प्रेमलीला विट्ठलदास ठाकरसी
भारतीय शिक्षाविद
प्रेमलीला विट्ठलदास ठाकरसी (1894―1977) एक भारतीय शिक्षाविद् और गांधीवादी महिला थीं।[1][2] वह शिक्षाविद् और परोपकारी सर विठ्ठलदास ठाकरसी की पत्नी थीं। उन्हें "लेडी ठाकरसी" नाम से जाना जाता है।
प्रेमलीला विट्ठलदास ठाकरसे | |
---|---|
जन्म |
1894 |
मौत |
1977 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | शिक्षाविद् |
पुरस्कार | पद्म विभूषण (1975) |
जब 1925 में उनके पति की मृत्यु हुई, तब उनकी उम्र 31 साल थी, फिर भी उन्होंने अपना काम शिक्षा और परोपकार दोनों के क्षेत्र में जारी रखा और खुद को महिला शिक्षा के लिए समर्पित किया। वह कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट (1956―1972) की अध्यक्षा रहीं, और मुंबई में एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की पहली कुलपति भी बनीं।[3]
उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1975 में भारत सरकार द्वारा भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Gouri Srivastava (2006). Women Role Models: Some Eminent Women of Contemporary India. Concept Publishing Company. पपृ॰ 22–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8069-336-6.
- ↑ Nagendra Kr Singh (2001). Encyclopaedia of women biography: India, Pakistan, Bangladesh. A.P.H. Pub. Corp. पृ॰ 385. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7648-264-6.
- ↑ S. K. Gupta (1994). Career Education in India: The Institutes of Higher Learning. Mittal Publications. पृ॰ 63. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7099-540-1.
- ↑ "Padma Awards Directory (1954–2007)" (PDF). Ministry of Home Affairs. 2007-05-30. मूल (PDF) से 10 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जनवरी 2022.
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |