग में कोई व्यवस्थित पाठ्यक्रम नहीं देखा गया। समिति का यही मानना था कि चिकित्सात्मक पद्धति का चयन नेचुरोपैथ की आम धारणा पर आधा‍िरत है और चूंकि विभिन्न पाठ्यक्रमों सुझाए गये अनुप्रयोग और व्यवस्थाएं काफी बड़े पैमाने पर ओवरलैप (एक के उपर एक रखे हुए) किये हुए हैं कि कोई विशेष संकेत नहीं मिल पाते हैं और उन्हें पढ़ाया भी नहीं जा सकता.[23]

भारत में बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड यौगिक साइंसेज (बीएनवाईएस) का 5 साल का डिग्री पाठ्यक्रम है। भारत में कुल 11 कॉलेज हैं, जिनमें चार कॉलेज तमिलनाडु राज्य में हैं।[78]

भारतीय चिकित्सा प्रणाली के रूप में नेचुरौपैथी और योग भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आयुष विभाग के तहत आता है।[79]

भारत सरकार ने 1969 में कंेन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संगठन के रूप में "सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद, योग एंड नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध एंड होम्योपैथी" की स्थापना की. 1978 तक, इस संगठन का दायित्व वैकल्पिक चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं में वैज्ञानिक अनुसंधान करना था। इस अवधि के दौरान प्राकृतिक चिकित्सा के विकास के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीधे देखा गया था। मार्च 1978 में संयुक्त परिषद को भंग किया गया और उसकी जगह आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी, योग और नेचुरोपैथी के लिए एक-एक स्वतंत्र अनुसंधान परिषदों का गठन किया गया।[80]

पुणे का राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान 22 दिसम्बर 1986 में स्थापित किया गया। यह संस्थान पूरे देश में प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान के माध्यम से मौजूदा ज्ञान और इसके प्रयोग का मानकीकरण और प्रचार करता है। यह संस्थान "एक शासी निकाय" के रूप में काम करता है, जिसके अध्यक्ष होते हैं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री.[81]

उत्तर अमेरिका

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कनाडा के पांच प्रांतों में, पन्द्रह अमेरिकी राज्यों और कोलंबिया जिले में नेचुरोपैथिक डॉक्टर, जो उत्तर अमेरिका में प्राकृतिक चिकित्सा के किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में प्रशिक्षित हैं, एनडी या एनएमडी पदनाम का उपयोग करने के लिए हकदार हैं। अन्यत्र "नेचुरोपैथ", "नेचुरोपै‍थिक डॉक्टर", और "डॉक्टर ऑफ नेचुरल मेडिसिन" आम तौर पर सुरक्षारहित हैं।[14]

उत्तरी अमेरिका में, प्राकृतिक चिकित्सा को नियंत्रित करने वाले प्रत्येक क्षेत्राधिकार में प्राकृतिक चिकित्सा डॉक्टरों की प्रैक्टिस काफी भिन्न हो सकती हैं। कुछ क्षेत्रों में इसमें मामूली सर्जरी, दवाएं लिखना, रीढ़ की हड्डी के उपचार, प्रसूति एवं स्त्री रोगों के निदान की मंजूरी दी जाती है, जबकि दूसरे क्षेत्रों में इन्हें प्राकृतिक चिकित्सा के दायरे से बाहर रखा जाता है।[82]

कनाडा के पांच प्रांतों में नेचुरोपैथिक डॉक्टरों को लाइसेंस दिये जाते हैं : ब्रिटिश कोलंबिया, मानीतोवा, नोवा स्कोटिया, ओंटारियो और सासकेचवान.[83] ब्रिटिश कोलंबिया ने 1936 से नेचुरोपैथिक दवाओं को विनियमित किया है और यही कनाडा का एकमात्र प्रांत है, जो प्रमाणित डॉक्टरों को फार्मास्यूटिकल्स लिखने और मामूली सर्जरी की अनुमति देता है।[84]

संयुक्त राज्य अमेरिका

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  • अमेरिकी राज्यों, जिनमें विशेष रूप से प्राकृतिक चिकित्सा के अभ्यास का निषेध है, वे हैं : दक्षिण कैरोलिना,[86][87] और टेनेसी.[86][88]

नेचुरोपैथिक डॉक्टरों को स्नातक स्तर की पढ़ाई और प्रैक्टिस शुरू करने के बीच रेसिडेंसी की अनुमति नहीं होती है, हालांकि[5] यूटा राज्य अपवाद है।[89]

युनाइटेड किंगडम

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यूनाइटेड किंगडम में चूंकि, प्राकृतिक चिकित्सा पेशे का सरकार प्रायोजित कोई भी विनियमन नहीं है, इसलिए नेचुरोपैथ डॉक्टर अविनियमित हैं। सबसे बड़े पंजीयक निकाय द जनरल, कौंसिल एंड रजिस्टर ऑफ नेचुरोपैथ ब्रिटेन में तीन पाठ्यक्रमों को मान्यता देता है, जिनमें से दो ओस्टियोपैथिक स्कूलों : द ब्रिटिश कॉलेज ऑफ ओस्टियोपैथिक मेडिसिन, द कॉलेज ऑफ ओस्टियोपैथिक एजुकेशनल ट्रस्ट में और एक बीएससी हेल्थ साइंस (नेचुरोपैथी) कोर्स के तत्वावधान में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर स्कूल ऑफ इंटेग्रेटेड हेल्थ में पढ़ाया जाता है। [उद्धरण चाहिए]

