प्राण कुमार शर्मा
प्राण कुमार शर्मा (१५ अगस्त १९३८ – ६ अगस्त २०१४) जिन्हें प्राण के नाम से भी जाना जाता था। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने १९६० से कार्टून बनाने की शुरुआत की। प्राण को सबसे ज्यादा लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने बनाया। सर्वप्रथम लोटपोट के लिए बनाये उनके ये कार्टून पात्र बेहद लोकप्रिय हुए और आगे चलकर प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं प्रकाशित की।[1] उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र मिलाप से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी।[2] ६ अगस्त २०१४ को उनका कैंसर से निधन हो गया।[3]
प्राण कुमार शर्मा | |
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जन्म |
15 अगस्त 1938 कसूर, ब्रितानी भारत |
मौत |
अगस्त 6, 2014 नई दिल्ली, भारत | (उम्र 75 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | कार्टूनिस्ट |
प्रसिद्धि का कारण | चाचा चौधरी, बिल्लू, पिंकी के रचयिता |
वेबसाइट आधिकारिक वेबसाइट |
जन्म एवं शिक्षा
संपादित करेंप्राण कुमार शर्मा का जन्म 15 अगस्त 1938 को कसूर नामक कस्बे में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स के अनुसार, प्राण ने मुंबई के सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में प्रशिक्षण लिया था और राजनैतिक विज्ञान में परास्नातक की डिग्री के अलावा उन्होंने फाइन आर्ट्स में चार वर्षीय डिग्री भी ली थी।
व्यंग्य चित्रकारिता
संपादित करेंप्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। पहली दफा उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित अख़बार मिलाप के लिए कार्टून बनाना आरंभ किया था। एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और फ़ाइन आर्ट्स के अध्ययन के बाद सन 1960 से दैनिक मिलाप से उनका कैरियर आरम्भ हुआ। तब भारत में विदेशी कॉमिक्स का ही बोलबाला था। ऐसे में प्राण ने भारतीय पात्रों की रचना करके स्थानीय विषयों पर कॉमिक बनाना शुरू किया। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय रचयिता कार्टूनिस्ट प्राण के रचे अधिकांश पात्र लोकप्रिय हैं पर प्राण को सर्वाधिक लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने ही बनाया। अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है।
"एक गलत धारणा बन गई है कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। हालात इसके ठीक उलट, बल्कि बेहतर हैं। मैंने 1960 से कॉमिक्स की दुनिया को बहुत करीब से देखा है। उन अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं कि कॉमिक्स की दुनिया अपने सबसे बेहतर वक्त में जाने वाली है। मैंने जब इस फील्ड में कदम रखा था तब देश में सिर्फ एक ही प्रकाशक हुआ करता था। आज इनकी संख्या 20 से अधिक है। हां, बीच में एक ऐसा वक्त जरूर आया, जब ऐसा लगा कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। बच्चे इससे दूर हो रहे हैं। यह वक्त था ग्लोबल तकनीक और टीवी के प्रवेश का।” |
प्राण कुमार शर्मा |
प्राण के बनाए कार्टून चरित्र चाचा चौधरी और साबू घर-घर में लोकप्रिय किरदार बन गए। चाचा चौधरी का किरदार उन्होंने सबसे पहले हिंदी बाल पत्रिका लोटपोट के लिए गढ़ा था, जो बाद में स्वतंत्र कॉमिक्स के तौर पर बेहद मशहूर हुआ। बाद में वो भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल कार्टूनिस्टों में से एक गिने जाने लगे।
एक जमाने में काफ़ी लोकप्रिय रही पत्रिका लोटपोट के लिए बनाये उनके कई कार्टून पात्र काफ़ी लोकप्रिय हुए। बाद में कार्टूनिस्ट प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कीं। बड़े से बड़ा अपराधी या छोटा-मोटा गुन्डा-बदमाश या जेब कतरा, कुत्ते के साथ घूमने वाले लाल पगड़ी वाले बूढ़े को कौन नहीं जानता! यह सफ़ेद मूंछों वाला बूढ़ा आदमी चाचा चौधरी है। उसकी लाल पगड़ी भारतीयता की पहचान है। कभी-कभी पगड़ी बदमाशों को पकड़ने के काम भी आती है। कहते हैं कि चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता है। सो अपने तेज दिमाग की सहायता से चाचा चौधरी बड़े से बड़े अपराधियों को भी धूल चटाने में माहिर हैं। चाचा चौधरी की रचना चाणक्य के आधार की गयी है, जो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति थे।
दरअसल प्राण पश्चिम के लोकप्रिय पात्रों सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन आदि से अलग हटकर भारतीय छाप वाले पात्रों की रचना करना चाहते थे, जो दिखने में सामान्य इनसान दिखें। इसीलिए काफ़ी सोचविचार के बाद उन्होने सामान्य से दिखने वाले गंजे, छोटे कद के, बूढ़े चाचा चौधरी को बनाया, जिसका दिमाग बहुत तेज था। वह अपने दिमाग से हर समस्या का हल कर देता है। चाचा चौधरी स्वयं शक्तिशाली नहीं, पर जुपिटर ग्रह से आया साबू अपनी असाधारण शारीरिक क्षमता से चाचा चौधरी की परछाई की तरह उनके साथ रहकर यह कमी पूरी कर देता है। इस तरह साबू और चाचा चौधरी मिल कर अपराधियों को पकड़वा देते है।[4]
प्राण की कई कृतियों पर कार्टून फिल्में भी बनाई गईं। वर्ष 2009 में आए एक रूपांतरण में रघुवीर यादव ने चाचा चौधरी का किरदार निभाया था।
"यदि मैं लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान ला सका तो मैं अपने जीवन को सफल मानूंगा।।” |
प्राण कुमार शर्मा |
विभिन्न हिन्दी व अन्य भाषाओं के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके अनेक पात्र धूम मचाते रहे हैं। उनके रचे बिल्लू, पिन्की, तोषी, गब्दू, बजरंगी पहलवान, छक्कन, जोजी, ताऊजी, गोबर गणेश, चम्पू, भीखू, शान्तू आदि तमाम पात्र जनमानस में सालों से बसे हुए हैं। चाचा चौधरी की कॉमिक्स हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओ में भी प्रकाशित की होती है। हास्य और रोमांच से भरे ये कॉमिक बच्चों और बड़ों का भरपूर मनोरंजन करते है। इसलिए ही भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के ‘सरपंच’ कार्टूनिस्ट प्राण ही हैं। इसके अलावा डायमंड कॉमिक्स के लिए प्राण ने कई अन्य कामयाब किरदारों को जन्म दिया, इनमें रमन, बिल्लू और श्रीमतीजी जैसे कॉमिक चरित्र शामिल थे।
चित्र दीर्घा
संपादित करेंसम्मान
संपादित करेंप्राण को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वर्ष 1995 में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया था। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स ने वर्ष 2001 में उन्हें ‘लाइफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा था। ‘द वर्ल्ड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स‘ में प्राण को ‘‘भारत का वॉल्ट डिज्नी’’ बताया गया है और चाचा चौधरी की पट्टी अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में लगी हुई है।
2015 में उन्हें भारत सरकार दव्रारा मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया।[5]
निधन
संपादित करें६ अगस्त २०१४ को भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के माध्यम से प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और कॉमिक पुस्तक चाचा चौधरी के रचनाकार प्राण कुमार शर्मा के निधन पर दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी कार्टूनिस्ट करार देते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी।[6]
प्राण द्वारा रचे गए लोकप्रिय पात्र
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ स्वाति बक्शी (२९ नवम्बर २०१३). "मेरा हीरो तो गंजा, बुड्ढा और बदसूरत है". बीबीसी हिन्दी. मूल से 2 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २९ नवम्बर २०१३.
- ↑ "कार्टून की दुनिया के प्राण नहीं रहे". बीबीसी हिन्दी. ६ अगस्त २०१४. मूल से 7 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ अगस्त २०१४.
- ↑ "Cartoonist Pran, creator of iconic Chacha Chaudhary, dead" [चाचा चौधरी नामक आयकन निर्माता कार्टूनकार प्राण का निधन] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. ६ अगस्त २०१४. मूल से 5 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ अगस्त २०१४.
- ↑ "भारत के वॉल्ट डिज्नी थे प्राण कुमार शर्मा". वेब दुनिया. मूल से 10 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
- ↑ "पद्म सम्मान 2015". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 26 जनवरी 2015. मूल से 6 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2015.
- ↑ "चाचा चौधरी के जनक मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण का निधन, पढ़िए कॉमिक्स किंग की कहानी". लाइव हिंदुस्तान. 14 अगस्त 06. मूल से 8 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
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