वहाँ एसोसिएशन ऑफ नेचुरोपैथिक प्रैक्टिसनर्स और ब्रिटिश नेचुरोपैथिक एसोसिएशन भी हैं।

सबूत के आधार

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साक्ष्य आधारित चिकित्सा (ईबीएम) की वकालत नेचुरोपैथी जैसे प्राकृतिक इलाज अनुसंधान के लिए एक उपयुक्त पद्धति के रूप में की गई है, जिसे पर्याप्त वैज्ञानिक आधार के अभाव वाली प्रणाली कहा गया है।[6] ऑस्ट्रेलिया में हुए सर्वेक्षण में पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सक ईबीएम को जीवनी शक्ति और व्यापक सिद्धांतों में विश्वासों पर एक सैद्धांतिक हमला मानते हैं[6] वे प्राकृतिक चिकित्सा के अभ्यास की सचाई की वकालत करते हैं।[6] ऑस्ट्रेलिया में सर्वेक्षण में शामिल पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सकों को ईबीएम की अवधारणा की समझ और उसे लागू करने में दिक्कत हो सकती है।[6] हालांकि प्राकृतिक चिकित्सा की आम लोगों में स्वीकार्यता बढ़ रही है, पर चिकित्सा समुदाय के सदस्यों का रुख आलोचनात्मक रहा है और वे प्राकृतिक चिकित्सा के विचार को नामंजूर करते हैं।[90] प्राकृतिक चिकित्सा के व्यापक वैज्ञानिक ज्ञान के साथ उपचार के बेहतर नजरिये को हासिल किया जा सकता है, जिससे इस चिकित्सा प्रणाली के मॉडल में विकास किया जा सकता है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए एक आर्थिक लाभ भी हासिल किया जा सकता है।[90] प्राकृतिक चिकित्सकों ने नैदानिक प्रैक्टिस में अनुसंधान और आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांतों को स्वीकार करने के प्रति अपना योगदान शुरू किया है, जिससे इस पेशे को और विकसित करने और मान्य बनाने में मदद मिलेगी.[91] नेचुरोपैथ और मेडिकल डॉक्टरों में आम बीमारियों के व्यापक रेंज के निदान और प्रबंधन में प्राकृतिक चिकित्सा की सुरक्षा और प्रभावशीलता बढ़ाने और यह तय करने के लिए कि प्राकृतिक सेवाओं की पहुंव ऐसी हो कि कम खर्च में रोगियों की सेहत में सुधार हो सके.[92] जर्मनी में कई प्राकृतिक चिकित्सा के वैकल्पिक उपचार एक विश्वसनीय विज्ञान के रूप में किये जाते है, जैसे कि मालिश द्वारा चिकित्सा. हालांकि मालिश द्वारा चिकित्सा एक गैर-पारंपरिक पद्धति है और न यह गंभीर प्राकृतिक चिकित्सा के समान नहीं है और मालिश द्वारा चिकित्सा की गुणवत्ता भी नहीं है।[93] मालिश द्वारा चिकित्सा के विपरीत, वैज्ञानिक रूप से वास्तविक प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके वैकल्पिक नहीं हैं, बल्कि आधुनिक चिकित्सा के लिए एक पूरक के रूप में कार्य करते हैं।[93]

प्राकृतिक चिकित्सा की आलोचना बिना साबित हुए, गलत साबित हुए और अन्य विवादास्पद वैकल्पिक चिकित्सा उपचार और इसके जीवनी शक्ति वाले आधार पर आश्रित होने और संबंधित होने के लिए की जाती है।[71] किसी भी वैकल्पिक चिकित्सा में रोग का पता लगाने में भूल का जोखिम होता है और यह जोखिम प्रशिक्षण के स्तर के आधार पर कम हो सकता है।[1][4] यह भी एक खतरा है अगर रोगी अपने प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा सुझाये गये तरीकों के आधार पर इलाज का प्रयास करें तो नेचुरोपैथ उन बीमारियों का पता ही नहीं कर सकें और रोगी अनुपचारित रह जायें. कुछ प्राकृतिक उपचार पद्धतियां, जैसे होम्योपैथी और इरिडोलॉजी व्यापक रूप से छद्मविज्ञान या नीमहकीमी ही मानी जाती हैं।[94][95][96] प्राकृतिक तरीके और रसायन जरूरी नहीं कि कृत्रिम या सिंथेटिक तरीकों से सुरक्षित और ज्यादा प्रभावकारी हों. क्योंकि कोई भी उपचार जो असरदार होता है, उसके हानिकारक पार्श्व प्रभाव भी हो सकते हैं।[3][5][97][98]

नेचुरोपैथ सहित "गैर वैज्ञानिक स्वास्थ्य सेवा चिकित्सक अवैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और जनता को धोखा देते हैं और जिनमें स्वास्थ्य देखभाल की गहरी जानकारी नहीं होती, उन्हें प्रदाताओं के आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए.[99] विलियम टी जार्विस का कहना है, कि नीमहकीमी से केवल आम लोगों का ही नुकसान नहीं होता, यह वैज्ञानिक अनुसंधान करने क्षमता को कमजोर करता है और वैज्ञानिकों को इसका विरोध करना चाहिए.[99]

क्वैकवाच और द नेशनल कौंसिल एगेंस्ट फ्रॉड के स्टीफन बैरेट ने कहा है चकि प्राकृतिक चिकित्सा का दर्शन "साधारण है और इसकी प्रैक्टिस नीमहकीमी के आवरण से लिपटी है।"[3]

मेडस्केप जनरल मेडिसिन पत्रिका में के.सी. एटवुड्स लिखते हैं, "प्राकृतिक चिकित्सक अब यह दावा करते हैं कि वे प्राथमिक स्वस्थ्य देखभाल करने वाले चिकित्सक हैं और वे "पारंपरिक" और "प्राकृतिक" दोनों प्रकार की चिकित्सा में दक्ष हैं। उनका प्रशिक्षण, हालांकि, उनकी ट्रेनिंग के एक छोटे से अंश के बराबर है, जिससे मेडिकल डॉक्टर केवल प्राथमिक देखभाल ही कर सकते हैं। उनके साहित्य की परीक्षा से पता चलता है, यह छद्म वैज्ञानिक, अप्रभावी, अनैतिक और संभावित खतरनाक प्रथाओं से भरा है।"[69] एक अन्य लेख में, एटवुड लिखते हैं "जो चिकित्सक नेचुरोपैथ को अपना साथ मानते हैं, वे स्वयं को आधुनिक चिकित्सा के बुनियादी नैतिक अवधारणाओं के खिलाफ खड़े पाते हैं। अगर नेचुरोपैथ चि‍िकत्सकों को "अवैज्ञानिक इलाज करने वालों के रूप में" नहीं घोषित किया जाता है तो इस शब्द का कोई उपयोगी अर्थ नहीं निकलता. नीमहकीमी को उजागर करने वाले एक चिकित्सक का लेख हालांकि इसके लेखक को "पूर्वाग्रहग्रस्त" के रूप में पहचान नहीं कराता, बल्कि साधारणत: वह एक चिकित्सक के रूप में अपने नैतिक दायित्वों को पूरा करने वाला बताता है।"[4]

अर्नोल्ड एस रेलमैन के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा की पाठ्यपुस्तक शिक्षण का एक उपकरण बनने के लिए अपर्याप्त है, क्योंकि इसमें कई आम बीमारियों के बारे में व उनके इलाज के लिए विस्तार से उल्लेख नहीं है और अनुचित तरीके से उन उपचारों पर जोर दिया गया है, जिनके "प्रभावी नहीं होने की संभावना है" और यह दवाइयों की कीमत पर बिना सिद्ध हुए हर्बल उपचार को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि " एक औसत प्राकृतिक चिकित्सक के पास चिकित्सा करा रहे बीमार रोगियों का जोखिम संभावित लाभ की तुलना में काफी ज्यादा है।"[100]

नेचुरोपैथी, होम्योपैथी और चिरोप्रैक्टिक सहित वैकल्पिक चिकित्सा के कई रूप के विश्वासों पर आधारित हैं, जो टीकाकरण का विरोध करते हैं और उनके चिकित्सक विरोध में अपनी आवाज बुलंद करते हैं। इनमें गैर चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित नेचुरोपैथ भी शामिल हैं। टीकाकरण के प्रति इस नकारात्मक विचार के कारण काफी जटिल हैं और कम से कम कुछ अंश में उन शुरुआती दर्शनों पर आधारित हैं, जिन्होंने इन पेशों की बुनियाद को आकार दिया है।[7] कनाडा में एक बड़े पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा कॉलेज के हर वर्ग के छात्रों के बीच कराये गये एक सर्वेक्षण से पता चला कि अंतिम वर्षों के छात्रों ने नये छात्रों की तुलना में टीकाकरण का ज्यादा जोरदार रूप से विरोध किया।[101]

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में निवारणीय बीमारियों के खिलाफ हुए टीकाकरण की रसीद के संबंध में प्रयोग की गई वैकल्पिक चिकित्सा के इतिहास के बीमा दावे की जांच की. इसमें 1-2 साल और 1-17 साल उम्र के बच्चों के समूह बनाये गये। दोनों समूहों में टीका लगने की संख्या उल्लेखनीय रूप से कम रही, जब वे नेचुरोपैथ डॉक्टरों के पास गये। इस अध्ययन से पता चला कि प्राकृतिक चिकित्सकों के पास जाने से बच्चों में टीकारण की कम हुई दर और निवारणीय बीमारियों के टीके लगवाने के बीच अहम संबंध हैं।[38]

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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